नेशनल टीम में खेलने के लिए इंतजार करना और उसके लिए कड़ी मेहनत करना क्या होता है ये कोई अमोल मजूमदार से पूछे। वो रणजी क्रिकेट के इतिहास में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वो कभी भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से नहीं खेल पाए। रणजी क्रिकेट इतिहास का दूसरा सबसे ज्यादा रन बनाने वाला बल्लेबाज अपने देश के लिए खेलने का गौरव नहीं पा सका। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अमोल मजूमदार की बल्लेबाजी वैसी ही थी जैसी इंटरनेशनल क्रिकेट में महान सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ की। उन्होंने लगातार रणजी मैचो में रन बनाए लेकिन नेशनल टीम में जगह नहीं बना सके। इससे पता चलता है कि भारत के लिए खेलना कितना कठिन होता है। हालांकि कभी-कभी टीम में ऐसे प्लेयरों को चुन लिया जाता है जिसकी कोई कल्पना भी नहीं करता। आइए जानते हैं उन 5 प्लेयरों के बारे में जिन्होंने ना केवल भारतीय टीम के लिए खेला बल्कि वनडे टीम में भी जगह बनाई। 1.राहुल द्रविड़ का अचानक से संन्यास ले लेना राहुल द्रविड़ 'इस वनडे सीरीज के बाद मैं वनडे और टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लूंगा। मैं अपना ध्यान केवल टेस्ट क्रिकेट पर लगाउंगा। पिछले 2 साल से मैं वनडे टीम में चुना नहीं जा रहा हूं, ये हैरानी भरा है।' पिछला वनडे मैच- 30 सितंबर 2009 वनडे में वापसी- 3 सितंबर 2011 वनडे टीम में चयन- 2 साल बाद 2011 में भारतीय टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया और ये दौरा इंग्लैंड vs द्रविड़ बन कर रह गया था। टेस्ट सीरीज में राहुल द्रविड़ ने काफी शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय टीम के बाकी खिलाड़ियों ने जहां कुल मिलाकर 7 बार 50 रन ही बना सके तो वहीं राहुल द्रविड़ ने अकेले 4 टेस्ट मैचो में 3 शतक लगाए। टेस्ट मैचो में शानदार प्रदर्शन का नतीजा ही था कि राहुल द्रविड़ को करीब 2 साल बाद वनडे सीरीज में चुना गया। उन्हे टी-20 सीरीज में भी चुना गया। द्रविड़ ने इससे पहले कभी भी अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैच नहीं खेला था। टीम मे चुने जाने के बाद राहुल द्रविड़ ने तुरंत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीमित ओवरों के खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया। उनके इस संन्यास के घोषणा से सब हैरान रह गए। राहुल द्रविड़ ने वनडे सीरीज में भी अच्छा प्रदर्शन किया और अपने कार्डिफ में खेले गए अपने आखिरी अंतर्राष्ट्रीय वनडे मैच में 69 रन बनाए। अपने पहले और आखिरी टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच मे भी द्रविड़ ने दर्शकों का भरपूर मनोरजंन किया। उन्होंने समित पटेल के एक ओवर में 3 लगातार छक्के जड़े। 21 गेंदों पर 31 रनों की पारी द्रविड़ की पहली और आखिरी टी-20 पारी है। 2. टेस्ट टीम में पार्थिव पटेल पार्थिव पटेल 'अपने देश के लिए खेलना काफी गर्व की बात होती है और टीम में वापसी करना और भी ज्यादा मुश्किल होता है। विराट कोहली के साथ टीम के बाकी खिलाड़ियों ने मुझे काफी प्रोत्साहित किया। टीम के लिए रन बनाकर काफी अच्छा लगा।' आखिरी टेस्ट मैच- 8 अगस्त 2008 टेस्ट टीम में वापसी का दिन- 26 नवंबर 2016 टीम में वापसी- 8 साल बाद साल 2002 में महज 17 साल की उम्र में पार्थिव पटेल ने अपना डेब्यू किया था। पिछले साल दिसंबर में 31 साल की उम्र में उन्होंने हाल ही मे टेस्ट मैच खेला। इन 14 सालों के अंतराल में उन्हे सिर्फ 23 टेस्ट मैच ही खेलने का