डेविड वॉर्नर की ही तरह एडम गिलक्रिस्ट ने अपने करियर की शुरुआत एक तूफानी सलामी बल्लेबाज के तौर पर की थी। अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी से गिलक्रिस्ट महज कुछ ओवरों के अंदर मैच का पासा पलट देते थे। वनडे क्रिकेट में उनके पास कई तरह के शॉट थे। उस समय इयान हीली टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज थे। जबकि एडम गिलक्रिस्ट वनडे मैचों में कंगारु टीम के नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज बन गए। इन दोनों बल्लेबाजों की वजह से उस समय टेस्ट और वनडे में ऑस्ट्रेलियाई टीम का एकछत्र दबदबा था। आक्रामक शैली की वजह से गिलक्रिस्ट को टेस्ट मैचों का खिलाड़ी नहीं माना गया। पहली बार 1999 में उन्हें ब्रिस्बेन टेस्ट में हीली की जगह टीम में शामिल किया गया। हालांकि उस समय फैंस ने इसे सही नहीं माना। लेकिन गिलक्रिस्ट ने अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। टेस्ट मैचों में नंबर 7 पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने काफी रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट की अपनी पहली पारी में गिली ने 88 गेंदों पर 81 रन बनाए। इसके बाद गिलक्रिस्ट ने कई मैचों में बेहतरीन पारियां खेलीं। टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 47.60 का रहा, जबकि विकेट के पीछे उन्होंने 416 शिकार भी किए। टेस्ट मैचों में किसी ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर का ये रिकॉर्ड है।