एकदिवसीय मैचों में लगातार लंबे समय तक मैच हारने वाली 5 बड़ी टीमें

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जिस तरह जीतना एक आदत है, उसी तरह हारना भी एक बुरी आदत। हालांकि कहा जाता है कि हर दिन एक नया दिन होता है और हर मैच एक नया मैच, लेकिन अगर आपको पिछले मैच में हार मिली हो तो उसके दबाव से उबरना कतई आसान नहीं होता। कई बार यह हारने का सिलसिला अनेक मैचों तक जारी रहता है, जिसे टीम का खराब फॉर्म या बुरा दौर भी कहते हैं।

क्रिकेट के इतिहास में कभी न कभी लगभग हर बड़े टीम को इस 'बुरे दौर' से गुजरना पड़ा है। इस बुरे दौर में आप कितना भी कुछ सही कर लें, आपके साथ चीजें गलत ही होती हैं।

आजकल श्रीलंकाई टीम भी इसी बुरे दौर से गुजर रही है। टेस्ट सीरीज में पाकिस्तानी टीम को पराजित करने के बाद श्रीलंकाई टीम को लगा था कि वह एकदिवसीय सीरीज में भी ऐसा दोहरा सकेगी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। पाकिस्तान ने इस सीरीज में श्रीलंका को 5-0 से क्लीन स्वीप कर दिया।

पाकिस्तान के हाथों 23 अक्टूबर को नौ विकेट से हार श्रीलंका की वनडे मैचों में लगातार 12 वीं हार है। यह सिलसिला जुलाई 2017 में शुरू हुआ था, जब जिम्बाब्वे ने श्रीलंका को उसके ही घर में आखिरी दो एकदिवसीय मैचों में हरा दिया। इसके बाद भारत ने भी श्रीलंका को श्रीलंका में 5-0 से हराया और फिर पाकिस्तानी टीम ने भी संयुक्त अरब अमीरात में यही कारनामा कर दिखाया। इस तरह श्रीलंकाई टीम लगातार 12 एकदिवसीय मैच हार चुकी है।

अतीत में कई प्रमुख क्रिकेट खेलने वाले देश भी ऐसे बुरे दौर से गुजर चुके हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलिया और भारत ने कभी भी लगातार 10 वनडे नहीं गवायां है, इसलिए वे इस सूची में शामिल नहीं है। तो आज चर्चा ऐसे ही कुछ प्रमुख क्रिकेट खेलने वाले देशों के एकदिवसीय मैचों में बुरे दौर की।

नोट- इस सूची में 1987 के श्रीलंका की लगातार 14 हार को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि तब श्रीलंका ने क्रिकेट खेलना शुरू ही किया था।

वेस्टइंडीज (11 हार)

दो बार की विश्व चैंपियन कैरिबियाई टीम को एकबारगी लगातार 11 हार की बदनामी से गुजरना पड़ा था। यह सिलसिला फरवरी 2005 से शुरू हुआ था, जो लगातार छह महीने तक चला।

इसकी शुरूआत वीबी सीरीज के आखिरी चरण में पाकिस्तान के खिलाफ हार से हुई थी। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम ने वेस्टइंडीज को उनके ही घर में 5-0 से हराया। दक्षिण अफ्रीका ने इस सीरीज के चार मैचों में लक्ष्य का पीछा किया और आसानी से सभी मैचों को जीता।

वेस्टइंडीज को लक्ष्य का पीछा करने का एकमात्र मौका तीसरे एकदिवसीय मैच में मिला, जिसे चार्ल्स लांगेवेल्ट की नाटकीय हैट्रिक के लिए याद किया जाता है। इस मैच में वेस्टइंडीज को अंतिम चार गेंदों पर केवल दो रनों की जरूरत थी और उसके तीन विकेट शेष थे। वेस्टइंडीज इस मैच में आसानी से जीत रहा था लेकिन लांगेवेल्ट ने हैट्रिक लेकर इस आसान काम को मुश्किल बना दिया।

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इसके बाद अब बारी पाकिस्तान की थी, जो 3 मैचों के एकदिवसीय श्रृंखला के लिए कैरिबियाई द्वीप का दौरा कर रही थी। अब्दुल रज्जाक के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज को 3-0 से हरा दिया।