मौका मिला। कुछ बल्लेबाज ऐसे होते हैं जो टीम में कहीं भी फिट हो जाते हैं। टीम की जरुरत के हिसाब से वो कहीं भी बल्लेबाजी कर सकते हैं। उनके पास कोई नंबर नही होता जिसे वे कह सकें कि ये मेरा बल्लेबाजी क्रम है। हालात के हिसाब से उनका रोल भी चेंज होता रहता है। दशकों से पार्थिव पटेल भी भारतीय टीम के लिए ऐसे ही खिलाड़ी रहे हैं। हालांकि पटेल दूसरे तरह के फ्लोटर हैं। उनके बल्लेबाजी क्रम में ज्यादा बदलाव नहीं होता है बल्कि टीम के जरुरत के हिसाब से वो अंदर-बाहर होते रहते हैं। जब टीम के नियमित विकेटकीपर नहीं उपलब्ध होते हैं तब पार्थिव पटेल को याद किया जाता है। पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली टेस्ट में उन्हे चोटिल रिद्धिमान साहा की जगह टेस्ट टीम मे शामिल किया गया। करीब 8 साल के लंबे गैप के बाद उन्होंने टेस्ट टीम में वापसी की। इसलिए उनके लिए ये काफी खास मैच था और उन्होंने दोनों ही पारियो में अच्छा प्रदर्शन किया। अगले 2 टेस्ट मैचो में भी उन्होंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और सीरीज में 65 की औसत से 195 रन बनाए। 3. जब वीवीएस लक्ष्मण को साउथ अफ्रीका दौरे के लिए चुना गया और वो शून्य पर आउट हो गए वीवीएस लक्ष्मण (मई 2006) : 'निश्चित तौर पर मैं वनडे टीम में चुना जाउंगा। मैं मौके को पूरा फायदा उठाने की कोशिश करुंगा।' पिछला वनडे मैच: 7 अगस्त 2005 वनडे टीम में वापसी: 3 दिसंबर 2006 टीम में वापसी: एक साल बाद लगभग एक दशक तक सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ी भारतीय टीम के सबसे बड़े खिलाड़ी रहे। हालांकि वीवीएस लक्ष्मण का स्टारडम बाकी खिलाड़ियों के आगे दबकर रह गया क्योंकि वो वनडे क्रिकेट में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए। टेस्ट क्रिकेट में द्रविड़ और लक्ष्मण को काफी कलात्मक बल्लेबाज माना जाता था लेकिन वनडे मैचो में इन खिलाड़ियों को थोड़ी परेशानी होती थी। हालांकि द्रविड़ ने वनडे मैचो में खुद को बखूबी ढाल लिया लेकिन लक्ष्मण ऐसा नहीं कर सके। लक्ष्मण का मुकाबला ना केवल टीम के युवा खिलाड़ियों युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ और दिनेश कार्तिक से था बल्कि टेस्ट क्रिकेट के उनके परफेक्ट जोड़ीदार राहुल द्रविड़ से भी था। 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ मैच के बाद लक्ष्मण को वनडे टीम से बाहर कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने कुछ वनडे मैचो में हिस्सा जरुर लिया लेकिन टीम से उन्हे जल्द ही बाहर होना पड़ा। इसके बाद जब साउथ अफ्रीका दौरे पर कप्तान द्रविड़ आखिर के 2 वनडे के लिए उपलब्ध नहीं थे तब उन्हें उनकी जगह टीम में शामिल किया गया। BCCI ने उन्हें द्रविड़ का रिप्लेसमेंट बताया। उन्हे लगभग 15 दिन पहले ही साउथ अफ्रीका के लिए फ्लाइट लेनी पड़ी क्योंकि टेस्ट टीम में वो पहले से ही थे। चौथे वनडे मैच में उन्हे खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन आखिरी मैच में वसीम जाफर की जगह उन्हे टीम में चुना गया। भारतीय टीम तब तक सीरीज हार चुकी थी लेकिन आखिरी मैच जीतकर वो व्हाइटवॉश से बचना चाहती थी। लक्ष्मण के पास ये बढ़िया मौका था कि वो चयनकर्ताओं को बता सकें कि उनके अंदर भी वनडे क्रिकेट खेलने की काफी क्षमता है। लेकिन ऐसा हो नहीं सका दूसरी ही गेंद पर वो बिना खाता खोले आउट हो गए। भारतीय टीम ये मैच 9 विकेट से हार गई। उनका कमबैक मैच उनके करियर का आखिरी वनडे मैच साबित हुआ। 