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5 मौक़े जब भारत 1 रन से बना विजेता

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भारत और बांग्लादेश के बीच रोमांचक मैच में भारत ने 1 रन से जीत हासिल की। टी-20 वर्ल्डकप के इस मैच में भारत के लिए इस मुकाबले को जीतना बहुत ही जरूरी था। इससे पहले पाकिस्तान ने बांग्लादेश ने को बड़े अंतर से हराया था। लेकिन पाकिस्तान को भारत ने हरा दिया था। जिससे लोगों को लग रहा था कि भारत की अपेक्षा बांग्लादेश थोड़ा कमजोर है।

तस्कीन अहमद और अराफात सनी को बैन की वजह से टीम से बाहर होना पड़ा जिसकी वजह से बांग्लादेश और कमजोर दिखने लगी। साथ ही इस करो या मरो मैच में सोशल मीडिया पर फैन्स के बीच एक युद्ध जैसा माहौल बन गया था।

विज्ञापन मौका-मौका से इस मैच का रोमांच और बढ़ गया था। कुल मिलाकर इस मुकाबले में दोनों तरफ भावनाओं का ज्वार आ गया था। मैच की शुरुआत बांग्लादेश की तरफ से बेहतरीन गेंदबाज़ी से हुई।

इस मैच में भारत ने 147 रन का टारगेट बांग्लादेश के सामने रखा था। जिसे बांग्लादेश बड़ी ही आसानी से हासिल करता हुआ नजर आ रहा था। एक समय बांग्लादेश को 54 गेंदों में 60 रन बनाने थे। जबकि उनके 6 विकेट शेष थे।

इसके बाद अंतिम ओवर में 11 रन बनाने थे। जिसमें मुस्फिकुर रहीम ने लगातार दो गेंदों में 2 चौका जड़ दिया। अब अंतिम 2 रन 3 गेंदों में चाहिए थे। लेकिन बांग्लादेश ने अपने अंतिम तीन विकेट 3 गेंदों पर गवां दिया।

ये हार बांग्लादेश के लिए बहुत बड़ी हार है। जिसे वह दशकों तक नहीं भुला पाएंगे। इसके साथ ही ये वह अंतिम तीन गेंदें थीं जिसकी वजह से बांग्लादेश जीत सकती थी, लेकिन वही तीन गेंदो में हार गई।

इस मैच में सबसे बड़ा ड्रामा तब देखने को मिला जब धोनी ने अंतिम गेंद पर बल्लेबाज़ को रनआउट करने के लिए दौड़कर बेल्स बिखेर दिए। ये वह पल था जिसने भारत को जीत दिला दी थी।

भारत ने इस मैच को 1 रन से जीता था, हालांकि ये पहली बार नहीं है जब टीम ने 1 रन से जीत हासिल की है। आज हम ऐसे ही 5 मौकों के बारे में बता रहे हैं। जब टीम इंडिया ने 1 रन से जीत हासिल की:

भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, कोलम्बो-2 अक्टूबर 2012

भारत ने अबतक दो टी-20 1 रन से जीता है, जिसमें अभी हाल ही में बांग्लादेश को हराया है। लेकिन इससे पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 2 अक्टूबर 2012 में वर्ल्डकप के ही मैच में 1 रन से हराया था।

इन दोनों मैचों में में सबसे बड़ी समानता है कि भारत को टॉस हारने के बाद बल्लेबाज़ी करने का मौका मिला। साथ ही इन दोनों मैचों से बांग्लादेश के पास सेमीफाइनल में पहुंचने का मौका था।

इस मैच में भारत को 30 या उससे अधिक रनों से जीत चाहिए थी। तभी टीम सेमीफाइनल में पहुंचती नहीं तो पाकिस्तान सेमीफाइनल में पहुंच रहा था।

रैना ने इस मैच में 45 रन बनाये थे जो इस मैच का शीर्ष स्कोर था। 112 रन पर भारत के 5 खिलाड़ी आउट होकर पैवेलियन लौट गये थे। उसके बाद टीम का अगला विकेट 145 पर गिरा था। इसी मैच की तरह दक्षिण अफ्रीका को अंतिम 3 ओवरों में 27 रन बनाने थे।

