वैसे तो क्रिकेट एक परिवर्तनशील गेम है। इसके नियम, खेलने के कायदे-कानून, स्टाइल, फॉर्मेट समय-समय पर बदलते रहते हैं या सही से कहें तो इवाल्व करते रहते हैं। लेकिन गेंदबाजी इसका एक ऐसा पहलू है जो समय के साथ सबसे ज्यादा बदला है। क्रिकेट के शुरुआती सालों में अंडर-आर्म गेंदबाजी की जाती थी, जबकि आजकल इसे अवैध घोषित किया जा चुका है। अब सिर्फ राउंड आर्म गेंदबाजी को ही वैध माना जाता है। क्रिकेट के नए नियमों के अनुसार राउंड आर्म गेंदबाजी में भी वहीं गेंदबाजी वैध मानी जाएगी, जब गेंदबाज, गेंदबाजी करते वक्त अपने हाथ को कोहनी से 15 डिग्री से अधिक नहीं मोड़े। क्रिकेट विशेषज्ञों के अनुसार तकनीक रूप से वही गेंदबाज मजबूत होता है, जिसका रन-अप और एक्शन बिल्कुल सटीक हो। तो आज हम ऐसे ही पांच गेंदबाजों की बात करेंगे जिनका एक्शन क्रिकेट विशेषज्ञों के परंपरागत गेंदबाजी एक्शन की परिभाषा से मैच खाता हो। हमने अपनी इस सूची में चाइनामैन गेंदबाजों को छोड़कर बाएं और दाएं दोनों हाथ के गेंदबाजों को शामिल किया है। चमिंडा वास (खब्बू तेज गेंदबाज) आप यहां पर वसीम अकरम का नाम ना देखकर चौक सकते हैं, क्योंकि वह बाएं हाथ के गेंदबाजों में सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन चामिंडा वास का गेंदबाजी एक्शन अकरम से कही परंपरागत और किताबी था। वास का रन-अप कुछ खास लंबा नहीं होता था। लेकिन गेंद फेंकते समय वह अपने दाहिने हाथ को बाए हाथ से लगभग समानांतर रखते थे ताकि लगातार कंसिसटेंसी बनाया रखा जा सके। वास की गति भी इतनी खास नहीं होती थी कि उससे गेंदबाज डरने लगे, लेकिन मुथैया मुरलीधरन के साथ वह किसी भी बल्लेबाजी क्रम के लिए घातक थे। टीम में एकमात्र विश्वसनीय तेज गेंदबाज होने के बावजूद वास ने कभी अपने कप्तान को निराश नहीं किया और अपने टीम को अनगिनत मैच जिताए। वास के 355 टेस्ट और 400 वनडे विकेट उन्हें खेल के दोनों प्रमुख प्रारूपों में वसीम अकरम के बाद बाएं हाथ के दूसरे सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज के रूप में स्थापित करते हैं। श्रीलंका के युवा तेज गेंदबाज विश्व फर्नांडो के गेंदबाजी एक्शन में थोड़ा-बहुत वास के गेंदबाजी एक्शन का छाप देखा जा सकता है।
ग्लेन मैक्ग्रा (दाएं हाथ के तेज गेंदबाज) इस सूची के अन्य चार श्रेणियों में गेंदबाजों का चुनाव करना आसान था, वहीं दाएं हाथ के तेज गेंदबाजों के बीच सबसे परंपरागत और किताबी गेंदबाजी एक्शन को चुनना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। माइकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल, रिचर्ड हैडली और डेनिस लिली कुछ ऐसे नाम हैं, जिनके बीच से मैक्ग्रा का नाम आगे करना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। हालांकि मैक्ग्रा इन बड़े-बड़े नामों के बीच सबसे सरल एक्शन वाले गेंदबाज हैं। रन-अप लेते समय इस छरहरे गेंदबाज के शरीर के सभी हिस्से एक सिंक में रहते हैं। इसके बाद वह बहुत ही आसानी और पूर्ण नियंत्रण के साथ गेंदों को रिलीज करते हैं। आधुनिक युग में मैक्ग्रा ने जिस ढंग से बल्लेबाजों की तकनीक का पर्दाफाश किया है, उतना कोई भी तेज गेंदबाज नहीं कर पाया है। मार्शल और हेडली की तरह मैक्ग्रा भी क्रीज पर टिके बल्लेबाज के धैर्य की लगातार परीक्षा लेते रहते है। मैक्ग्रा द्वारा लिया गया टेस्ट मैचों में 563 विकेट क्रिकेट के इतिहास में किसी तेज गेंदबाज के द्वारा लिया गया सर्वाधिक विकेट है।