4. अभिनव मुकुंद का पहला घरेलू टेस्ट अभिनव मुकुंद- 'ये मेरे लिए लगभग डेब्यू जैसा ही है। भारत के लिए खेले हुए मुझे काफी अरसा हो गया है। काफी सारी चीजें बदल गई हैं लेकिन फिर भी हम टेस्ट में नंबर वन हैं। टीम में गर्मजोशी से स्वागत हुआ। बहुत सारे प्लेयर समझते हैं कि 5 साल बाद टीम में वापसी करना कतई आसान नहीं होता है।' पिछला टेस्ट मैच- 29 जुलाई 2011 टीम में वापसी- 4 मार्च 2017 कितने समय बाद वापसी- 5.5 साल इस लिस्ट में जितने भी प्लेयर हैं उनमें से सिर्फ अभिनव मुकुंद ही इस बात को समझ सकते हैं कि अमोल मजमूदार ने कितना संघर्ष किया होगा। 2011 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हे टीम में चुना गया था। उन्हे वेस्टइंडीज में 2 टेस्ट और इंग्लैंड में भी 2 टेस्ट मैचो में खेलने का मौका मिला। 4 टेस्ट मैचों की 8 पारियों में मुकुंद ने कुछ अर्धशतकीय पारियां भी खेली। लेकिन एक बार वीरेंद्र सहवाग के फिट होकर टीम में आ जाने के बाद उन्हे टीम से बाहर होना पड़ा। इसके बाद नेशनल टीम में सेलेक्ट होने के लिए मुकुंद को काफी इंतजार करना पड़ा। हालांकि उन्होंने घरेलू क्रिकेट में काफी अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन टीम में वापसी नही हुई। 56 टेस्ट और लगभग 6 साल बाद उन्हे तब टीम में वापसी का मौका मिला जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में मुरली विजय चोटिल हो गए। हालांकि मुकुंद लंबे समय बाद मिले मौके को भुना नहीं पाए और दोनों पारियों में शून्य और 16 रन ही बना पाए। शायद यही वजह रही कि अगले टेस्ट मैच में उन्हे मौका नहीं मिला और उनका वापसी टेस्ट महज एक मैच में सिमट कर रह गया। भले ही एक टेस्ट मैच के बाद मुकुंद को खेलने का मौका नहीं मिला हो लेकिन उनकी वापसी इस बात को दिखाती है कि उनके अंदर टैलेंट की कोई कमी नही है। 5. टी-20 में लक्ष्मीपति बालाजी का शानदार प्रदर्शन लक्ष्मीपति बालाजी-' टी-20 नेशनल टीम में वापसी का श्रेय मैं आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ खेलते हुए शानदार प्रदर्शन को देता हूं। पिछले 2 सीजन से मैं केकेआर टीम के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा हूं। मैं चयनकर्ताओं का आभार जताना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे परफॉर्मेंस को नोटिस किया।' पिछला अंतर्राष्ट्रीय मैच- 8 फरवरी 2009 कमबैक मैच- 11 सितंबर 2012 टीम में वापसी- 3 साल 2012 दो शानदार भारतीय क्रिकेटरों की वापसी का गवाह बना। पहला 2011 वर्ल्ड कप के हीरो युवराज सिंह ने कैंसर से उबर कर जबरदस्त वापसी की और दूसरा लगभग 3 साल बाद मशहूर क्रिकेटर लक्ष्मीपति बालाजी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की। 2012 आईपीएल में बालाजी ने बेहतरीन खेल दिखाया और उसका उन्हे ईनाम भी मिला। श्रीलंका में होने वाले वर्ल्ड टी-20 के लिए उन्हे भारतीय टीम में चुन लिया गया। उन्होंने भारतीय टीम के लिए सभी 5 मैच खेले और 10 विकेट चटकाए। लक्ष्मीपति बालाजी का आखिरी टी-20 मैच टूर्नामेंट में भारतीय टीम के लिए भी आखिरी मैच साबित हुआ। टीम साउथ अफ्रीका को 121 रन से कम स्कोर पर ऑलआउट करने में नाकाम रही और टूर्नामेंट से बाहर हो गई। बालाजी ने भारतीय टीम के लिए आखिरो ओवर फेंका और वो ओवर काफी रोमांचक रहा। आखिरी ओवर में 14 रन चाहिए थे लेकिन 2 छक्के लगाकर मोर्कल भाइयों ने लगभग मैच खत्म कर दिया। लेकिन बालाजी ने इसके बाद जबरदस्त वापसी की और दोनों मोर्कल बंधुओं को वापस पवेलियन भेज दिया और आखिर में भारतीय टीम ने रोमांचक तरीके से 1 रन से मैच जीत लिया। लेखक-रुपिन काले अनुवादक-सावन गुप्ता