क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। कभी कोई खिलाड़ी 50 गेंद में 100 रन बना देता है तो वही खिलाड़ी अगले ही मैच में पहली ही गेंद पर आउट हो जाता है या फिर एक-एक रन के लिए उसे संघर्ष करना पड़ता है। हर फॉर्मेट के हिसाब से खिलाड़ी भी उसमें ढल जाते हैं। अक्सर ज्यादातर बल्लेबाज अपना एक फॉर्मेट चुन लेते हैं और वो उसमें शानदार प्रदर्शन करते हैं। क्रिकेट फैंस भी उनको उस फॉर्मेट में देखने के आदी हो जाते हैं। लेकिन हर बार क्रिकेटर इसमें सफल नहीं होते हैं। अब ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज माइकल बेवन का ही उदाहरण ले लीजिए जिन्हें ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट क्रिकेट का स्टार खिलाड़ी आंका गया था, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में वो असफल रहे। वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने अपने फॉर्मेट जोन से बाहर निकलकर अच्छा प्रदर्शन किया। उन्हें उस फॉर्मेट का अच्छा खिलाड़ी नहीं माना गया फिर भी उन्होंने उसमें शानदार सफलता हासिल की। आइए आपको बताते हैं वर्ल्ड क्रिकेट के ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने अपने जोन से बाहर निकलकर उस फॉर्मेट में भी सफलता हासिल कि जिसके लिए उनसे उम्मीद नहीं की गई। 5. हाशिम अमला- दक्षिण अफ्रीका (टी-20) दिग्गज खिलाड़ी हाशिम अमला दक्षिण अफ्रीका की वनडे और टेस्ट टीम का अहम हिस्सा हैं। हमला लंबी पारी खेलने का माद्दा रखते हैं और पारी को बड़ी खूबसूरती से आगे बढ़ाते हैं। इस समय टेस्ट क्रिकेट में हाशिम अमला दिग्गज बल्लेबाजों में से एक हैं। हालांकि अमला को टी-20 मैचों का अच्छा खिलाड़ी नहीं माना गया । जिस तरह से अमला बल्लेबाजी करते हैं उसे टी-20 की अनुरुप नहीं माना गया । लेकिन अमला ने सबकी उम्मीदों के उलट टी-20 में अच्छी बल्लेबाजी की। अमला ज्यादातर ग्राउंडेड शॉट खेलते हैं और स्ट्राइक रेट कम नहीं होने देते। हाशिम अमला 38 टी-20 मैचों में 32.42 की औसत से 1070 रन बना चुके हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 129.85 रहा। भले ही अमला को कभी इस फॉर्मेट का अच्छा खिलाड़ी नहीं माना गया लेकिन अपनी बल्लेबाजी से उन्होंने सबको गलत साबित कर दिया। 4. डेविड वॉर्नर-ऑस्ट्रेलिया (टेस्ट) दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टी-20 सीरीज से डेविड वॉर्नर ने ऑस्ट्रेलिया के लिए धमाकेदार आगाज किया। वॉर्नर की विस्फोटक बल्लेबाजी को देखकर उन्हें वनडे और टी-20 का बेहतरीन खिलाड़ी माना गया। उन्हें पूर्व दिग्गज एडम गिलक्रिस्ट के रिप्लेसमेंट के तौर पर देखा गया और अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से उन्होंने इसको साबित भी किया। आक्रामक बल्लेबाजी की वजह से वॉर्नर को सिर्फ वनडे और टी-20 का ही बल्लेबाज माना गया, टेस्ट मैचों का नहीं। लेकिन वॉर्नर ने वनडे और टी-20 की तरह टेस्ट मैचको भी उसी तरह अपना लिया। टेस्ट मैचों में वॉर्नर ने काफी अच्छी बल्लेबाजी की। 61 टेस्ट मैचों में वॉर्नर 48.70 की औसत से 5309 रन बना चुके हैं। क्रिकेट के लंबे प्रारुप में वो अब तक 18 शतक भी जड़ चुके हैं। वॉर्नर की खूबी ये है कि टेस्ट मैचों में भी मौका मिलने पर वो गेंद को बाउंड्री लाइन से बाहर पहुंचाने में नहीं चूकते। वहीं दूसरी तरफ जरुरत पड़ने पर वो काफी धैर्य के साथ भी बल्लेबाजी करते हैं। इसी वजह से उन्हें टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलियाई टीम का उपकप्तान बनाया गया है और लंबे प्रारुप में वो टीम के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज बन गए हैं।
