आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के शुरू होने में आज से मात्र एक दिन बचा है। ये टूर्नामेंट सन 1998 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी से खेला जा रहा है। साल 2002 में इसका नाम चैंपियंस ट्रॉफी कर दिया गया। जिसमें आईसीसी रैंकिंग की शीर्ष 8 टीमें भाग लेती हैं। यद्यपि इस टूर्नामेंट की खासियत ये रही है कि इसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी खेलते रहे हैं। लेकिन कई ऐसे खिलाड़ी भी रहे हैं जो दुर्भाग्यवश इस टूर्नामेंट का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह इन खिलाड़ियों को सीमित ओवर क्रिकेट में कम मौका मिला। साथ ही कुछ ने टेस्ट को ज्यादा तवज्जो दिया। आइये डालते हैं एक नजर:
जस्टिन लेंगर
जस्टिन लेंगर ऑस्ट्रेलियाई के बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। उन्होंने अपने 14 साल लम्बे क्रिकेट करियर में 105 टेस्ट मैचों में 45 के औसत से 7000 रन बनाये हैं। सन 2000 के दौर में लेंगर और हेडन की जोड़ी काफी मशहूर हुआ करती थी। हालांकि लेंगर ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ से मात्र 8 वनडे मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने 160 रन बनाये हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर उन्हें क्यों चैंपियंस ट्राफी में खेलने का मौका नहीं मिला। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई टीम के स्वर्णिम युग में लेंगर ही एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें वर्ल्ड कप में भी खेलने को नहीं मिला।
क्रिस मार्टिन
न्यूज़ीलैंड के क्रिस मार्टिन को लोग उनकी सटीक लाइन और लेंथ की गेंद फेंकने के लिए जानते हैं। जब उन्होंने अपना करियर खत्म किया था तो वह तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले न्यूज़ीलैंड के टेस्ट गेंदबाज़ थे। उनके नाम 231 टेस्ट विकेट दर्ज हैं। उनके इस शानदार रिकॉर्ड के बावजूद भी उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने का मौका नहीं मिला जो हैरान करता है। लेकिन इसके अलावा मार्टिन के नाम सबसे ज्यादा 36 जीरो पर आउट होने का भी रिकॉर्ड है। 13 साल के क्रिकेट करियर में मार्टिन को सिर्फ 20 वनडे में खेलने का मौका मिला था। इसी वजह से शायद वह चैंपियंस ट्रॉफी में भी नहीं खेल पाए। हालांकि मार्टिन को साल 2007 के वर्ल्डकप में चोटिल डेरल टफी की जगह टीम में मौका मिला था। लेकिन उन्हें एक भी मुकाबले में अंतिम 11 में नहीं शामिल किया गया था।
ब्रेड हॉज
ब्रेड हॉज ने शेफील्ड शील्ड क्रिकेट में विक्टोरिया की तरफ से खेलते हुए 223 प्रथम श्रेणी मैचों में 48 से ज्यादा के औसत से 10,474 रन बनाये हैं। जो एक रिकॉर्ड है। लेकिन उन्हें कभी भी ऑस्ट्रेलिया की तरफ से चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने का मौका नहीं मिला। ऑस्ट्रेलिया का मध्यक्रम उस समय बेहद मजबूत था, जिसकी वजह से ब्रेड हॉज को मात्र 25 वनडे और 15 टी-20 में ही खेलने का मौका मिला। जिसमें उन्होंने क्रमश: 575 और 183 रन बनाये हैं।
पीयूष चावला
15 वर्ष की उम्र में पीयूष चावला ने भारतीय अंडर 19 टीम में जगह बना लिया था। उसके बाद वह उत्तर प्रदेश की अंडर-22 टीम में भी शामिल किये गये। इसके अलावा चावला टी-20 वर्ल्डकप 2007 और वर्ल्डकप 2011 की विजेता भारतीय टीम के सदस्य भी रहे लेकिन उन्हें कभी भी चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने का मौका नहीं मिला। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चावला पीटरसन को आउट करने के बाद चर्चा में आ गये था, साथ ही उन्होंने शेन वाटसन को 117 किमी/घंटे की तेज स्पिन गेंद से बोल्ड कर दिया है। जो अभी तक की किसी भी स्पिन गेंदबाज द्वारा फेंकी गयी सबसे तेज गेंद है।
मोंटी पनेसर
मोंटी पनेसर इंग्लैंड क्रिकेट में बेहद अलग खिलाड़ी के रूप में याद किये जाएंगे। उन्हें एक समय इंग्लैंड की तरफ से लम्बे समय तक खेलने वाला स्पिनर माना जा रहा था। उनके करियर के शुरूआती दिनों में कोच डंकन फ्लेचर ने उन्हें दुनिया का सबसे बेहतरीन फिंगर स्पिनर बताया था। पनेसर ने तीन साल तक शानदार प्रदर्शन किया लेकिन अपने खराब व्यवहार की वजह से वह जल्द ही टीम से बाहर हो गये। पनेसर ने साल 2007 में कॉमनवेल्थ बैंक सीरिज में अपना डेब्यू किया था। जिसके बाद वह शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। उनके आड़े उनकी क्रिकेट नहीं बल्कि उनके व्यक्तिगत समस्यायें ज्यादा आ गयीं। 26 वनडे में 35 औसत से पनेसर ने 24 विकेट लिए थे।