महान स्पिनर जिम लेकर से एक बार जब उनके सबसे बड़े सपने के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि मैं लॉर्ड्स के मैदान में एक एंड से रे लिंडवॉल और दूसरी एंड से बिशन सिंह बेदी को गेंदबाजी करते हुए देखना चाहता हूं। बिशन सिंह बेदी का गेंदबाजी एक्शन ऐसा था, जैसे एक घड़ी चल रही हो। उनका एक्शन मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता था और लोग उनको गेंदबाजी करना पसंद करते थे। उनके एक्शन में कोई भी त्रुटि निकालना लगभग असंभव था। वह अपने मजबूत बाजूओं के दम पर असामान्य फ्लाइट प्राप्त करते थे और बल्लेबाजों को हवाई शॉट खेलने को मजबूर करते थे। भले ही कुछ भारतीय स्पिनर टेस्ट विकेटों के मामले में बेदी से आगे निकल गए हों, लेकिन गेंदबाजी एक्शन के परफेक्शन के मामले में उनका कोई सानी नहीं।
एक पारी में 10 और एक टेस्ट मैच में कुल 19 विकेट लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले जिम लेकर का एक्शन अभूतपूर्व था। 46 टेस्ट मैच में 21.21 के उत्कृष्ट औसत से 193 विकेट लेने वाले इस गेंदबाज को उनके 1956 एशेज के मैनचेस्टर टेस्ट में किए गए इस प्रदर्शन के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। लेकिन इस महान गेंदबाज का विरासत इस टेस्ट मैच के अलावा भी बहुत कुछ था, जिसे कम ही लोग जानते हैं। दरअसल लेकर ने उन खुली पिचों पर अपनी धीमी गेंदबाजी का आनंद उठाया, जहां पर अन्य गेंदबाज संघर्ष करते हुए नजर आते थे। लेकर की इस सफलता में उनके पारंपरिक गेंदबाजी एक्शन का बहुत बड़ा योगदान था। वह अन्य स्पिनरों की तुलना में थोड़ा अधिक आगे आकर गेंदबाजी करते थे, जिससे बल्लेबाजों का ध्यान भंग होता रहता था। हाल के दिनों में केवल ग्रीम स्वान ही ऐसे गेंदबाज हैं जिनका एक्शन लेकर से थोड़ा-थोड़ा मिलता है।
अपने सर्वश्रेष्ठ दिनों में शेन वॉर्न क्रिकेट के फ्रैंक सिनात्रा माने जाते थे। हालांकि वॉर्न के समय में कई दूसरे गेंदबाज ऐसे भी हुए जो अपने कौशल को बढ़ाने के लिए अपने एक्शन और गति में नाटकीय परिवर्तन किए। लेकिन वॉर्न उनमें से नहीं थे। गेंदबाजी में तमाम वैरिएशन्स के बावजूद भी वह परंपरागत गेंदबाजी एक्शन और क्रिकेट के बेसिक्स से चिपके रहें। गुगली जैसे विधा में माहिर होने के बावजूद वह इसका प्रयोग कम ही करते थे। ग्रिप में बिना कुछ खास परिवर्तन करते हुए वह फ्लिपर का ही खतरनाक प्रयोग करते हैं। उनका रन-अप ऐसा होता था जैसे वह खुशी से बाग में टहलते हुए फिजूल में ही कुछ फेंक रहे हैं। लेकिन इस धीमे रन-अप के दौरान ही वह बल्लेबाजों के दिमाग को पढ़ लेते थे। अपने इस धीमे रन-अप और एक्शन के कारण वह गेंद को वहीं टिप्पा खिलाने में सफल होते थे, जहां से अधिक से अधिक पिच से फायदा मिलने की संभावना हो। वार्न की यही सटीकता उन्हें एक महान लेग स्पिनर बनाती है।
मूल लेखक - राम कुमार संपादक व अनुवादक - सागर