'मिस्टर क्रिकेट' की उपाधि हासिल करने वाले हसी को किसी परिचय की जरुरत नहीं है। दर्शक के रूप में उनकी वन-डे व टेस्ट में निरंतरता देखना बहुत ही सुखद अनुभव था। हसी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने के लिए लगभग एक दशक तक इंतजार करना पड़ा था। 28 की उम्र में वन-डे में जबकि 30 की उम्र में हसी ने टेस्ट में डेब्यू किया। टेस्ट क्रिकेट में दो वर्ष के बाद उनकी औसत बढ़कर 86।18 हो गई। हसी ने सबसे तेज 1000 टेस्ट रन पूरे किए। उन्होंने 164 दिनों में यह किया और 2006 में आईसीसी वन-डे प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब जीता। उन्होंने 2010 टी20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल तक साबित किया कि वह खेल के हर प्रारूप में शानदार प्रदर्शन करेंगे। वह 24 गेंदों में 60 रन आसानी से बना देते थे। हसी आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के महत्वपूर्ण हिस्सा रहे। उन्हें पता था कि सफलता हासिल करने की कोई सीमा नहीं है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में देरी से एंट्री उन्हें उपलब्धियों को हासिल करने से नहीं रोक सकी।