एक पारी में 10 और एक टेस्ट मैच में कुल 19 विकेट लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले जिम लेकर का एक्शन अभूतपूर्व था। 46 टेस्ट मैच में 21.21 के उत्कृष्ट औसत से 193 विकेट लेने वाले इस गेंदबाज को उनके 1956 एशेज के मैनचेस्टर टेस्ट में किए गए इस प्रदर्शन के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। लेकिन इस महान गेंदबाज का विरासत इस टेस्ट मैच के अलावा भी बहुत कुछ था, जिसे कम ही लोग जानते हैं। दरअसल लेकर ने उन खुली पिचों पर अपनी धीमी गेंदबाजी का आनंद उठाया, जहां पर अन्य गेंदबाज संघर्ष करते हुए नजर आते थे। लेकर की इस सफलता में उनके पारंपरिक गेंदबाजी एक्शन का बहुत बड़ा योगदान था। वह अन्य स्पिनरों की तुलना में थोड़ा अधिक आगे आकर गेंदबाजी करते थे, जिससे बल्लेबाजों का ध्यान भंग होता रहता था। हाल के दिनों में केवल ग्रीम स्वान ही ऐसे गेंदबाज हैं जिनका एक्शन लेकर से थोड़ा-थोड़ा मिलता है।
अपने सर्वश्रेष्ठ दिनों में शेन वॉर्न क्रिकेट के फ्रैंक सिनात्रा माने जाते थे। हालांकि वॉर्न के समय में कई दूसरे गेंदबाज ऐसे भी हुए जो अपने कौशल को बढ़ाने के लिए अपने एक्शन और गति में नाटकीय परिवर्तन किए। लेकिन वॉर्न उनमें से नहीं थे। गेंदबाजी में तमाम वैरिएशन्स के बावजूद भी वह परंपरागत गेंदबाजी एक्शन और क्रिकेट के बेसिक्स से चिपके रहें। गुगली जैसे विधा में माहिर होने के बावजूद वह इसका प्रयोग कम ही करते थे। ग्रिप में बिना कुछ खास परिवर्तन करते हुए वह फ्लिपर का ही खतरनाक प्रयोग करते हैं। उनका रन-अप ऐसा होता था जैसे वह खुशी से बाग में टहलते हुए फिजूल में ही कुछ फेंक रहे हैं। लेकिन इस धीमे रन-अप के दौरान ही वह बल्लेबाजों के दिमाग को पढ़ लेते थे। अपने इस धीमे रन-अप और एक्शन के कारण वह गेंद को वहीं टिप्पा खिलाने में सफल होते थे, जहां से अधिक से अधिक पिच से फायदा मिलने की संभावना हो। वार्न की यही सटीकता उन्हें एक महान लेग स्पिनर बनाती है।
मूल लेखक - राम कुमार संपादक व अनुवादक - सागर