इसके बाद वेस्टइंडीज त्रिकोणीय टूर्नामेंट इंडियन ऑयल कप में खेलने के लिए श्रीलंका पहुंचा। खिलाड़ियों से विवाद के कारण वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड को इस टूर्नामेंट में एक दोयम दर्जे की टीम को भेजना पड़ा। जाहिर तौर पर परिणाम लगातार दो और हार था। अंततः डांबुला में यह सिलसिला टूटा जब वेस्टइंडीज ने श्रीलंका को 33 रन से हरा दिया।

इंग्लैंड (11 हार)

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2000 के दशक में इंग्लैंड की टीम को सीमित ओवरों के क्रिकेट में बहुत ही संघर्ष करना पड़ा था। हालांकि उन्होंने टेस्ट मैचों में सफलता का आनंद लिया लेकिन एकदिवसीय क्रिकेट में वह बुरी तरह नाकाम रहें।

इंग्लैंड टीम के पास एलेक स्टीवर्ट, माइकल वॉन, एंड्रयू फ्लिंटॉफ, ग्रीम हिक, ग्राहम थॉर्प और डैरेन गॉफ जैसे टेस्ट खिलाड़ियों का एक पूल था, लेकिन यही खिलाड़ी सीमित ओवर के क्रिकेट में संघर्ष करते हुए दिखाई देते थे।

अंग्रेज टीम के हार का सिलसिला अक्टूबर 2000 में पाकिस्तान के दौरे से शुरू हुआ। शाहिद अफरीदी के हरफनमौला प्रदर्शन (69 रन और 5 विकेट) की बदौलत पाकिस्तान ने इंग्लैंड को लाहौर के दूसरे वनडे मैच में 8 विकेट से हराया। इसके बाद इंग्लैंड अगला मैच भी हारकर श्रृंखला 1-2 से हार गई।

इसके बाद अंग्रेजों ने श्रीलंका का दौरा किया। यहां पर इंग्लैंड ने टेस्ट सीरीज में 2-1 से जीत हासिल की, लेकिन वनडे सीरीज में 0-3 से हार गए। श्रीलंका के लिए ये मुकाबले बिल्कुल आरामदायक साबित हुए। इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि तीसरे वनडे में श्रीलंका ने बिना कोई विकेट खोए इंग्लैंड के 166 रनों के लक्ष्य का पीछा कर लिया।

इसके बाद इंग्लिश टीम ने 2001 की शुरूआत में नेटवेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान की मेजबानी की। इंग्लैंड यहां घरेलू मैदान और माहौल का फायदा नहीं उठा पाई और उसे सीरीज के सभी छह मैचों में हार का सामना करना पड़ा। इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 209 रन का पीछा करते हुए इंग्लैंड की टीम केवल 86 रनों पर ऑलआउट हो गई।

अंतत: यह सिलसिला तब टूटा, जब इंग्लैंड ने कमजोर माने जाने वाली जिम्बाब्वे का दौरा किया। जिम्बाब्वे के रूप मे इंग्लिश टीम को एक आसान शिकार मिल गया, जहां उन्होंने 5-0 की जीत दर्ज की। हालांकि इस दौरान इंग्लैंड को बिना जीत के 8 महीने गुजारने पड़े।

दक्षिण अफ्रीका (10 हार)

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यह कहानी एक शानदार उदाहरण है कि कैसे अकूत प्रतिभा और कौशल होने के बावजूद जीत आपसे दूर रहता है। यह उस दौर की कहानी है जब अफ्रीकी टीम के पास ग्रीम स्मिथ, जैक्स कैलिस, हर्शल गिब्स, शॉन पोलॉक, लांस क्लूसनर और मखाया एनटिनी जैसे मैच जिताऊ खिलाड़ी हुआ करते थे, लेकिन इस टीम को भी लगातार 10 मैचों तक जीत से महरूम रहना पड़ा था।

इसकी शुरूआत 2004 में हुई, जब न्यूजीलैंड दौरे पर गई अफ्रीकी टीम को सीरीज के दूसरे एकदिवसीय मैच में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद तो दक्षिण अफ्रीका को कोई मौका नहीं मिला और उसे 6 मैचों की सीरीज में 5-1 से हार मिली। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका की अगली चुनौती 'श्रीलंका में श्रीलंका' थी। इस सीरीज में स्पिन के खिलाफ उनकी परंपरागत कमजोरी फिर से उजागर हुई और उसे सीरीज में 0-5 से हार का सामना करना पड़ा।

करिश्माई स्पिनर मुरलीधरन की गैरमौजूदगी के बावजूद भी अफ्रीकी टीम स्पिन के चंगुल से बच नहीं सकी। श्रीलंका के कामचलाऊ स्पिनरों तिलकरत्ने दिलशान और उपुल चंदना ने सीरीज में 8-8 विकेट लिए।

