जीवन से जुड़ी 5 बातें जो वीरेंदर सहवाग से सीखी जा सकती हैं

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# 4. अपनी पहचान बनाना
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अपने करियर के अंतिम समय पर सहवाग ने यह स्वीकार किया कि वह जब पहली बार भारतीय टीम में शामिल हुए तो वह सचिन तेंदुलकर की तरह बल्लेबाजी करना चाहते थे। इस सलामी बल्लेबाज ने साथ ही कहा कि, "मुझे एहसास हुआ कि केवल एक ही तेंदुलकर हो सकता है और मैंने अपना स्टांस और बैक-लिफ्ट बदल दिया। मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपना खेल बदलना चाहिए और मैंने यह किया। उसके बाद, मैं अपनी तकनीक से खेल रहा था।" जब सहवाग क्रिकेट के मैदान पर उतरे तो तेंदुलकर के साथ समानता की बात होनी ही थी। क्रीज पर समय गुजारते वक्त उनके हर एक शॉट से लेकर उनके खड़े होने के तरीके तक सहवाग ने दिग्गज बल्लेबाज का अनुकरण किया। हालांकि, जैसे-जैसे लोगों ने सचिन के साथ उनकी समानता की चर्चा करना शुरू किया, उन्होंने अपनी खुद की पहचान बनाने की आवश्यकता को समझा और धीरे-धीरे अपनी एक खिलाड़ी के तौर पर अलग पहचान बनाई। जैसा अक्सर कहा जाता है, प्रत्येक व्यक्ति के पास उसकी अनूठी शक्तियां और कमजोरियां भी होती हैं। बस उसकी खोज और पहचान करने की देरी होती है। सही कोशिश करने पर हमें खुद के चरित्र विकास में मदद मिलती है।

Edited by Staff Editor
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