क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिन्हें फैंस काफी पसंद करते हैं। लोग इन खिलाड़ियों को हमेशा खेलते हुए देखना चाहते हैं लेकिन एक ना एक दिन इन दिग्गजों को भी संन्यास लेना पड़ता है और जब ये क्रिकेट को अलविदा कहते हैं तो वो पल फैंस और क्रिकेटर्स दोनों के लिए काफी इमोशनल होता है। आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने काफी भावुक तरीके से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा।
कोई भी खिलाड़ी जब क्रिकेट खेलना शुरु करता है तो उसकी सबसे बड़ी ख्वाहिश यही होती है कि वो एक दिन अपने देश का प्रतिनिधित्व करे। इनमें से कुछ खुशनसीब खिलाड़ियों को ये मौका मिल जाता है लेकिन कुछ प्लेयर्स को ये मौका नहीं मिलता है। वहीं कुछ खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं जो सालों तक अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस दौरान पूरी दुनिया में देश का गौरव बढ़ाते हैं। ये खिलाड़ी लोगों के चहेते बन जाते हैं और फैंस इन्हें हमेशा खेलते हुए देखना चाहते हैं लेकिन एक दिन इन दिग्गज प्लेयर्स को भी अलविदा कहना पड़ता है। आज हम उन्हीं कुछ खिलाड़ियों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अपने करियर में कई कीर्तिमान स्थापित किए लेकिन एक दिन उन्हें भी संन्यास लेना पड़ा। वो पल प्लेयर्स समेत फैंस के लिए भी काफी भावुक रहा।
5 दिग्गज क्रिकेटर जिनका विदाई मैच काफी भावुक रहा
5.सौरव गांगुली
सौरव गांगुली वो कप्तान थे जिन्होंने भारतीय टीम की दशा और दिशा ही बदल दी। मैच फिक्सिंग के जाल में उलझी भारतीय टीम को गांगुली ने निडर होकर खेलना सिखाया और विदेशों में जीत की राह दिखाई। इसके बावजूद इतने बड़े कप्तान की क्रिकेट से विदाई काफी निराशानजनक रही। ग्रेग चैपल के साथ हुए विवाद के बाद लगा कि वो वापसी नहीं कर पाएंगे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कमबैक किया।
6 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में उन्होंने एम एस धोनी की कप्तानी में अपना आखिरी टेस्ट मुकाबला खेला। उस वक्त गांगुली के सम्मान में धोनी ने उनको आखिर के कुछ ओवरों में कप्तानी करने के लिए कहा और गांगुली ने भी उसका पूरा मान रखा। सौरव गांगुली ने अपने आखिरी मुकाबले में 85 रन बनाए और भारत ने ऑस्ट्रेलिया से वो मैच 172 रनों से जीता। मैच के बाद पूरी टीम ने अपने फेवरिट कप्तान को कंधों पर बैठा लिया और उस सम्मान के साथ उनको विदाई दी, जो सम्मान गांगुली ने भारतीय टीम को इतने सालों तक दिलाया था।
4.लसिथ मलिंगा
लसिथ मलिंगा वो खिलाड़ी हैं जो पिछले कुछ सालों से अकेले श्रीलंका टीम की उम्मीदों का बोझ अपने कंधों पर लेकर चल रहे थे। 26 जुलाई 2019 को बांग्लादेश के खिलाफ कोलंबो में मुकाबले के बाद मलिंगा ने वनडे से संन्यास ले लिया।
मलिंगा के आखिरी वनडे मुकाबले के दौरान कोलंबो का आर प्रेमदासा स्टेडियम पूरी तरह से भरा हुआ था और इस दौरान उनके परिवार वाले भी मौजूद थे। अपने आखिरी मैच में मलिंगा ने 3 विकेट चटकाए और मैच के बाद उन्हें शानदार तरीके से विदाई दी गई। मलिंगा ने युवा खिलाड़ियों को मौका देने की बात कही और कहा कि संन्यास का यही सही वक्त है।
3.मुथैया मुरलीधरन
टेस्ट क्रिकेट में 800 विकेट लेकर इतिहास रचने वाले मुथैया मुरलीधरन की क्रिकेट से विदाई दिल तोड़ देने वाले रही। 2011 के वर्ल्ड कप में श्रीलंका की टीम फाइनल तक पहुंची और ये मुथैया मुरलीधरन का आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला भी था।
श्रीलंका की पूरी टीम वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उन्हें तोहफे में देना चाहती थी लेकिन ऐसा हो नहीं सका। 2 अप्रैल को जैसे ही एम एस धोनी ने नुवान कुलसेखरा की गेंद पर आखिरी छक्का लगाया वैसे ही मुरलीधरन के 19 साल लंबे करियर का एक दुखत अंत हो गया। एक तरफ जहां भारतीय टीम बल्लेबाजी के बादशाह सचिन तेंदुलकर को अपने कंधों पर उठाकर उन्हें वर्ल्ड कप से शानदार विदाई दे रही थी तो दूसरी तरफ स्पिन के जादुगर मुरलीधरन ने खामोशी से क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। वाकई में ये पल काफी भावुक था।
2.ब्रायन लारा
बाएं हाथ के क्लासिकल बल्लेबाज ब्रायन लारा जब अपने पूरे लय में खेलते थे तो हर कोई बस उन्हें ही देखता रह जाता था। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 12 हजार और वनडे में 10 हजार से ज्यादा रन बनाए। अक्सर लारा और सचिन के बीच तुलना होती थी लेकिन ये दिग्गज खिलाड़ी कभी आंकड़ों के फेर में नहीं पड़ा और चुपचाप अपना काम करता रहा।
2007 का वर्ल्ड कप वेस्टइंडीज में ही खेला जा रहा था और खबरें आ रही थी कि उसके बाद लारा को टीम से ड्रॉप कर दिया जाएगा लेकिन उससे पहले उन्होंने खुद संन्यास का ऐलान कर दिया और 21 अप्रैल 2007 को इंग्लैंड के खिलाफ अपना आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला खेला। उस मुकाबले में वो महज 18 रन ही बना पाए और वेस्टइंडीज को सिर्फ 1 रन से हार का सामना करना पड़ा। जब वो आउट होकर जाने लगे तो इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने दोनों तरफ खड़े होकर उनको शानदार विदाई दी। लेकिन इतने बड़े खिलाड़ी को हार के साथ अलविदा कहना पड़ा और इसके साथ ही क्रिकेट के एक युग का अंत हो गया।
1.सचिन तेंदुलकर
15921 टेस्ट रन, 18426 वनडे रन, शतकों का शतक...ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सचिन तेंदुलकर को यूं ही नहीं क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। 24 साल तक भारत की उम्मीदों का बोझ उठाने वाले सचिन तेंदुलकर ने जब अपना आखिरी मैच खेला तो हर किसी की आंखें नम थीं।
14 नवंबर 2013 को वानखेड़े स्टेडियम में सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर का आखिरी अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला खेला। मैच के बाद जब वो फेयरवेल स्पीच देने लगे तो सचिन समेत स्टेडियम में मौजूद दर्शकों और टीवी पर देख रहे हर एक क्रिकेट फैंस की आंखों से आंसू निकल रहे थे। हर कोई इस बात से गमजदा था कि अब वे सचिन को कभी उस 22 गज की पट्टी पर बल्ले से करिश्मा दिखाते हुए नहीं देख पाएंगे।