2008 की टेस्ट सीरीज का ये दूसरा टेस्ट मैच था। कोलंबो में खेला गया पहला टेस्ट मैच भारतीय टीम हार चुकी थी और सीरीज में 1-0 से पिछड़ रही थी। भारतीय टीम को वापसी के लिए हर हाल में ये मैच जीतना जरुरी था। टॉस जीतकर तब के भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने पहले बल्लेबाज करने का फैसला किया। भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाजों वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने टीम को अच्छी शुरुआत दी। दोनों ने पहले विकेट के लिए 167 रन जोड़े। गौतम गंभीर 56 रन बनाकर आउट हुए। उनके आउट होने के बाद कोई भी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का साथ नहीं निभा सका। सहवाग एक छोर पर तो डटे रहे लेकिन दूसरे छोर पर विकेट गिरते रहे। हालांकि सहवाग ने दोहरा शतक जड़कर भारतीय पारी को 300 रनों के पार पहुंचाया। सहवाग ने नाबाद 201 रन बनाए और भारतीय टीम ने पहली पारी में 329 रनों का स्कोर खड़ा किया। श्रीलंका की तरफ से अजंता मेंडिस ने 117 रन देकर 6 विकेट चटकाए। भारतीय गेंदबाजों ने बल्लेबाजों की मेहनत पर पानी नही फेरा और श्रीलंका की पहली पारी को 292 रनों पर समेट दिया। भारतीय टीम को 37 रनों की छोटी सी बढ़त मिली। दूसरी पारी में कुमार संगकारा, महेला जयवर्द्धने और मलिंदा वर्नापुरा ही 50 का आंकड़ा पार कर सके। हरभजन सिंह ने 102 रन देकर 6 विकेट चटकाए। दूसरी पारी में भारतीय टीम की भी बल्लेबाजी अच्छी नहीं रही। सहवाग और गंभीर को छोड़कर कोई भी भारतीय बल्लेबाज ज्यादा देर तक पिच पर खड़ा नहीं रह सका। सहवाग ने 50 और गंभीर ने 74 रन बनाए। जब दोनों बल्लेबाज आउट हुए उस वक्त भारतीय टीम का स्कोर 2 विकेट पर 144 रन था लेकिन दोनों बल्लेबाजों के आउट होने के बाद पूरी भारतीय टीम 269 रनों पर सिमट गई। भारतीय टीम ने अपने आखिरी 8 विकेट 125 रन जोड़कर गंवा दिए। श्रीलंका को जीत के लिए 317 रनों का टार्गेट मिला। बड़े स्कोर का पीछा करते हुए पूरी श्रीलंकाई टीम महज 136 रनों पर सिमट गई। थिलन समरवीरा ने ही श्रीलंका की तरफ से 67 रन बनाकर संघर्ष किया। हरभजन सिंह ने एक बार फिर 51 रन देकर 4 विकेट चटकाए। भारतीय टीम ने 170 रनों से मैच जीत लिया। सहवाग को पहली पारी में शानदार दोहरे शतक और दूसरी पारी में अर्धशतकीय पारी के लिए मैन ऑफ द् मैच चुना गया।