इस मैच में भारत के 3 विकेट बहुत जल्द गिर गये थे। लेकिन युवराज और रोहित शर्मा ने टीम का स्कोर 10 ओवर में 68 रन पहुंचाया जहां युवराज 21 रन बनाकर आउट गये उसके बाद रैना ने रोहित के साथ अच्छी साझेदारी निभाई। लेकिन रोहित शर्मा आउट हो गये और भारत का स्कोर 112 था। उसके बाद धोनी ने तेज बल्लेबाज़ी की। भारत ने कुल मिलाकर 152-6 का स्कोर खड़ा किया।

अमला, कालिस और डिविलियर्स 46 रन तक पहुंचते-पहुंचते आउट होकर चले गये। लेकिन फैफ डूप्लेसी ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 65 रन की पारी खेली जिसका अंत युवराज सिंह ने किया।

अंतिम ओवर में प्रोटियाज़ को जीतने के लिए 14 रन बनाने थे। एल्बी मोर्कल ने बालाजी की पहली गेंद पर छक्का जड़ दिया। लेकिन वह अगली ही गेंद पर आउट भी हो गये। उसके बाद उनके भाई मोर्ने मोर्कल बल्लेबाज़ी के लिए आये।

ओवर की चौथी गेंद पर छक्का जड़कर मोर्न ने इस अंतर को कम कर दिया। लेकिन अगली गेंद पर मोर्कल बोल्ड हो गये और भारत ने इस मैच को 1 रन से जीत लिया। युवराज सिंह को मैन ऑफ़ द मैच के ख़िताब से नवाजा गया।

भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, जोहांसबर्ग-15 जनवरी 2011

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सीरीज के पहले मैच में हार के बाद टीम इंडिया ने दूसरे मैच में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया। भारत की शुरुआत धीमी थी और 8 ओवर में टीम ने मात्र 21 रन बनाये थे।

लेकिन विराट-सचिन की 45 रन की साझेदारी के बाद टीम थोड़ी मजबूत हुई। लेकिन ये दोनों आउट हो गये उसके बाद धोनी और युवराज ने 83 रन की साझेदारी निभाई। लेकिन युवराज के आउट होने के बाद पूरी टीम 190 रन पर आलआउट हो गयी।

जवाब में अमला, इनग्राम और डिविलियर्स जल्दी आउट हो गये लेकिन स्मिथ मैदान पर डटे हुए थे। लेकिन 33वें ओवर में मुनाफ पटेल ने स्मिथ को आउट कर दिया। स्मिथ ने 77 रन बनाये थे।

इसके बाद मिलर और बोथा भी चलते बने और टीम का स्कोर हो गया 167 पर 7 विकेट। डेल स्टेन भी रनआउट हो गये।

दक्षिण अफ्रीका को अंतिम ओवर में 14 रन बनाने थे। जिसमें पर्नेल और मोर्कल ने 11 रन बना लिए थे। लेकिन मुनाफ पटेल ने मोर्कल और पर्नेल को आउट करके भारत को एक रन की जीत दिला दी। उन्हें मैन ऑफ़ द मैच भी मिला।

भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, जयपुर-21 फ़रवरी 2010

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साल 2010 में दक्षिण अफ्रीका भारत के दौरे पर आई थी। उस वक्त जैक कालिस टीम के कप्तान थे। इस दौरे का पहला मैच जयपुर में खेला गया था। अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया। सचिन के जल्दी आउट होने के बाद दिनेश कार्तिक और सहवाग ने टीम को 88 रन तक पहुंचा दिया था। लेकिन 138 रन तक टीम ने अपने 4 विकेट गवां दिए।

इसके बाद सुरेश रैना के बेहतरीन 58 रन की मदद से टीम ने 298 का स्कोर बनाया।

जवाब में बोसमन और गिब्स ने 47 गेंदों में 50 रन ठोंक दिए। लेकिन इन दोनों बल्लेबाजों के आउट होने के बाद जैक कालिस को छोड़कर बाकी सभी खिलाड़ी फटाफट आउट हो गये थे। 200 रन पर प्रोटियाज़ अपने 7 विकेट गवां चुका था।

