सौरव गांगुली के क्रिकेट करियर का सबसे बड़ा विवाद ग्रेग चैपल से हुआ था। गांगुली ने बतौर खिलाड़ी हरफनमौला क्रिकेट खेला और कप्तान के तौर वह निडर और एकतरफा सोच वाले फैसले लेने के लिए जाने जाते थे। लेकिन चैपल विवाद से उनके करियर पर काफी फर्क पड़ा। जॉन राईट के बाद गांगुली की पसंद के ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज ग्रेग चैपल भारत के कोच बने। लेकिन धीरे-धीरे गांगुली से उनकी जंची नहीं और पहले गांगुली को कप्तानी गयी और बाद में उन्हें टीम से भी बाहर कर दिया गया। जिसके बाद गांगुली ने दिलीप ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया और टीम में उन्होंने वापसी की। वापसी के बाद गांगुली ने टेस्ट और वनडे मिलाकर 55 मैचों में 3111 रन बनाये। जहां उनका औसत 45 का रहा। यहां तक की उन्होंने संन्यास भी अपनी शर्तों पर लिया। गांगुली की इस वापसी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं, ज़िन्दगी में हम क्या हो सकते हैं असफल ही न! लेकिन क्या हम असफलता के बाद घर में बैठ जाएँ, बिलकुल नहीं क्योंकि असफलता के बाद मिली सफलता हमें और मजबूत और बेहतर इन्सान बनाती है। गांगुली ने कभी हार नहीं मानी और बैठने के बजाय लड़ना जारी रखा। लेखक- राम कुमार, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी