मुश्किल समय हर क्रिकेटर के करियर में आम है। इस चरण में सभी क्रिकेटरों को चरित्र के परीक्षण से गुजरना होता है। जहां कुछ क्रिकेटर्स दबाव से संयोजन नहीं बैठा पाते, वहीं कुछ इस बाधा को पार करके दमदार वापसी करते हैं। ऐसे कई होनहार करियर रहे, जिनका अंत निराशाजनक हुआ। जेम्स टेलर और क्रैग कीस्वेटर उन अभाग्यशाली क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिनके करियर पर बीच राह में ही रोक लग गई। हालांकि, कुछ क्रिकेटर्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने देश की टीम में आकर्षक वापसी की। आज हम आपको ऐसे ही पांच क्रिकेटरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने करियर के सबसे ख़राब समय से उबरकर जोरदार वापसी की और अपना लोहा मनवाया।
बेन स्टोक्स - अंतिम ओवर के दिल का दर्द
2016 वर्ल्ड टी20 के फाइनल में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की टीम आमने-सामने थी। वेस्टइंडीज को जीत के लिए अंतिम ओवर में 19 रन की दरकार थी। इंग्लैंड के पास बेन स्टोक्स जैसा धाकड़ ऑलराउंडर मौजूद था, जो मैच पलटने में माहिर माना जा रहा था। वेस्टइंडीज को जीत के लिए अंतिम ओवर में 19 रन की दरकार थी। वेस्टइंडीज के प्रमुख बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे, जबकि मार्लोन सैमुअल्स को बड़ी हिट लगाते ज्यादा नहीं देखा गया था। फैंस भी मानने लगे थे कि इंग्लैंड आसानी से ये मैच जीत जाएगा। मगर स्टोक्स से गलती हुई और कार्लोस ब्रैथवेट ने शुरुआत की चार गेंदों पर लगातार चार छक्के जड़कर वेस्टइंडीज को दूसरी बार वर्ल्ड टी20 चैंपियन बना दिया। वेस्टइंडीज ने हार के मुंह से जीत छीन ली। स्टोक्स इससे काफी निराश हुए। वो मैदान के अंदर विंडीज के जीतते ही बैठ गए। कई सुर्खियां भी बनी कि स्टोक्स बेहद निराश हैं और जल्द ही उनका मैदान पर लौटना मुश्किल है। हालांकि, इंग्लिश ऑलराउंडर ने ख़राब प्रदर्शन से सीख ली और अपने प्रदर्शन में सुधार किया। इसका परिणाम ये निकला कि क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में स्टोक्स ने इंग्लैंड टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक जमाए और 2017 इंडियन प्रीमियर लीग में मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर का ख़िताब भी जीता। स्टुअर्ट ब्रॉड - युवराज सिंह ने इनके एक ओवर में छह छक्के जड़े अपने सबसे ख़राब दिन पर भी स्टुअर्ट ब्रॉड इस वाकये को याद नहीं रखना चाहेंगे जो उनके साथ 2007 आईसीसी वर्ल्ड टी20 में हुआ था। भारत और इंग्लैंड के बीच डरबन में खेले गए मुकाबले में ब्रॉड के ओवर में युवराज सिंह ने लगातार 6 छक्के जड़ दिए। इंग्लिश गेंदबाज ने हर तरीका अपनाकर युवराज को रन बनाने से रोकने का प्रयास कर लिया, लेकिन सभी गेंदों में उनके हाथ निराशा लगी और युवराज ने ओवर की सभी गेंदों को हवा में बाउंड्री लाइन के पार पहुंचाया। ब्रॉड तब युवा थे, और इस सदमे के बाद उनका विश्वास डगमगा सकता था। मगर उन्होंने इससे आगे बढ़कर आगे की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार किया। 