बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में मैच से पहले भारत और बांग्लादेश, दोनों ही टीमों की नज़र मैच जीतने पर थी। टीम इंडिया के लिए जहां सेमीफ़ाइनल में पहुंचने के लिए बांग्लादेश को हराना ज़रूरी था। तो बांग्लादेश को टूर्नामेंट में बने रहने के लिए जीतना ज़रूरी था। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण जीत के बाद टीम इंडिया एक बार फिर जीत की पटरी पर लौटने को बेक़रार थी, साथ ही भारत को नेट रनरेट में भी सुधार करना था। तो वहीं पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद बांग्लादेश को हर हाल में जीत चाहिए थी। लेकिन उनके इरादों को तब और झटका लगा था जब तस्कीन अहमद और अराफ़ात सनी को आईसीसी ने गेंदबाज़ी करने के लिए मना कर दिया था। बांग्लादेश ने टॉस जीता और फिरकी की मददगार पिच पर बेहतरीन गेंदबाज़ी और फ़ील्डिंग की बदौलत भारत को 146 रनों पर ही रोक दिया। कम स्कोर करने के बाद भी भारतीय टीम ने हिम्मत नहीं हारी और आख़िर में हारी हुई बाज़ी जीत ली। आइए एक नज़र डालते हैं इस मैच के 5 यादगार लम्हों पर
#1 भारतीय सलामी बल्लेबाज़ों की जोड़ी अच्छी शुरुआत को भुना नहीं पाई
शिखर धवन और रोहित शर्मा के फ़ॉर्म और उनके खेलने के स्टाइल पर हमेशा चर्चा होती है। पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ फ़्लॉप रही ये जोड़ी के ऊपर बांग्लादेश के ख़िलाफ़ बड़ी ज़िम्मेदारी थी। शिखर और रोहित ने बैंगलोर में आग़ाज़ तो शानदार किया, लेकिन एक बार फिर शॉट खेलने का उनका फ़ैसला हैरान कर गया और अच्छी शुरुआत को भुना पाने में दोनों नाकाम रहे, जिसका नतीजा ये हुआ कि दबाव मध्यक्रम पर आ गया। बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ मुस्तफ़िजुर रहमान को छक्का जड़ने के बाद लगा था कि रोहित का पूराना टच लौट आया है लेकिन ग़ैर ज़िम्मेदाराना शॉट खेलते हुए रोहित ने अपनी विकेट फेंक दी। तुरंत ही बाद शिखर ने भी शाक़िब-अल-हसन की गेंद को पढ़े बिना स्वीप करने की कोशिश में LBW हो गए। और भारत को संकट की स्थिति में पहुंचा दिया।
#2 शाक़िब-अल-हसन ने बनाया दबाव
इस मैच से पहले शाक़िब-अल-हसन ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ शानदार गेंदबाज़ी की थी। और भारत के ख़िलाफ़ भी शाक़िब ने अपनी स्पिन गेंदबाज़ी से बांग्लादेश को हावी होने का मौक़ा दे दिया था। पहले शिखर का विकेट हासिल किया और फिर इन फ़ॉर्म रैना और कोहली को खुलकर खेलने का मौक़ा नहीं दिया। हालांकि हार्दिक पांड्या ने शाक़िब के ख़िलाफ़ कुछ अच्छे शॉट्स ज़रूर लगाए, लेकिन बाएं हाथ के इस स्पिनर का 4 ओवर भारत पर दबाव में ला चुका था।
#3 डेथ ओवर्स में मुस्तफ़िज़ुर का मैजिक
धोनी जैसा बल्लेबाज़ जब सामने हो तो अच्छे से अच्छा गेंदबाज़ नर्वस हो जाता है, लेकिन मुस्तफ़िज़ुर ने आपा न खोते हुए धोनी को अच्छी गेंदबाज़ी की। धोनी लगातार कोशिश कर रहे थे कि मुस्तफ़िज़ुर के ख़िलाफ़ बड़े शॉट्स लगाते हुए भारत का स्कोर 150 के पार पहुंचाया जाए। लेकिन डेथ ओवर्स में मुस्तफ़िज़ुर के यॉरकर्स का तोड़ धोनी के पास नहीं था। और भारत 146 रन पर ही रूक गया।
#4 बुमराह की कमाल की वापसी
जसप्रीत बुमराह के लिए मैच की शुरुआत बेहद निराशाजनक रही थी, जब बांग्लादेशी पारी की पहली ही गेंद पर बुमराह ने आसान सा चौका छोड़ दिया था। इसके बाद तमीम इक्बाल को भी बुमराह ने जीवनदान दिया। अगले ही ओवर में बुमराह के एक ओवर में 4 चौके पड़ गए। लेकिन इसके बाद जब आख़िरी लम्हों बुमराह ने 12 लगातार यॉर्कर फेंकते हुए सिर्फ़ 13 रन ख़र्च किए, यहीं से बांग्लादेशी बल्लेबाज़ों पर दबाव बन चुका था। बुमराह की वापसी कमाल की रही।
#5 पांड्या और धोनी ने आख़िरी गेंद पर दिलाई जीत
बांग्लादेश को जीत के लिए आख़िरी ओवर में 11 रन चाहिए था। धोनी के पास हार्दिक पांड्या को गेंदबाज़ी देने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था। क्रिज़ पर मुशफ़िकुर रहीम और महमूदुल्लाह के तौर पर दो अनुभवी बल्लेबाज़ मौजूद थे। रहीम ने पांड्या की लगातार दो गेंदो पर बाउंड्री लगाते हुए बांग्लादेश को जीत के मुहाने पर ला खड़ा किया था। बांग्लादेश को अब 3 गेंदो पर 2 रन चाहिए थे और 4 विकेटें बाक़ी थीं। धोनी, पांड्या और नेहरा के बीच में काफ़ी देर तक बातचीत होती रही। शायद इसी का असर था कि मुशफ़िकुर के दिमाग़ की बत्ती गुल हो गई और मिड विकेट पर कैच थमा बैठे। अगली ही गेंद पर पांड्या की फ़ुलटॉस को महमूदुल्लाह भी छक्का मारने की कोशिश में हवा में उछाल गए। और इस बार जडेजा ने एक बेहतरीन कैच लपकते हुए भारत को मैच में वापस ला दिया। आख़िरी गेंद पर 2 रनों की दरकार थी, पांड्या ने गुड लेंथ पर गेंद डाली और बल्लेबाज़ शुवगता होम शॉट खेल पाने में चूक गए। धोनी जिन्होंने पहले ही एक दस्ताना उतार रखा था, विकेट के पीछे से दौड़ते हुए स्टंप्स बिखेर दी, और भारत ने बैंगलोर में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर ली।