ये 5 चीज़ें साबित करती हैं कि महेंद्र सिंह धोनी प्रतिभा के धनी हैं

#3 विश्व कप 2011 फ़ाइनल - युवराज से पहले बल्लेबाज़ी करने आना

साल 2011 का आईसीसी विश्वकप फाइनल भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया। मुंबई में खेले गए इस मैच में 275 रन के लक्ष्य का पीछा करने आई भारतीय टीम के शुरुआती विकेट जल्द गिर गए थे। 31 रन के स्कोर पर ही सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की जोड़ी पैवेलियन लौट चुकी थी। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में शुरुआती विकेट जाने के बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली ने पारी को संभालने की कोशिश की लेकिन विराट कोहली भी टीम इंडिया के 83 रन तक पहुंचते पहुंचते अपना विकेट गंवा बैठे। विराट को जाने के बाद सबको उम्मीद थी कि युवराज सिंह बल्लेबाजी करने के लिए मैदान पर आएंगे लेकिन महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर चौंकाने वाला फैसला किया और खुद मैदान पर बल्लेबाजी करने के लिए आ गए। दो कारणों की वजह से महेंद्र सिंह धोनी खुद बल्लेबाजी करने आए। #1 गंभीर के साथ क्रीज पर बाएं और हाथ हाथ का संयोजन बनाया जाए। धोनी इस बल्लेबाजी संयोजन के एक मजबूत पैरवीकार हैं क्योंकि इससे विपक्षी गेंदबाजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। #2 हालांकि युवराज उस समय एक अच्छी फॉर्म में थे लेकिन फिर भी युवराज दाएं हाथ के ऑफ़ स्पिन गेंदबाजों को खेलने में असहज महसूस करते थे और विरोधी भी इस बात को जान चुके थे। मुथैया मुरलीधरन के मैदान पर होने के कारण धोनी ने खुद को युवराज की जगह उतारा। इसके बाद नतीजा ये निकला की धोनी ने शानदार पारी खेलते हुए छक्का लगाकर भारत को विश्व विजेता बना डाला।

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