2- एंड्रीयू सायमंड्स
2004 में श्री लंका के विरूद्ध अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाला यह खिलाडी भी पहले ही मैच में शून्य पर आउट हो गया था। उस पूरे दौरे में उन्होंने 25 से ज़्यादा रन नहीं बनाए और उन्हें अगली बार टीम में जगह नहीं मिली। 2005 में वॉटसन के चोटिल होने के कारण उन्हें स्थान मिला पर वे तब भी कुछ ख़ास पहचान नहीं बना पाए। उनके करियर की शुरूआत हुई 2005 के बॉक्सिंग डे टेस्ट से जब उन्होंने 54 गेंदों में 72 रन बनाए। उनकी सबसे यादगार पारी रही 2006 की 156 रन की पारी जो कि उन्होंने इंग्लैंड के विरूद्ध मारी थी। इस मैच में उन्होंने मैथ्यू हेडन के साथ 279 रन की साझेदारी करके टीम को संकट से उबारा था। 2009 में अपना अंतिम टेस्ट खेलकर, 40.61 की औसत से 40 शतकों के साथ 1642 रन बनाए। साइमंड्स आने वाले खिलाड़ियों की लिए अपनी बड़े शॉट मारने के कारण, शानदार फ़ील्डिंग के कारण और मध्यम और ऑफ़ स्पिन गेंद कराने के कारण एक मिसाल हैं।