क्रिकेट और क्रिकेट कॉमेंट्री ये दोनों चीज़ें एक दूसरे से जुडी हुई है। जैसे ही मुकाबला चालू होता है, उसकी कॉमेंट्री खेल पर और चार चाँद लगा देती हैं। लेकिन जरुरी नहीं सभी कमेंटटेर्स की बातें सुन कर आपको अच्छा लगे। खेल के बारे में बताने के बदले कई बार कमेंटटेर्स ऐसा बर्ताव करते है, जैसे मानो वे कोई प्रवक्ता हो। तो आइये पांच ऐसे कमेंटटेर्स के बारे में जानते है, जिन्हें आप कतई सुनना पसंद नहीं करेंगे। वें सब ख़राब इंसान नहीं है, बस ख़राब कमेंटटेर्स हैं। #1 मार्क निकलस [caption id="attachment_8821" align="alignnone" width="594"] मार्क निकलस[/caption] मार्क निकलस एक बड़े ही मिलनसार व्यक्ति हैं। वे बहुत सारे क्रिकेट मैच कवर करते है। लेकिन ये बात उनके पक्षपाती होने की बात को नज़रअंदाज़ नहीं करवा सकती। वें ऑस्टेलिया के चैनल 9 और इंग्लैंड के चैनल 5 पर कॉमेंट्री करते है। इसलिए ऑस्ट्रेलियाई और इंग्लिश लोगों को निकलस की ढेर सारी बातें सुननी पड़ती है। पिछले साल एकदिवसीय मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के जीत दर्ज करने के बाद निकलस ने कहा,"हम खुश हैं, अंत में यह एक आसान जीत रही।" सीधे तौर पर मेजबान टीम का पक्ष लेते हुए, निकलस को कोई हिचक नहीं हुई। यह घटना निकलस और चैनल दोनों के पक्षपाती होने का सबूत है। हम मानते है ज्यादातर क्रिकेट दर्शक ऑस्ट्रेलियाई होंगे। लेकिन इससे उन्हें पक्षपाती होने का हक़ नहीं मिलता। उन्हें मैच की कॉमेंट्री के लिए रखा जाता है, ना की खुद की कहानी बनाने के लिए। वैसे निकलस ऑस्ट्रेलियाई मूल के नहीं हैं ! #2 शेन वॉर्न [caption id="attachment_8820" align="alignnone" width="594"] शेन वॉर्न[/caption] शेन वॉर्न की कॉमेंट्री को ना सुनना बहुत ही आसान काम है, लेकिन अगर आप उब रहे हो, तो वार्न के बड़बोलेपन और साथीयों के साथ हंसी मज़ाक या उनके ट्विटर प्रोफाइल पर नज़र डालना मजेदार लग सकता है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं की वें ऑस्ट्रेलिया के लिए पक्षपात करते हैं। अपने बचाव में वें कहते है, की वे ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते है। कॉमेंट्री के समय वार्न कोई शांत इंसान नहीं हैं। वे कॉमेंट्री के दौरान चीखते है और चिल्लाते हैं। ऑस्ट्रेलिया की जीत पर वें उत्साहित होते है और हार पर वें निराश होते हैं। वें एक उम्दा गेंदबाज तो थे, लेकिन मैदान में उनके जोक्स और ऑस्ट्रेलियाई टीम की ओर उनका झुकाव सही नहीं हैं। मैं वार्न के खिलाफ मैच खेलने के लिए तैयार हूँ, लेकिन जब वें टीवी पर होते है तो टीवी म्यूट करना ही सही होगा। #3 रवि शास्त्री [caption id="attachment_8819" align="alignnone" width="594"] रवि शास्त्री[/caption] क्रिकेट से रिटायर होने के बाद रवि शास्त्री लगातार कॉमेंट्री करते आये हैं। पूर्व अंतराष्ट्रीय खिलाडी का भारत के लिए निष्ठा जायज़ है, क्योंकि वें भारत के लिए खेल चुके है और राष्ट्रीय टीम के निर्देशक भी रह चुके हैं। हालांकि उन्हें BCCI से ₹ 3.6 करोड़ का वेतन भी मिलता है। लेकिन ये बात उनको पक्षपाती होने का हक़ तो नहीं देती। हर मौके पर 'ट्रेसर बुलेट' और 'रैप्ड ओन द पैड्स' चिल्लाने वाले शास्त्री BCCI के प्रवक्ता लगते हैं। हालांकि BCCI कहती है की कॉमेंट्री के दौरान रवि शास्त्री अपने विचार रखते हैं। 2011 में जब भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया था, उस समय डिसिशन रिव्यु सिस्टम (DRS) को लेकर नासिर हुसैन और रवि शास्त्री में बहस हो गयी। हुसैन ने भारत के DRS ना इस्तेमाल करने के फैसले की आलोचना की। शास्त्री ने जवाब दिया,"तुम्हे इस बात पर बोलने का कोई हक़ नहीं।" उम्मीद है इससे शास्त्री को BCCI से उनका चेक मिल गया रहेगा। #4 इयन हैली [caption id="attachment_8818" align="alignnone" width="594"] इयन हैली[/caption] एक और ऑस्ट्रेलियाई खिलाडी इस लिस्ट में जुड़ गए- शायद ये चैनल 9 के कारण होगा। पूर्व विकेटकीपर स्लेजिंग के लिए बदनाम हैं। (अर्जुन रणतुंगा को स्लेज करने के लिए वें कुख्यात है) अब केवल एक दर्शक होते हुए, वे अपने आपको खेल का हिस्सा समझते है और दूसरों को भी ये बात बताते हैं। जिस काम के लिए उन्हें कॉमेंट्री बॉक्स में बिठाया गया है, उसके विपरीत वे काम करते हैं। मैं मनता हूँ की ऑस्ट्रेलिया दुनिया की अबसे मजबूत क्रिकेट टीम नहीं है- एशेज देखने के बाद। इयन कई बार विरिधियों को आउट होने के और साथ में ऑस्ट्रेलियाई खिलाडी के नॉट आउट होने का तर्क देते हैं। चैनल 9 में आपके काम के अलावा आपकी सभी बातें आपकी तरह ही ख़राब है। #5 टोनी कोज़िएर [caption id="attachment_8817" align="alignnone" width="594"] टोनी कोज़िएर[/caption] आप टोनी कोज़िएर से नफरत नहीं कर सकते। वें एक मजेदार इंसान तो हैं ही, साथ में उन्हें खेल की भी काफी समझ है। यह बात उन्हें एक बढ़िया कमेंटेटर बनाती है। उन्होंने कई वर्षों से ये काम किया है और हर बार उन्हें सुनने में मजा आता है। लेकिन टोनी ग्रेग- एक बड़ेकमेंटेटर- की तरह ही थे। दोनों पर एक टीम का पक्ष लेने के आरोप लगते थे। ग्रेग के लिए श्रीलंका तो कोज़िएर के लिए वेस्टइंडीज ही सबकुछ थे। कोज़िएर वेस्ट इंडीज़ टीम और बोर्ड की आलोचना भी करते है, लेकिन सभी जानते है की वें हमेशा वेस्ट इंडीज के जीत की उम्मीद करते हैं। वेस्ट इंडीज टीम का हिस्सा होने के कारण यह लाज़मी हैं। वैसे भी एक टीम जिसमें काबिलियत की कोई कमी ना हो, उससे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद तो की जा सकती है। शायद पक्षपाती होना कोई बुरी बात नहीं हैं। लेखक: एलियट कॉर्निश, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी