2010 में खेली 3 टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय टीम 1-0 से पिछड़ रही थी। कोलंबो में आखिरी टेस्ट मैच खेला जाना था। टॉस जीतकर श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा ने पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। थिलन समरवीरा ने 137 रनों की शानदार पारी खेली। महेला जयवर्द्धने ने 56, कप्तान कुमार संगकारा ने 75 रन बनाए। इन शानदार पारियों की बदौलत श्रीलंका ने पहली पारी में शानदार 425 रन बनाए। भारतीय टीम ने भी श्रीलंका पर जबरदस्त पलटवार किया। वीरेंद्र सहवाग के 109, वीवीएस लक्ष्मण के 56 और सुरेश रैना के 62 रन की पारियों की बदौलत भारतीय टीम ने 436 रन बनाए। निचले क्रम में अभिमन्यु मिथुन ने 46 और अमित मिश्रा ने 40 रनों की उपयोगी पारियां खेली। दूसरी पारी में श्रीलंका ने 267 रन बनाए। 83 रनों के साथ थिलन समरवीरा सबसे रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। दूसरी पारी में एक समय श्रीलंका महज 125 रनों पर 8 विकेट गंवाकर मुश्किल में दिख रही थी लेकिन निचले क्रम में अजंता मेंडिस ने 78 रनों की शानदार पारी खेलकर श्रीलंका को मुश्किल से निकाला। उन्होंने नौंवे विकेट के लिए थिलन समरवीरा के साथ 118 रनों की साझेदारी की। जिसकी वजह से श्रीलंकाई टीम ने 267 रन बनाने में कामयाब रही। भारतीय टीम को जीत के लिए 257 रनों का लक्ष्य मिला। हालांकि भारतीय टीम की भी शुरुआत अच्छी नहीं रही। महज 62 रनों तक इंडियन टीम ने अपने 4 टॉप विकेट गंवा दिए। इसके बाद भारत के दो महान बल्लेबाजों सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण ने पारी को संभाला। दोनों ने 109 रनों की पार्टनरशिप करके टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला। हालांकि इसके बाद 171 रनों के स्कोर पर जब सचिन तेंदुलकर 56 रन बनाकर आउट हुए तब लगा कि शायद श्रीलंका मैच में वापसी कर लेगी। लेकिन इसके बाद सुरेश रैना ने 41 रनों की पारी खेलकर लक्ष्मण का अच्छा साथ निभाया। लक्ष्मण एक छोर पर डटे रहे और शानदार 109 रन बनाए। वो भारत को जिताकर ही लौटे। शानदार शतकीय पारी के लिए उन्हे मैन ऑफ द् मैच चुना गया।