राहुल द्रविड़ से हम जीवन के ये 5 मंत्र सीख सकते हैं

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किसी भी टीम स्पोर्ट्स में एक खिलाड़ी के लिये एक टीम खिलाड़ी होना चाहिए, और ऐसे में वह खिलाड़ी टीम की जीत में अहम किरदार तो निभाता ही है, साथ ही टीम का एक अहम हिस्सा बन कर उभरता है। द्रविड़ को यही विशेषता उनके टीम के अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती थी कि टीम में वरिष्ठ खिलाड़ियों में से एक होने के बावजूद टीम के लिए जरूरी काम करने की उनमे सहज गुणवत्ता थी। जब भारतीय टीम ने सौरव गांगुली की कप्तानी में एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ खिलाने का फैसला किया, तो राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपिंग दस्ताने पहनने की पहल की और फिनिशर की भूमिका निभाने के लिए नंबर 5 पर जा कर खेले। विकेटकीपिंग एक कठिन काम है और यह तथ्य कि द्रविड़ ने इसे निभाया है, यह दर्शाता है कि उन्होंने कैसे टीम को खुद से ऊपर रखा दर्शाता है। इसके अलावा, नंबर 5 के नीचे जा के बल्लेबाज़ी करने के चलते उनके बड़े रन बनाने के अवसर सीमित हो गये, फिर भी वह भारत के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक बने, क्योंकि वह उस अवधि के दौरान खेल में सबसे अच्छे खिलाड़ी बने थे।

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