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बाएं हाथ के स्पिनर ने 35 की उम्र में डेब्यू किया था। अंतरराष्ट्रीय टीम में इतनी देर से मौका मिलने के बावजूद हक ने करीब दस वर्ष खेला और इस दौरान उन्होंने 10 टेस्ट व 29 वन-डे खेले। उनके गेंदबाजी में मिश्रण की कमी के चलते वर्ष 2003 में उन्हें संन्यास लेना पड़ा। बांग्लादेश क्रिकेट में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। खेल के प्रति उनके प्यार ने उन्हें मैदान से दूर नहीं जाने दिया और अब वन अंपायर हैं। उन्होंने 2006 में अंपायरिंग शुरू की। 2012 में टेस्ट मैच में उन्होंने बतौर अंपायर अपनी पारी का डेब्यू किया। वह बांग्लादेश के पहले अंपायर बने जो न्यूट्रल मैच में दायित्व निभा रहे हों।
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