10 के औसत से रन बनाने के दबाव में कालिस भी आउट हो गये। टीम का स्कोर 43 ओवर में 225 पर 8 हो गया था। क्रीज़ पर डेल स्टेन और वेन पर्नेल थे।

अंतिम तीन ओवरों में 40 रन बनाने थे। लेकिन डेल स्टेन के तूफानी बल्लेबाज़ी के चलते अंतिम ओवर में प्रोटियाज़ को 10 रन रन की दरकार थी। प्रवीण कुमार ने डेल स्टेन को आउट कर दिया। उसके बाद सचिन की बेहतरीन फील्डिंग से भारत ने एक चार रन बचाए।

प्रवीन ने एक वाइड गेंद डाली जिससे अंतिम गेंद पर 3 रन बनाने थे। जिसमे खराब थ्रो के बावजूद भी धोनी ने पर्नेल को रनआउट कर दिया। और भारत ने इस मैच को 1 रन से जीत लिया।

भारत बनाम श्रीलंका, कोलम्बो-25 जुलाई 1993

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साल 1993 में भारत श्रीलंका के दौरे पर था। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया। इस मैच में भारत के सलामी बल्लेबाज़ मनोज प्रभाकर(39) और नवजोत सिंह सिद्धू (39) ने अच्छी शुरुआत दिलाई। उसके बाद कप्तान अजहरुद्दीन ने 51, कपिल देव 27 और सचिन ने 21 रन बनाये।

उन दिनों 212 रन का स्कोर अच्छा माना जाता था। जवाब में श्रीलंका के सलामी बल्लेबाज़ 46 रन की साझेदारी करने के बाद आउट हो गये। लेकिन हथुरुसिंघा और अरविन्द डीसिल्वा ने 115 रन की साझेदारी करके श्रीलंका की मैच में वापसी करा दी।

इनके आउट होते ही श्रीलंका का कोई भी बल्लेबाज़ दहाई का आंकड़ा नहीं छु पाया। अंतिम ओवर में लंका को जीत के लिए 2 रन चाहिए थे। लेकिन मनोज प्रभाकर ने इस ओवर की दूसरी गेंद पर ही विकेट लेकर भारत को 1 रन से जीत दिला दी।

भारत बनाम न्यूज़ीलैंड, वेलिंग्टन-6 मार्च 1990

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रोथमंस त्रिकोणीय सीरीज के चौथे मैच में भारत और कीवी टीम का मुकाबला था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी चुनी थी। मंजरेकर और प्रभाकर ने 36-36 रन बनाये। उसके बाद सचिन ने भी 36 रन बनाये। साथ ही कपिल देव ने 46 रन की पारी खेली थी।

भारत ने इस मैच में 221 रन बनाये थे। जवाब में कपिल देव की बेहतरीन गेंदबाज़ी के चलते न्यूज़ीलैंड का स्कोर 68 रन पर 3 विकेट हो गया था। लेकिन मार्क ग्रेटबैच और केन रदरफोर्ड ने 80 रन की साझेदारी करके टीम को संकट से उबार लिया था। न्यूज़ीलैंड का इन खिलाड़ियों के आउट होने के बाद स्कोर 211 पर 8 विकेट हो गया।

अंतिम ओवर में 11 रन बनाने थे। हेडली ने तीन गेंदों पर 4,2,2 रन बनाये। चौथी गेंद पर स्नेडेन रनआउट हो गये। इसके बाद पांचवीं गेंद पर कपिल देव ने हैडली को एक बेहतरीन यॉर्कर से बोल्ड कर दिया। इसके साथ ही भारत ने इस मैच को 1 रन से जीत लिया। ये पहली जीत थी जिसमें भारत ने 1 रन से जीत हासिल की थी।

लेखक-रॉय दिलावर, अनुवादक-मनोज तिवारी

Edited by Staff Editor
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