2016 में वो टेस्ट क्रिकेट की गेंदबाजी रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर पहुंचे। जेम्स एंडरसन के साथ ब्रॉड की साझेदारी बढ़िया बनती है और दोनों लंबे समय से इंग्लैंड क्रिकेट की सेवा कर रहे हैं। इंग्लैंड की जीत में ब्रॉड ने कई बार अहम भूमिका निभाई है। मोहम्मद आमिर - नो बॉल की कहानी साल 2010 में क्रिकेट जगत में खलबली मच गई जब स्पॉट फिक्सिंग घोटाला सामने आया। पाकिस्तान के 18 वर्षीय तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर को पैसे के बदले नो बॉल डालने का दोषी पाया गया। बुकी ने आमिर को ये निर्देश दिए थे कि उन्हें इस समय नो बॉल डालनी है। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर को 6 महीने की जेल हुई, उन पर पांच वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया गया और किसी भी प्रकार के क्रिकेट खेलने पर रोक लगा दी। हालांकि, पाकिस्तान ने 2016 एशिया कप में आमिर को दूसरा मौका दिया। भारत के खिलाफ वापसी वाले मैच में आमिर ने पहले दो ओवर में तीन विकेट लेकर अपनी काबिलियत से सभी को अवगत कराया। इसके बाद वो इंग्लैंड में पाकिस्तान की टेस्ट टीम का हिस्सा बने। हाल ही में संपन्न चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान को विजेता बनाने में आमिर की बड़ी भूमिका रही। सचिन तेंदुलकर - टेनिस एल्बो सचिन तेंदुलकर का करियर चोटों की मार से गुजरा है, जिसमें सबसे ज्यादा तकलीफ उन्हें टेनिस एल्बो के कारण हुई। सचिन ने खुद स्वीकार किया कि उन्हें बल्ला उठाने में बहुत दर्द हो रहा था और उन्हें इस बात का डर भी सता रहा था कि टेनिस एल्बो की वजह से उनके करियर का दुखद अंत न हो जाए। सचिन ए बिलियन ड्रीम्स फिल्म में भी सचिन ने ध्यान दिलाया कि एक ग्लास पानी के पकड़ने से भी उन्हें बहुत दर्द होता था। 2005 में उन्हें सैंट जॉन और सैंट एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल में भर्ती किया गया जहां उनका इलाज हुआ। हालांकि, चोट उन्हें 2007 विश्व कप खेलने से नहीं रोक पाई। इसके बाद सचिन ने महानता का परिचय दिया और कड़ी मेहनत करके मैदान पर वापसी की। उन्होंने विश्व कप जीतने के अपने सपने को 2011 में पूरा किया। सचिन ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से साल 2013 में संन्यास ले लिया। युवराज सिंह - कैंसर को दी मात 2012 में युवराज सिंह ने कैंसर का इलाज कराया और इसमें कोई शक नहीं कि ये युवी की जिंदगी का सबसे चुनौतीपूर्ण समय था। ऐसी स्टेज में जहां लोग जीने का मौका मिलने को बड़ा काम मानते हैं, वहीं युवराज ने राष्ट्रीय टीम में वापसी पर आंखें गड़ा रखी थी। युवराज ने यूनाइटेड स्टेट्स में कीमोथेरेपी कराई, जिसकी मदद से उनमें धीमे-धीमे सुधार आया। खब्बू बल्लेबाज ने इस जानलेवा बिमारी को मात दी और राष्ट्रीय टीम में वापसी की; युवराज इस दौरान टीम से अंदर-बाहर होते रहे। हालांकि, 2017 में युवराज ने इंग्लैंड के गेंदबाजी क्रम की धज्जियां बिखेरते हुए अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 150 रन बनाया। 35 की उम्र में युवराज भले ही चुस्त खिलाड़ी नहीं बचे हो, जैसे वो पहले हुआ करते थे। लेकिन सीमित ओवरों की क्रिकेट में युवराज जैसे अनुभवी खिलाड़ी की बहुत जरुरत है।