“एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी” के पांच ऐसे पल जो भुलाए नहीं जा सकते

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  1. धोनी का इंडिया ए में चुना जाना

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रणजी ट्रॉफी और कूच बिहार ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद, धोनी का अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में चयन नहीं होता। इस दिल तोड़ देने वाले फैसले के बाद, माही ने और अच्छा प्रदर्शन और मेहनत करने का प्रण लिया। उन्होंने वास्तविक जीवन में भी इस फैसले को अपनाया। जिसके बाद वो वेस्ट बंगाल में रेलवे की ओर से टिकट कलेक्टर की नौकरी का ऑफर मिला और वो खड़गपुर चले गए। 2002-03 सीजन में, उन्होंने रेलवे की डीविजनल टीम के ओर से खेला, और ईस्ट जोन, बिहार की ओर से भी क्रिकेट मैच खेले। उन्होंने दूर्गा स्पोर्टिंग के लिए भी खेला जो कि एक टेनिस बॉल क्रिकेट क्लब है और वहां धोनी अपने लम्बे छक्कों और हार्ड हिटिंग के लिए मशहूर हुए। धोनी अपनी रेलवे की नौकरी और खेल के मैदान पर उनकी जिन्दगी की बीच बैलेंस नहीं बना पा रहे थे, और इस वजह से वो काफी डिप्रैस भी हो गए थे, जिसके बारे में उन्होंने अपने बॉस अनिमेष कुमार गांगुली से भी बात की थी। गांगुली ने उन्हें बताया कि जैसे बॉउन्सर्स को डक करते हैं वैसे ही अपनी मुश्किलों को सुलझाना चाहिए। धोनी से ये दबाव झेला नहीं जा रहा था और उन्होंने एक मुश्किल फैसला लेते हुए रेलवे की नौकरी छोड़ दी। रेलवे छोड़ने के बाद, उन्होंने पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाया और फिर उन्हें उनकी मेहनत की फल मिला जब उन्हें ट्राइएंगुलर सीरीज के लिए केन्या टूर में इंडिया ए के लिए चुना गया। जिस वक्त धोनी के दोस्त ने उन्हें इंडिया ए में उनके सेलेक्शन के बारे में बताया वो बैडमिंटन खेल रहे थे। लेकिन धोनी ने अपने सेलेक्ट होनी की इतनी बड़ी बात पर भी कोई इमोशन्स नहीं दिखाई, वो अपना बैडमिंटन गेम खेलते रहे और धोनी ने अपने दोस्तसे कहा कि वो बाद में उनसे मिलते हैं। इस फिल्म में धोनी के संघर्ष, कड़ी मेहनत और मुश्किल फैसलों को देखने के दौरान हमारी आंखे कई बार नम हुईं।

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