महेंद्र सिंह धोनी विश्व के इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के सारे सीमित ओवर टूर्नामेंट में टीम को चैंपियन बनाया है
Advertisement
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को काफी प्रतिभाशाली व्यक्ति माना जाता है। क्रिकट के खेल में महेंद्र सिंह धोनी ने अपना अलग ही मुकाम हासिल किया है। बल्लेबाजी से लेकर विकेटकीपिंग तक और कप्तानी से लेकर एक फिनिशर तक हर भूमिका में महेंद्र सिंह धोनी लाजवाब रहे हैं।
शांति और रचनात्मकता के प्रतीक एमएस धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान में से एक हैं। अपनी कप्तानी में महेंद्र सिंह धोनी ने ओडीआई और टी20 भारत को कई खिताब जीतवाए। इनमें टी20 विश्व कप (2007), ओडीआई विश्व कप (2011), चैंपियंस ट्रॉफी 2013 अहम रहे हैं। वहीं इंडियन प्रीमियर लीग में धोनी ने अपनी कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स को आईपीएल 2010 और 2011 के अलावा चैंपियंस लीग 2010 और 2014 में चैंपियन बनवाया है।
धोनी बल्लेबाजी, विकेटकीपिंग और कप्तानी के बेजोड़ संयोजन के तौर पर देखे जाते हैं। उनकी रणनीतियां और उनके जरिए मैदान पर लिए गए निर्णय अक्सर विपक्षी, विशेषज्ञों और प्रशंसकों को चकित करते हैं। एक कप्तान के रूप में एमएस धोनी मैदान पर हमेशा दो रणनीति के साथ कदम बढ़ाते हैं और अगर दोनो प्लान नाकाम साबित हो तो मैदान पर जल्द ही तीसरी रणनीति काम में लेकर विपक्षी को मात देते हैं।
आइए जानते हैं उन उदाहरणों के बारे में जो महेंद्र सिंह धोनी का प्रतिभा का धनी बनाती है।
#1 टी20 विश्व कप 2007
टी20 फॉर्मेट का पहला विश्व कप साल 2007 में खेला गया। इस विश्व कप में भारतीय टीम की कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी के हाथों में सौंपी गई। इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी करने का भी कुछ खास अनुभव नहीं था।
हालांकि इस टूर्नामेंट में क्रिकेट प्रशंसकों और विशेषज्ञों को टी20 विश्वकप 2007 में कप्तान के रूप में एमएस धोनी की मैच में जागरूकता और बुद्धि की पहली झलक देखने को मिली। एमएस धोनी इस टूर्नामेंट में प्रतिभाशाली युवाओं के समूह की अगुवाई कर रहे थे और उन्होंने आखिर में भारत को सुखद और अप्रत्याशित विश्व कप जीत के लिए प्रेरित किया।
इस टूर्नामेंट में भारत का पहला मुकाबला कट्टरपंथी पाकिस्तान के साथ हुआ। ये मैच निर्धारित ओवरों के बाद टाई पर समाप्त हुआ। जिसके बाद मैच का परिणाम बॉल ऑउट से तय किया गया। इस मैच में धोनी का बॉल ऑउट के वक्त पहला मास्टरस्ट्रोक तब आया जब उन्होंने नियमित गेंदबाजों की बजाय सहवाग, हरभजन और उथप्पा को गेंद फेंकने के लिए चुना।
इसके बाद दूसरा मास्टरस्ट्रोक ये रहा कि धोनी स्टंप के ठीक पीछे अपने घुटनों पर बैठ गए ताकि गेंदबाजों के लिए गेंद को स्टंप पर फेंकने में आसानी रहे। परिणामस्वरूप, सभी तीन गेंदबाजों ने पाकिस्तान से जीत छीनने के लिए गेंद को स्टंप पर मारने में सफलता हासिल की और भारत ने मैच जीत लिया।