एक बल्लेबाज़ के लिए अपने पहले टेस्ट मैच में शून्य पर आउट हो जाने से बुरा कुछ नहीं हो सकता। इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि पहले ही मैच में आप बिना खाता खोले ड्रेसिंग रूम की ओर बढ़ रहे हैं। पर इन पाँच खिलाड़ियों के लिए वह शून्य का आँकड़ा कुछ और ही कर गया। पहले मैच में शून्य पर आउट होकर भी ये खिलाड़ी हमेशा क्रिकेट के इतिहास में याद किए जाएँगे। वो पाँच खिलाडी हैं:
1- मार्वन अट्टापट्टू
पहली 6 इनिंग्स में 0,0,0,1,0,0,1 का स्कोर बनाकर इस खिलाडी ने अगले 10 मैचों में 30 से ज़्यादा रन नहीं बनाए। पर 10वें मैच में पहला शतक मारकर, उन्होंने पासा पलट दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। 39.02 की औसत से 90 टेस्ट में उन्होंने 16 शतक और 6 दोहरे शतक बनाए हैं। इस खिलाडी ने हर टेस्ट खेलने वाली टीम के खिलीफ शतक मारा है और अपनी टीम की कप्तानी भी सँभाली है।
2- एंड्रीयू सायमंड्स
2004 में श्री लंका के विरूद्ध अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाला यह खिलाडी भी पहले ही मैच में शून्य पर आउट हो गया था। उस पूरे दौरे में उन्होंने 25 से ज़्यादा रन नहीं बनाए और उन्हें अगली बार टीम में जगह नहीं मिली। 2005 में वॉटसन के चोटिल होने के कारण उन्हें स्थान मिला पर वे तब भी कुछ ख़ास पहचान नहीं बना पाए। उनके करियर की शुरूआत हुई 2005 के बॉक्सिंग डे टेस्ट से जब उन्होंने 54 गेंदों में 72 रन बनाए। उनकी सबसे यादगार पारी रही 2006 की 156 रन की पारी जो कि उन्होंने इंग्लैंड के विरूद्ध मारी थी। इस मैच में उन्होंने मैथ्यू हेडन के साथ 279 रन की साझेदारी करके टीम को संकट से उबारा था। 2009 में अपना अंतिम टेस्ट खेलकर, 40.61 की औसत से 40 शतकों के साथ 1642 रन बनाए। साइमंड्स आने वाले खिलाड़ियों की लिए अपनी बड़े शॉट मारने के कारण, शानदार फ़ील्डिंग के कारण और मध्यम और ऑफ़ स्पिन गेंद कराने के कारण एक मिसाल हैं।
3- सईद अनवर
1990 में वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ पाकिस्तान के आक्रामक बल्लेबाज़ अपने पहले टेस्ट मैच में मात्र 2 रन बना पाए। पर अपने तीसरे ही टेस्ट में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ उन्होंने 169 रन मारकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। अनवर ने 45.52 की औसत से 4052 रन बनाए जिसमें 11 शतक और 25 अर्धशतक शामिल है। अनवर टेस्ट में पाकिस्तान की तरफ़ से सातवें सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाडी है। 1999 में भारत के खिलाफ ईडन गार्डनस् में 188 रन की नाबाद पारी खेली। और वे ऐसा करने वाले पाकिस्तान के तीसरे खिलाडी बन गए।
4-सर लेन हटन
इंग्लैंड के इस खिलाडी ने 1937 में अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत करी और पहली दो पारियों में केवल 0,1 रन बनाए। लेकिन अगले ही मैच में शतक जमाकर उन्होंने अपना फ़ॉर्म दर्शाया। हटन ने 79 मैचों में 56.67 की औसत से 6971 रन बनाए जिसमें 19 शतक शामिल है। वे लगभग 20 साल तक अपनी टीम की ओर से सबसे ज़्यादा 364 रन बनाने वाले खिलाडी बने। उन्होंने यह कमाल 1938 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओवल में किया। उन्होंने 513 टेस्ट मैचों में 129 शतक ज़माने का रिकॉर्ड भी बनाया है।
5-ग्राहम गूच
1975 में अपने पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे मात्र 2 रन बना पाए। अगले टेस्ट में भी वे केवल 6 और 31 रन ही बना पाए और टीम से भी बाहर हो गए। तीन साल तक के बैन के बाद उन्होंने अपना फ़ॉर्म हासिल किया और इंग्लैण्ड की टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे। इंग्लैण्ड के सर्वश्रेष्ठ कप्तान ने 8000 टेस्ट रन मारे जिसमें 20 शतक शामिल है। वेस्ट इंडीज़ की ख़तरनाक गेंदबाज़ी के सामने 154 रन की पारी के लिए इन्हें सबसे ज़्यादा याद किया है। गूच ने अपने टेस्ट कैरियर की 333 रन की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली। गूच उन 25 खिलाड़ियों में से एक है जिन्होंने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में 100 टेस्ट शतक मारे हैं। लेखक-ट्रॉय, अनुवादक-सेहल जैन