5 मौके जब क्रिकटर्स की जान बाल-बाल बची

ryder-1452763693-800

क्रिकेटर्स एक हाई प्रोफाइल खेल खेलते हैं और उनसे हमेशा विवाद जुड़ा रहता है। राष्ट्रीय टीम के भरपूर समर्थक हैं और खिलाडियों की पूजा की जाती है। लेकिन इसमें हम यह भूल जाते हैं कि खिलाडी भी इंसान है और कई बार उनकी जान पर खतरा भी मंडराया है। ये रही 5 घटनाएं जब खिलाड़ी की जान बाल बाल बची हो:

Ad

#5 जेसी राइडर पर एक बार में हमला

न्यूज़ीलैंड के क्रिकेटर जेसी राइड हमेशा विवादों से जुड़े रहते हैं। उनपर देर रात तक शराब पीना, टॉयलेट की खिड़की में हाथ फंसाना और टीम मैनेजर डेव क़ुएरि से बदसलूकी के आरोप हैं। क्राइस्टचर्च के एक बार हुई घटना में उनकी जान जाते जाते बची। ख़बर यह है कि उस बार में राइडर का चार लोगों से झगड़ा हो गया। झगड़ा इतना बढ़ गया की पार्किंग में दोनों गुटों के बीच हाथापाई हुई। राइडर उस घटना को याद करते हुए कहते हैं कि,"मुझसे कहा गया की किसी ने मुझपर पीछे से हमला किया और मेरे सर में चोट लग गयी।" राइडर ने बताया की वेलिंगटन के दोस्तों के साथ उन्हें बार में जाने के अलावा और कुछ याद नहीं है। बाद में दो लोगों के खिलाफ राइडर पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया। राइडर ने कहा,"उस बात को याद कर के ख़ुशी होती है कि मैं अभी भी ज़िंदा हूँ। मैं करीब 56 घंटे बाद उठा और लगा कि जैसे मुझे गहरी चोट लगी है। मुझे याद है कि मैं अपने गले से ट्यूब निकलने की कोशिश कर रहा था, और फिर किसी ने मुझे रोका"।

#4 मुरलीधरन सुनामी से बचे

muttiah-muralitharan-007-1452763587-800

दक्षिण एशिया में आई सुनामी जिसमें 21,000 से ज्यादा लोगों की जान गयी उससे मुथैया मुरलीधरन बाल बाल बचे। मुरलीधरन अपने मैनेजर कुशील गुनसेक्रा के साथ गाले के दक्षिण तट पर थे। वें गरीब बच्चों में बल्ले बाँट रहे थे। बल्ले बांटने के लिए वें शहर से बाहर आये थे। जैसे ही उन्होंने शहर छोड़ा, सुनामी ने दस्तक दे दी। मुरलीधरन ने कहा,"मेरे और सुनामी में 20 मिनट का फासला था। मैं गाले से बाहर ही निकला था और इसलिए सुनामी से बच गया। लहरें करीब 20 मीटर (छह फुट) ऊँची थी और शहर के अंदर करीब 2 किलोमीटर आ गयी। उस शहर के कई क्रिकेटर्स है पता नहीं उनके परिवारवाले कैसे होंगे। मेरा मैनेजर भी बाल बाल बचा। उसका घर तबाह हो गया। गाले पूरी तरह से दुब चूका है। हर तरफ लोग चिल्ला रहे हैं। कई लोगों की मौत हुई और कई लापता हैं।" पिछले 100 सालों का यह पांचवा सबसे बड़ा भूकंप था। श्रीलंका, इंडोनेशिया, भारत, मालदीव्स, मलेशिया और अंडमान और निकोबार द्वीप भी सुनामी का शिकार हुए थे। उन्होंने कहा,"इसके पहले ऐसा कुछ श्रीलंका में नहीं हुआ। मैं बच्चों में बल्ले बांटे थे और बस शहर के बाहर निकला हुआ था। इसकी कोई सूचना नहीं दी गयी थी। बड़ी ही खराब स्तिथि थी ये।