न्यूजीलैंड (10 हार) <p/>

2010 में ब्लैककैप्स के नाम से मशहूर न्यूजीलैंड की टीम को लगातार 10 एकदिवसीय मैचों में हार का सामना करना पड़ा। कीवी टीम ने 2011 के विश्व कप से पहले एशियाई देशों का एक लंबा दौरा किया। सबसे पहले वे श्रीलंका की मेजबानी में त्रिकोणीय सीरीज खेलने गए, जहां पर तीसरी टीम भारत थी। कीवी टीम इस श्रृंखला के फाइनल में भी जगह नहीं बना सकी। इस टूर्नामेंट के आखिरी ग्रुप मैच में भारतीय तेज गेंदबाजों के खिलाफ वे सिर्फ 30 ओवर में ही 118 रन पर सिमट गए। बेहतर परिणाम की खोज में न्यूजीलैंड इसके बाद बांग्लादेश पहुंची, लेकिन दुर्भाग्य ने यहां भी कीवी टीम का पीछा नहीं छोड़ा। इस सीरीज में बांग्लादेश ने न्यूजीलैंड को 4-0 से हरा दिया, जिससे पूरा क्रिकेट जगत हतप्रभ रह गया। यह पहला मौका था जब एक प्रमुख टेस्ट देश को बंग्लादेश ने इस कदर क्लीन स्वीप किया था। हालांकि न्यूजीलैंड के लिए शर्मिंदगी का दौर अभी खत्म नहीं हुआ था। न्यूजीलैंड ने इसके बाद सीमा पार करते हुए भारत का दौरा किया, जहां उसे फॉर्म में चल रही भारतीय टीम से भिड़ना था। टेस्ट सीरीज में 0-1 से हारने के बाद न्यूजीलैंड को आईपीएल की अनुभव की बदौलत वनडे क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी। लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को 5-0 से सफाया कर दिया। इन पांच मैचों में से तीन में भारत ने 8 या अधिक विकेट के अंतर से जीत हासिल की। इस तरह यह वनडे मैचों में न्यूजीलैंड की दसवीं हार थी। यह सिलसिला जनवरी 2011 में खत्म हुआ जब न्यूजीलैंड ने वेलिंगटन में पाकिस्तान को 9 विकेट से हराया। पाकिस्तान (10 हार) <p/> 1987 विश्व कप के ग्रुप मैचों के दौरान पाकिस्तान के हार के सिलसिले की शुरूआत हुई जब वे आखिरी ग्रुप मैच में वेस्टइंडीज के हाथों 29 रनों से पराजित हुए। हालांकि इससे पहले पाकिस्तान ने विश्व कप में बेहतर प्रदर्शन किया था और वे अपने सभी मैच जीतकर ग्रुप में टॉप पर थे। अब पाकिस्तान को लाहौर में होने वाले सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया का सामना करना था। वहीं मुंबई में होने वाले दूसरे सेमीफाइनल में भारत की भिड़त इंग्लैंड से होने वाली थी। क्रिकेट प्रशंसक ईडन गार्डन में होने वाले फाइनल के लिए भारत-पाकिस्तान हाई-वोल्टेज मुकाबले की उम्मीद लगा रहे थे। लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। सेमीफाइनल में 267 रन का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम इस मैच में लक्ष्य से 117 रन पीछे रह गई। हालांकि पाकिस्तानी दिग्गज इमरान खान ने चौथे विकेट के लिए 112 रन की साझेदारी की लेकिन वे कंगारू टीम से पार नहीं पा सकें। विश्व कप के खत्म होने के तुरंत बाद मेन इन ग्रीन ने इंग्लैंड की मेजबानी की। यात्रा की थकावट के बावजूद इंग्लैंड ने इस दौरे पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 3-0 से श्रृंखला में जीत दर्ज की। इसके बाद पाकिस्तान ने वेस्टइंडीज का दौरा किया, जहां कमजोर मानी जा रही कैरेबियाई टीम ने उन्हें 5-0 से हराया। पाकिस्तानी टीम के हार का यह सिलसिला तब टूटा जब उन्होंने अक्टूबर 1998 में लाहौर में ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराया। हालांकि तब तक पाकिस्तान टीम लगातार 10 मैच हार चुकी थी। मूल लेखक - ओंकार संपादक एवं अनुवादक - सागर

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