एक समय था जब अधिकांश टेस्ट सलामी बल्लेबाज नयी गेंद के सामने तेज़ गेंदबाजों के पहले स्पेल को समय गुजारते हुए आराम से खेलते थे। ऐसे में सहवाग ने खेल की गति में बदलाव की शुरुआत की जब विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजों के सामने भी उन्होंने आक्रमक शॉट लगाने शुरू कर दिये। पारी की शुरुआत की यह विधि प्रशंसकों के साथ सभी गेंदबाज़ों के लिये भी एक नई विधा थी।
बॉब वूल्मर, जो अपने समय के सबसे तेज क्रिकेट के दिमाग में से एक थे, ने सहवाग को 'अत्याधुनिक स्लोगर' का नाम दिया। उन्होंने अपने खेलने का यह तरीका कायम रखा और दाएं हाथ के बल्लेबाज के ऐसे आक्रमक स्वभाव ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 50 ओवर के प्रारूप में 200 रन बनाने के अलावा, उन्होंने टेस्ट मैचों में दो तिहरे शतक और छह दोहरे शतक भी बनाए।
प्रथाओं को तोड़ना, नए तौर-तरीकों को स्थापित करने के लिए आवश्यक है, लेकिन परिवर्तन परंपरा की कीमत पर नहीं आ सकता है और नए रास्तों पर गति बनाये रखते हुए खुद को विकसित करने की भी कला अनिवार्य है।
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