भारतीय कप्तान विराट कोहली ने अभी तक 39 टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी की है। इसमें टीम को 22 मैचों में जीत मिली है। भारत इस मामले में अब उनसे आगे सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी ही हैं। कोहली के कप्तान बनने के बाद टीम की तेज गेंदबाजी में काफी सुधार हुआ है। हालाँकि, अपनी प्लेयिंग में लगातार बदलाव करने की वजह से उनकी कप्तानी पर लगातार ऊंगली भी उठती रही है।
आज आपको कोहली के ऐसे 5 फैसलों के बारे में बतायेंगे जो सभी के समझ से परे थे।
कर्ण शर्मा का डेब्यू
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2014 के एडिलेड टेस्ट में विराट कोहली को पहली बार टेस्ट मैचों में कप्तानी करने का मौका मिला था। उस समय धोनी चोट की वजह से नहीं खेल पाए थे। कोहली ने सभी को चौंकते हुए रविचंद्रन अश्विन को बाहर बैठाते हुए कर्ण शर्मा को डेब्यू करवा दिया। कोहली का यह फैसला क्रिकेट पंडितों की समझ से परे था।
पहली पारी में कर्ण ने 33 ओवर में 143 रन खर्च कर 2 विकेट चटकाए। दूसरी पारी में तो हालात और खराब हो गए। 16 ओवर में ही उन्होंने 95 रन दे दिया और उन्हें 2 विकेट मिले। अगले मैच में अश्विन की टीम में वापसी हो गई और कर्ण को उनके बाद एक भी टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला।भुवनेश्वर कुमार को दक्षिण अफ्रीका में दूसरे टेस्ट से बाहर करना
भारतीय टीम 2018 की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई थी। टीम के पास वहां टेस्ट सीरीज जीतने का शानदार मौका था। टीम को पहले मैच में हार का सामना करना पड़ा लेकिन गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया था। भुवनेश्वर कुमार ने गेंदबाजी में जहाँ मैच में 6 विकेट झटके वहीं बल्ले से भी उन्होंने पहली पारी में 25 रन बनाकर हार्दिक पांड्या के साथ अच्छी साझेदारी बनाई थी।
सेंचुरीयन में हुए सीरीज के दूसरे मैच में कप्तान कोहली ने सभी को चौंकते हुए भुवी की जगह इशांत शर्मा को टीम में शामिल कर लिया। यह फैसला क्यों लिया गया इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है।उपकप्तान ही टीम से बाहर
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर भुवनेश्वर कुमार को बाहर रखना तो चौंकाने वाला फैसला था ही, कोहली ने पहले 2 मैचों में टीम के उपकप्तान और घर से बाहर शानदार प्रदर्शन करने वाले अजिंक्य रहाणे को भी प्लेयिंग में जगह नहीं दिया। रहाणे की जगह श्रीलंका के खिलाफ घर में शतकीय पारी खेलने वाले रोहित शर्मा को टीम में मौका मिला।
पहले टेस्ट में रोहित ने 11 और 10 का स्कोर बनाया वहीं दूसरे में उन्होंने 10 और 47 रन बनाये। इसके बाद लगातार आलोचना झेल रहे कोहली ने अंतिम टेस्ट में रहाणे को मौका दिया। बल्लेबाजी के लिए मुश्किल पिच पर रहाणे ने दूसरी पारी में 48 रन बनाकर भारत के जीत की नींव रखी।एजबेस्टन टेस्ट में पुजारा को ड्रॉप करना
भारत के लिए सिर्फ टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा को कई मौकों पर विराट कोहली ने टीम से बाहर किया है। हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर पहले टेस्ट में उन्हें बाहर कर केएल राहुल को तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करने का मौका दिया गया।
दोनों पारियों में राहुल के फ्लॉप होने के बाद पुजारा की टीम में वापसी हुई। उन्होंने नॉटिंघम और फिर साउथैम्प्टन में शानदार बल्लेबाजी कर कोहली के फैसले को फिर गलत साबित किया।हनुमा विहारी को मौका देना कहाँ तक सही
इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम टेस्ट मैच में दाएं हाथ के बल्लेबाज हनुमा विहारी ने टेस्ट डेब्यू किया। उन्हें हार्दिक पांड्या के जगह टीम में मौका मिला। पहली पारी में उन्होंने 56 रनों की पारी नही खेली, लेकिन क्या कोहली का यह फैसला सही था?
सीरीज के पहले मैच से अपनी बारी का इंतजार कर रहे करुण नायर को उन्होंने एक बार फिर नजरंदाज कर दिया। टेस्ट में तिहरा शतक बना चुके नायर टीम की पहली पसंद थे और इसी वजह से वह पहले टेस्ट से टीम के साथ हैं। हनुमा विहारी को तीसरे टेस्ट के बाद टीम में शामिल किया गया और नायर से पहले खेलने का भी मौका मिल गया। कोहली का यह फैसला नायर जैसे खिलाड़ी के साथ नाइंसाफी ही हैं। कई पूर्व खिलाड़ियों ने इसपर खुल कर कोहली का विरोध किया है।
लेखक: शंकर नारायण, अनुवादक: ऋषि