डेविड वॉर्नर की ही तरह एडम गिलक्रिस्ट ने अपने करियर की शुरुआत एक तूफानी सलामी बल्लेबाज के तौर पर की थी। अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से गिलक्रिस्ट महज कुछ ओवरों के अंदर मैच का पासा पलट देते थे। वनडे क्रिकेट में उनके पास कई तरह के शॉट थे। उस समय इयान हीली टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज थे। जबकि एडम गिलक्रिस्ट वनडे मैचों में कंगारु टीम के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज बन गए। इन दोनों बल्लेबाजों की वजह से उस समय टेस्ट और वनडे में ऑस्ट्रेलियाई टीम का एकछत्र दबदबा था। आक्रामक शैली की वजह से गिलक्रिस्ट को टेस्ट मैचों का खिलाड़ी नहीं माना गया। पहली बार 1999 में उन्हें ब्रिस्बेन टेस्ट में हीली की जगह टीम में शामिल किया गया। हालांकि उस समय फैंस ने इसे सही नहीं माना। लेकिन गिलक्रिस्ट ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। टेस्ट मैचों में नंबर 7 पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने काफी रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट की अपनी पहली पारी में गिली ने 88 गेंदों पर 81 रन बनाए। इसके बाद गिलक्रिस्ट ने कई मैचों में बेहतरीन पारियां खेलीं। टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 47.60 का रहा, जबकि विकेट के पीछे उन्होंने 416 शिकार भी किए। टेस्ट मैचों में किसी ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर का ये रिकॉर्ड है।
एक दशक से भी ज्यादा समय तक महेला जयवर्द्धने ने कुमार संगकारा के साथ मिलकर श्रीलंकाई बल्लेबाजी के लिए रीढ़ का काम किया। जयवर्द्धने का टेस्ट क्रिकेट के बेमिसाल खिलाड़ी थे। उनकी तकनीक काफी अच्छी थी और वो काफी ग्राउंडेड शॉट खेलते थे। श्रीलंका के लिए उन्होंने कई बेहतरीन यादगार पारियां खेलीं। टेस्ट क्रिकेट में उनके नाम 34 शतक हैं। जबकि 374 रनों का मैराथन स्कोर उनकी बेस्ट पारी है। जयवर्द्धने को सिर्फ टेस्ट और वनडे मैचों का ही खिलाड़ी माना गया। उनकी बल्लेबाजी शैली को टी-20 के अनुरुप नहीं माना गया। जयवर्द्धने लंबे-लंबे शॉट नहीं खेलते थे शायद इसी वजह से उन्हें टी-20 का अच्छा बल्लेबाज नहीं माना गया। लेकिन कहते हैं कि अच्छा खिलाड़ी वही होता है जो हर फॉर्मेट को अपना ले। जयवर्द्धने एक क्लासिकल प्लेयर थे। उनके पास क्रिकेट का हर शॉट था। टेस्ट और वनडे की तरह टी-20 में भी उन्होंने अपनी महानता साबित की। 55 टी-20 मैचों में उन्होंने 31.76 की औसत से रन बनाए। इस दौरान उन्होंने एक शतक और 9 अर्धशतक भी लगाया। 1.वीरेंदर सहवाग-इंडिया (टेस्ट) वीरेंदर सहवाग के बिना ये लिस्ट अधूरी सी लगती है। टेस्ट क्रिकेट में सहवाग ने सलामी बल्लेबाज की परिभाषा ही बदल दी। अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से उन्होंने क्रिकेट में एक नई धारणा स्थापित की कि टेस्ट क्रिकेट में भी सलामी बल्लेबाज आक्रामक बल्लेबाजी कर सकता है। अपनी आक्रामक बल्लेबाजी की वजह से उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कई टीमों को परेशान किया। सहवाग वनडे मैचों में काफी तूफानी बल्लेबाजी करते थे इसलिए उन्हें टेस्ट का खिलाड़ी नहीं माना गया। लेकिन 'वीरू' ने अपनी बल्लेबाजी से सबको गलत साबित कर दिया। 104 टेस्ट मैचों में उन्होंने 49.34 की औसत से 8586 रन बनाए। टेस्ट मैचों में सहवाग के ना दो-दो तिहरे शतक हैं। जबकि इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 82.2 का रहा। इतनी अच्छी स्ट्राइक रेट किसी-किसी खिलाड़ी की वनडे क्रिकेट में भी नहीं रहती ।
लेखक-रोहित संकर अनुवादक-सावन गुप्ता