इस टेस्ट सीजन में सबसे बड़ी चुनौती भारत का इंतजार कर रही है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज 23 फरवरी से पुणे में शुरू होगी। स्टीवन स्मिथ एंड कंपनी के लिए ये सीरीज आसान नहीं होने वाली क्योंकि टीम इंडिया विजयरथ पर सवार है और वो कोहली की कप्तानी में लगातार 6 टेस्ट सीरीज जीत चुकी है। ऐसे में भारत में जीतने के लिए ऑस्ट्रेलिया को एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। अगर 2017 बॉर्डर- गावस्कर ट्रॉफी जीतने में ऑस्ट्रेलियाई टीम कामयाब रहती है, तो हाल के दिनों में ये कंगारू टीम की सबसे बड़ी उपल्बधि होगी क्योंकि उप-महाद्वीप में पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट में नंबर है। पिछले 19 टेस्ट मैचों से भारत को कोई भी टीम हरा नहीं पाई है। आखिरी बार माइकल क्लार्क की कप्तानी में मेहमान टीम को भारत ने 4-0 से क्लीन स्वीप किया था। पिछले 48 साल से ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत में टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाई है। कोहली और स्मिथ के बीच होने वाले इस घमासान से पहले आइए नजर डालते हैं, टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत को मिली 5 यादगार जीत पर :
#1) मेलबर्न 1981
भारतीय टीम 1981 में 3 टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलियाई गई। जहां सुनील गावस्कर की कप्तानी में उसे सिडनी में हुए पहले ही टेस्ट में हार का सामना करना पडा। जबकि दूसरा टेस्ट मैच भी टीम इंडिया हारते हारते बची, दूसरा मैच ड्रॉ रहा। उस समय ऑस्ट्रेलियाई टीम में दिग्गज ग्रैग चैपल, रोडनी मार्श, किम ह्यूज, डग वॉलर और डैनिस लिली जैसे महान खिलाड़ी हुआ करते थे। जबकि भारत के पास कपिल देव, गुंडप्पा विश्वनाथ और सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज थे। तीसरे टेस्ट मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए गुंडप्पा विश्वनाथ के 114 रनों की पारी की मदद से 237 रन बनाए। जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 419 रन बनाए और पहली पारी के आधार पर 182 रन की बढ़त हासिल की। दूसरी पारी में जब भारतीय टीम बल्लेबाजी करने उतरी तो दौरान कई विवाद भी हुए। भारत ने दूसरी पारी में सीरीज में पहली बार एक अच्छी शुरुआत की। चेतन चौहान और सुनील गावस्कर जम कर खेल रहे थे, लेकिन तभी डैनिस लिली की अंदर आती गेंद गावस्कर के पैड पर लगी और ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की ज़बरदस्त अपील पर अंपायर वाइटहेड ने उन्हें एलबीडब्लू आउट दे दिया। गावस्कर को यह फ़ैसला इतना नागवार गुज़रा कि वह पवेलियन लौटते समय दूसरे छोर पर खड़े चेतन चौहान को भी अपने साथ ले जाने लगे। चौहान बाउंड्री लाइन तक उनके साथ गए। लेकिन तभी भारतीय टीम के मैनेजर ग्रुप कैप्टेन शाहिद अली ख़ाँ दुर्रानी ने बिल्कुल बाउंड्री लाइन पर आ कर चेतन चौहान को वापस खेलने भेजा। भारत ने अपनी दूसरी पारी में 324 रन बनाए, लेकिन फिर भी यह कोई ऐसा स्कोर नहीं था जिससे जीत की कोई उम्मीद बंधती हो। लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी करते हुए पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को सिर्फ 83 रनों पर समेट दिया और भारत ने 59 रनों से टेस्ट जीत कर सीरीज़ 1-1 से बराबर कर ली। #2) कोलकाता 2001
2001 ऑस्ट्रेलिया के भारत दौरे को क्रिकेट प्रशंसक शायद ही भुला पाएं। टीम इंडिया की वो जीत किसी चमत्कार से कम नहीं थी। मुंबई में पहला टेस्ट मैच 10 विकेट से गंवाने के बाद कोलकाता में खेले गए दूसरे मुकाबले में टीम इंडिया ने फॉलोऑन खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाई था।
ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में बनाए गए 445 रनों के जवाब में टीम इंडिया महज 171 रन पर ढेर हो गई। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने उसे फॉलोऑन खेलाया। किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि भारत दूसरी पारी में धमाल मचाने वाला है। वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के बीच पांचवें विकेट के लिए हुई 376 रनों की साझेदारी ने मैच का पासा ही पलट दिया।
लक्ष्मण ने 281, तो द्रविड़ ने 180 रन की पारी खेली थी। उसके बाद हरभजन सिंह की फिरकी के आगे कंगारू बल्लेबाज बेबस हो गए। भज्जी ने इस पारी में 6 कंगारू बल्लबाजों के पवेलियन राह दिखाई। भज्जी ने उस मैच में कुल 13 विकेट लिए थे। भारत ने 171 रन से मैच जीत लिया। भारत ने इस सीरीज को 2-1 से अपने नाम किया।
#3) एडिलेड 20032003 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान टीम इंडिया ने तो कमाल ही कर दिया। ब्रिस्बेन टेस्ट ड्रॉ कराने के बाद भारत ने एडिलेड में खेले गए दूसरे टेस्ट मुकाबले में कंगारुओं को 4 विकेट से हरा दिया और 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 से आगे हो गया।
क्रिकेट इतिहास में यह पहला मौका था जब ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम सीरीज में आगे निकली हो। उस मुकाबले की पहली पारी में राहुल द्रविड़ ने 233 रन की बड़ी पारी खेली जबकि वीवीएस लक्ष्मण ने 148 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया को पूरी तरह से बैकफुट पर धकेल दिया।
इन दोनों बल्लेबाजों के धमाके के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम की दूसरी पारी में अजीत अगरकर ने 6 विकेट झटक कर बची-खुची कसर भी पूरी तर दी। दूसरी पारी में द्रविड़ के नाबाद 72 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने इस मैच में 4 विकेट से जीत दर्ज की।
#4) पर्थ 2008पर्थ टेस्ट में भारतीय ओपनर्स के जल्दी आउट हो जाने के बाद एक बार पिर टीम इंडिया के द वॉल कहे वाल राहुल द्रविड़ ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। द्रविड़ ने 278 मिनट तक बल्लेबाजी करते हुए 93 रन बनाए जबकि सचिन तेंदुलकर ने भी 71 रन की पारी खेली। जिसके दमपर भारत ने 330 रन बनाए।
पहली पारी में आर पी सिंह ने 4 विकेट लेकर पोंटिंग की टीम को 212 रन पर समेटने में अहम रोल निभाया। जिसकी वजह से बारत 118 रन की बढ़त मिली। दूसरी पारी में वीवीएस लक्ष्मण के 79 और पठान की 46 रनों की पारी की मदद से भारत ने स्कोर को 294 रनों तक पहुंचाया।
इसके बाद 413 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम 340 रनों पर ही सिमट गई और भारत ने चौथे ही दिन मैच 72 रनों से अपने नाम किया।
#5) मोहाली 2010इस मैच की वजह से शायद सभी ऑस्ट्रेलियन फैंस सबसे ज्यादा वीवीएस लक्ष्मण को नापसंद करते होंगे। शेन वॉटसन के 126 और टिम पेन की 92 रनों की पारी की बदौलत पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 428 रन बनाए। जवाब में भारतीय टीम 405 रन पर ऑल आउट हो गई। इसके बाद दूसरी पारी में जहीर खान एंड कपंनी ने पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को 196 रन पर समेट दिया। लिहाजा भारत दूसरी पारी में 216 रनों का लक्ष्य मिला। बेन हेलफनाज और डग बॉलिंजर ने भारतीय बैटिंग लाइन अप की धज्जियां उड़ा दी। लेकिन वीवीएस लक्ष्मण एक छोर पर डटे रहे। अक्टूबर, 2010 में मोहाली में 1 विकेट की रोमांचक जीत शायद ही कोई क्रिकेट प्रशंसक भूल पाए। 216 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के 8 विकेट महज 126 रन पर गिर गए थे। क्रीज पर मजबूत बल्लेबाज के तौर पर सिर्फ वीवीएस लक्ष्मण ही टिके थे। नौवें विकेट के लिए ईशांत शर्मा ने लक्ष्मण का पूरा साथ दिया। दोनों के बीच 81 रनों की साझेदारी हुई। जब टीम इंडिया जीत से महज 11 रन दूर थी, तब शर्मा आउट हो गए। आखिरी बल्लेबाज के तौर पर प्रज्ञान ओझा आए। एक बार तो वो रन आउट होने से किसी तरह बचे और टीम इंडिया बच गई। आखिरकार लक्ष्मण की मेहनत रंग लाई और टीम इंडिया 1 विकेट से जीत गई।