#3 श्रीलंकाई टीम के बस पर हमला

bus-sri-lanka-1452763353-800

4 मार्च 2009 को श्रीलंकाई टीम को लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में लेकर जा रही बस पर 10-12 हमलावरों ने हमला कर दिया। हमले में श्रीलंका के छह क्रिकेटर्स घायल हुआ थे। इसमें छह पुलिसकर्मी और दो आम नागरिकों को मौत हुई। महेला जयवार्डने ने कहा,"बस पर हमला तब हुआ जब हम स्टेडियम की ओर जा रहे थे। पहले उन्होंने हमारी बस के टायरों पर निशाना लगाया और बाद में बस पर। हम सब जान बचाने के लिए ज़मीन पर लेट गए। इसमें पांच खिलाडी और सपोर्ट स्टाफ के एक वयक्ति घायल हुए। पहले उन्होंने हमारी ओर राकेट दागे जिसका निशाना चूक गया। बाद में उन्होंने नीचे ग्रेनेड फेंके जो फूटा नहीं। हमारा ड्राईवर बहादुर था वो बिना डरे बस दौड़ता रहा और इससे हमारी जान बची।" श्रीलंकाई टीम पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे टेस्ट का तीसरा दिन के खेल के लिए स्टेडियम जा रही थी। दो खिलाडी समरवीरा और परनावितरना को गंभीर रूप से चोट आई थी।

#2 फैनी डिविलियर्स विस्फोट से बचे

fanie-1452762695-800

फैनी डिविलियर्स जब आर्मी में थे तब उनकी आँखें जलते जलते बची। अगर वें कुछ कदम और आगे होते तो उनकी जान जा सकती थी। इस घटना के बारे में उन्होंने कहा,"आर्मी में मैंने लगभग अपनी आँखे खो दी थी। मेरी पोस्टिंग स्पोर्ट् फील्ड में हुई थी। उन लोगों कुछ चुना ज़मीन पर गिराया दिया था। जब चुना पानी से मिलता है तो गर्म हो जाता है। जो वहां पर काम कर रहे थे उन्होंने इसे बड़े से ड्रम में दाल दिया जिसे यह बहुत ज्यादा गर्म हो गया और धमाका हुआ। मैं उससे करीब 4 मीटर दूर था और धमाके में मेरी आँखों में चोट लगी और छह-सात दिनों तक मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। उन लोगों ने मुझे बिस्तर से बांधा और करीब 3 से 4 घंटे मेरी आँखों में पानी के छीटें मारी। आँखें इतनी सूझ गयी थी कि ना मै आँखे खोल पा रहा था और ना ही बंद कर पा रहा था। इसके निशान आज भी मेरी आँखों पर हैं। मैं इसमें पूरी तरह से अँधा हो सकता था। आँखों में आठ हिस्से होते हैं जिनमे से छह जल चुके थे।

#1 ट्रेन से दुर्घटना से सचिन बाल बाल बचे

sachin-tendulkar-1452762759-800

हम सब जानते हैं कि सचिन ने इस मुकाम तक पहुँचने में कितनी कठनाईयां झेली हैं। बचपन में वें रेल की पटरियां पार कर के आया-जाया करते थे। इसमें एक दुर्घटना में बचने के बाद उन्होंने यह आदत छोड़ दी। सचिन ने कहा,"11 साल की उम्र से मैं ट्रेन में सफर करने लगा था। मेरे साथ मेरा किट बैग हुआ करता था और ट्रेन में भीड़ के कारण काफी धक्का-मुक्की होती थी। स्कूल के दौरान मैं विले पारले में रहते एक दोस्त के घर गया था। हम पांच-छह लड़कों ने प्रैक्टिस की और फिर खाना खाने उसके घर गए। फिर हमने मूवी देखने का प्लान किया जिससे हमे प्रैक्टिस में पहुँचने में देरी हो गयी। इसलिए हमने रेल्वे ट्रैक को फांद कर प्लेटफार्म पर पहुँचने का निर्णय किया जहाँ से हमे दादर की ट्रेन पकड़नी थी।" सचिन ने आगे कहा,"ट्रैक को पार करते हुए हमारे ध्यान में आया की सभी ट्रैक पर ट्रेनें तेज़ी से आ रही थी। हम सब अपने किट के साथ ट्रैक के बीच में झुक गए। ये एक डरावना अनुभव था उसके बाद हमने कभी ट्रैक ऐसे पार नहीं किया।" लेखक: सिडब्रेकबॉल, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
Cricket
Cricket
WWE
WWE
Free Fire
Free Fire
Kabaddi
Kabaddi
Other Sports
Other Sports
bell-icon Manage notifications