भारत के हरफनमौला खिलाड़ी रहे वीरेंदर सहवाग, जिन्होने कभी भी गेंदबाजों की परवाह नहीं की। उनका बस एक ही मूल मंत्र था गेंद को देखो और ज़ोर से मारो। इसी वजह से जब भी गेंदबाजों के सामने सहवाग होते थे, तो उनके होश उड़ जाते थे। जब भी सहवाग का दिन होता था, तो वो यह नहीं देखते की विपक्षी टीम कौन सी है, गेंदबाज कौन हैं, या फिर कौन सी पिच है। उन्हें बस अपने गेम खेलने से मतलब होता था और वो गेंदबाजों की अच्छी ख़ासी धुनाई कर देते थे। सहवाग का शैतानी दिमाग भी किसी से छुपा नहीं हैं। पूर्व भारतीय बल्लेबाज़, जो मैदान के अंदर अपने बिंदास अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं। फिर चाहे वो फील्डिंग करते हुए स्लिप में खड़े होकर सीटी बजाना हो , या बल्लेबाज़ी करते वक़्त किशोर कुमार के गाने गाना हो। उन्होने टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग करते हुए क्राउड़ को इस फॉरमैट की तरफ आकर्षित किया हैं। वीरेंदर सहवाग ने 104 टेस्ट मैच में 82.23 की स्ट्राइक रेट से 8586 रन बनाए हैं। उन्होने अपने टाइम के सबसे अच्छे गेंदबाजों की लय बिगड़ कर रख दी थी। सहवाग को उनके फैंस 'मुल्तान के सुल्तान' के नाम से भी बुलाते हैं। सहवाग जितने टाइम तक खेले उन्होने सबको खूब एंटरटेन किया। जब भी बल्लेबाज़ी करने आते थे, सबको पता था कि अब कुछ न कुछ होने वाला हैं और साथ में सबको रनों की बारिश की भी उम्मीद होती थी। इस खतरनाक ओपनर ने इंटरनेशनल क्रिकेट से पिछले साल अपने जन्मदिन 20 अक्टूबर को संन्यास ले लिया था। पर अभी भी उन्होंने सबको एंटरटेन करना छोड़ा नहीं हैं। आइये नज़र डालते हैं, उनके मज़ेदार किस्सों पर: 1- छक्के से तिहरा शतक पूरा करना 2004 में इंडिया के पाकिस्तान दौरे के पहले मैच में, जब सहवाग ने पहली बार तिहरा शतक लगाया था। उस मैच में उनके साथ बल्लेबाज़ी कर रहे थे सचिन तेंदुलकर, जिन्होंने सहवाग से कहा" अगर तुम छक्का मारने गए, तो मैं तुम्हे मारूँगा"। तेंदुलकर ने 2003 में मेलबर्न में खेली गई सहवाग की ही पारी का उदाहरण दिया, जहां वो 195 पर बल्लेबाज़ी कर रहे थे और छक्का मारने के चक्कर में आउट हो गए। उनके आउट होते ही पूरी टीम लड़खड़ा गई और हम वो मैच हार गए। इस बातचीत ने सहवाग को थोड़ा शांत किया और जब तक वो 205 तक नहीं पहुंचे, उन्होने कोई छक्का नहीं लगाया। जब वो 295 पर पहुंचे और वो टेस्ट में 300 रन बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज़ बनने वाले थे, तभी सचिन उनके पास गए और उनके बीच यह बात हुई : सचिन: " तू छक्का नहीं मारेगा"। सहवाग: " अगर सकलेन मुश्ताक गेंद करने आया तो, मैं छक्का ज़रूर मारूँगा"। वो गेंद करने आए और सहवाग ने उनकी गेंद पर छक्का मार दिया और इसके साथ ही वो पहले भारतीय बन गए, जिन्होनें तिहरा शतक लगाया हो। यह मैच मुश्ताक के करियर का आखिरी मैच था, इस मैच के बाद उन्होने कभी भी पाकिस्तान की जर्सी नहीं पहनी। 2- शोएब अख्तर के सपने का मज़ाक बनाना दिल्ली के इस बल्लेबाज़ को हमेशा से ही पाकिस्तान की गेंदबाजी ख़ासी रस आई हैं। उन्होने पाकिस्तान के खिलाफ खेले 9 मुकाबलों में 91.14 की औसत और 80.20 की स्ट्राइक रेट से 1276 रन बनाए हैं। अपनी शानदार बैटिंग फॉर्म को सहवाग ने कोमेंटरी रूम मे भी जारी रखा है और यह बात उनके ट्वीट में भी झलकती हैं। इनका यह अंदाज़ शोएब अख्तर के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं, जो इनको इस साल वर्ल्ड टी-20 में कंपनी दे रहे थे। अगर लंबे समय के लिए सहवाग, अख्तर से मज़ाक न करें तो ऐसा लगता था कि इन दोनों के बीच में सब सहीं तो हैं। रावलपिंडी एक्सप्रेस ने ट्विटर पर अपनी एक पुरानी फोटो शेयर की, जब वो नए नए टीम में आए थे। उस फोटो में कई बड़े खिलाड़ी मौजूद थे जैसे, वसीम अकरम, सईद अनवर और वकार यूनिस।
शोएब अख्तर ने सहवाग के खिलाफ हमेशा ही खूब रन लुटाए हैं। पाकिस्तान के खिलाफ मैच के दौरान एक बार 'नवाब ऑफ नजफ़गढ़' के साथ सचिन तेंदुलकर खेल रहे थे और पाकिस्तानी गेंदबाजों के पास इन्हें आउट करने का कोई तरीका नहीं बचा था। तो अख्तर ने सहवाग को उकसाना चाहा कि वो कोई गलत शॉट खेले और आउट हो जाए। इसलिए वो राउंड द विकेट से आकर उन्हें बाउंसर डालने शुरू कर दिए। हर एक गेंद के बाद अख्तर कहते: शोएब: " हुक मार कर दिखा ना, दिखा न हुक मार कर:। सहवाग ने परेशान होकर जवाब दिया, सहवाग:"यह गेंद कर रहा हैं, या भीख मांग रहा हैं"। इन सब के बाद आसपास खड़े खिलाड़ी भी अपनी हसने लगे। कुछ देर बाद सहवाग को लगा यह बाज़ नहीं आएगा और वो अखतर के पास गए और उन्हें कहा: सहवाग : वो देख तेरा बाप खड़ा हैं नॉन-स्ट्राइकर एंड पर, उसको बोल वो हुक मार कर दिखाएगा। दूसरे छोर पर सचिन खड़े थे। अख्तर ने सचिन को वही गेंद डाली और सचिन ने उसपर छक्का मार दिया, उसके बाद सहवाग अख्तर के पास गए और कहा:" सहवाग: "बाप बाप होता है और बेटा बेटा होता है"। यह सारी बात सहवाग ने शाहरुख को एक अवार्ड फंक्शन के वक्त बताई थी। 4- सहवाग vs क्लार्क एक बार ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के टाइम पर सचिन चोट के बाद वापसी कर रहे थे और उनसे रन नहीं बन रहे थे। ऑस्ट्रेलियन मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ माइकल क्लार्क जो उस समय, सचिन के करीब फ़िल्डिंग कर रहे थे, वो उनके पास गए और बोले" अब तुम्हारी उम्र हो गई है। तुम्हें अब खेलना छोड़ देना चाहिए"। सचिन ने इनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और अपनी बल्लेबाज़ी जारी रखी, लेकिन सहवाग से रहा नहीं गया और वो क्लार्क के पास गए और उन्हें कहा "तुम अपने काम से मतलब रखो और सचिन से भिड़ने की ज़रूरत नहीं हैं"। पर क्लार्क चुप नहीं हुए। जब यह सब देखकर सहवाग फिर से क्लार्क के पास गए और उनसे पूछा, तुम कितने साल के हो ? क्लार्क :" 23 साल" सहवाग : " तुम्हें पता है, जितनी तुम्हारी उम्र है, उससे ज्यादा इनके शतक हैं। अगर तुम्हें किसी से बदतमीजी करनी है, तो उससे करो जो तुम्हारी उम्र का हो"। फिर भी क्लार्क चुप नहीं हुए और अंत में सहवाग ने इन्हें चुप कराने का फैसला किया। सहवाग : "तुम्हारे टीम वाले तुम्हें पाप बुलाते हैं" क्लार्क: "हाँ"। वीरू : "कौन सी नस्ल"। उसके बाद सभी ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी चुप रहे। 5- सहवाग और रज़्ज़ाक़ यह घटना तब की है, जब सहवाग इंग्लैंड काउंटी टीम लेस्टरशायर के लिए खेल रहे थे। वीरू उस समय 8वे नंबर के बल्लेबाज़ जेरेमी स्नेप के साथ खेल रहे थे। वो अब्दुल रज़्ज़ाक़ को खेल रहे थे, जिन्होंने मैच में 2 विकेट पहले ही ले लिए थे। वो पुरानी गेंद से बॉलिंग कर रहे थे और उस समय गेंद काफी रिवर्स भी हो रहा था। जिससे बल्लेबाजों को खेलने में दिक्कत आ रही थी। अभी भी दिन में 40 ओवर बाकी थे और रिवर्स को देखते हुए यह ओवर खेलना मुश्किल ही लग रहा था। स्नेप सहवाग के पास गए और कहा " यह हमारा बंदर बना रहे है, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। तुम्हें ही कुछ करना होगा"। सहवाग के दिमाग में कुछ चल रहा था और उन्होंने कहा" मेरे पास एक प्लान हैं"। जब रज़्ज़ाक़ गेंद करने आए, वीरू ने आगे बढ़कर लंबा छक्का लगाया। उसके बाद अंपायर ने नई गेंद लेने का फैसला किया। उसके बाद सहवाग स्नेप के पास गए और कहा" यह नई गेंद ज्यादा स्विंग नहीं करेंगी,हम अगले दो घंटों तक सेफ हैं"। लेखक- वत्सल यादव, अनुवादक- मयंक महता