5 साहसिक फैसले जो भारतीय टीम के लिए मददगार साबित हुए

कई बार क्रिकेट के मैदान में कुछ ऐसे फ़ैसले लिए जाते हैं जो मैच का रुख़ पलट देते हैं और कई बार ऐसा फ़ैसला खिलाड़ी के करियर को दूसरे स्तर पर पहुंचा देता है। क्रिकेट के खेल में कप्तानी की बहुत बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि इससे ये तय होता है कि मैच किस दिशा में जाएगा। भारतीय क्रिकेट इतिहास में ऐसे कई महान कप्तान हुए हैं जो अपने चौंकाने वाले फ़ैसले के लिए जाने जाते थे। ऐसे कई कड़े फ़ैसले लिए जाते थे जो टीम इंडिया के लिए फ़ायदेमंद होता था। हम यहां उन 5 बहादुरी भरे फ़ैसलों को लेकर चर्चा कर रहे हैं जो टीम इंडिया के लिए जीत की वजह बने। #1 संजय बांगर को 2002 के हेडिंग्ले टेस्ट मैच में ओपनिंग के लिए भेजा जाना 4 टेस्ट मैच की इस सीरीज़ में भारत 0-1 से पिछड़ रहा था, इसके बाद टीम इंडिया एसेक्स टीम के ख़िलाफ़ चेम्सफ़ोर्ड के मैदान में एक अभ्यास मैच खेलने गई थी। इस मैच की पहली पारी में शिव सुंदर दास ने 250 रन बनाए। जिसकी वजह से टीम इंडिया ने 516 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। इसी मैच की दूसरी पारी में संजय बांगर को ओपनिंग के लिए भेजा गया, और उन्होंने 74 रन बनाए। अब ज़ाहिर सी बात है कि अगले टेस्ट मैच के लिए शिव सुंदर दास को मौका मिलना चाहिए था। कप्तान गांगुली के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। गांगुली ने साहसिक फ़ैसला लेते हुए संजय बांगर को हेडिंग्ले टेस्ट में ओपनिंग के लिए भेजा। बांगर ने संयम के साथ खेलते हुए 236 गेंदों में 68 रन बनाए और दूसरे विकेट के लिए राहुल द्रविड़ का काफ़ी साथ दिया। भारत ने ये मैच पारी और 46 रन से जीत लिया था। गांगुली का ये फ़ैसला कारगार साबित हुआ। #2 रोहित शर्मा को साल 2013 में ओपनिंग के लिए भेजा जाना रोहित शर्मा को वनडे में 3 दोहरा शतक बनाने वाले बल्लेबाज़ के तौर पर जाना जाता है। लेकिन साल 2013 में हालात वैसे नहीं थे, रोहित मिडिल ऑर्डर में ख़ुद को स्थापित करने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे। फिर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और टीम मैनेजमेंट ने रोहित को ओपनिंग के लिए भेजने का फ़ैसला किया। इसके बाद रोहित ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज रोहित दुनिया के टॉप बल्लेबाज़ों में गिने जाते हैं।#3 महेंद्र सिंह धोनी को विशाखापट्टनम में नंबर 3 पर भेजना टीम इंडिया के इतिहास में एक वक़्त ऐसा भी आया था जब राहुल द्रविड़ को विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई थी, और वो इस काम को बख़ूबी अंजाम दे रहे थे। फिर एक आम राय बनी कि अब दस्तानों को किसी अन्य खिलाड़ी को सौंप देना चाहिए। ऐसे में 23 साल के महेंद्र सिंह धोनी को वनडे में विकेटकीपिंग का ज़िम्मा सौंपा गया। शुरुआत में ऐसा नहीं लग रहा था कि धोनी इस काम के लिए उपयुक्त खिलाड़ी हैं। लेकिन माही के करियर में उस वक़्त नया मोड़ आया जब साल 2005 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उन्हें नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया। धोनी ने इस मौके का जमकर फ़ायदा उठाया और 148 रन की पारी खेली। गांगुली को ये फ़ैसला धोनी के करियर को पूरी तरह बदल दिया। #4 जोगिंदर शर्मा को आईसीसी वर्ल्ड टी-20 2007 के फ़ाइनल में आख़िरी ओवर की ज़िम्मेदारी देना क़रीब 11 साल पहले टीम इंडिया ने पहली बार आईसीसी वर्ल्ड टी-20 का ख़िताब जीता था। इस मैच में कप्तान धोनी का जो फ़ैसला आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है, वो है जोगिंदर शर्मा को आख़िरी ओवर में बॉलिंग की ज़िम्मेदारी सौंपना। धोनी ने हरभजन सिंह की जगह जोगिंदर को मौका दिया। उस ओवर के बीच में ऐसा लग रहा था कि धोनी का ये फ़ैसला आत्मघाती साबित होगा, क्योंकि पाकिस्तान के मिस्बाह-उल-हक़ ने शानदार छक्का जड़ दिया। लेकिन इसके ठीक बाद मिस्बाह ने फिर छक्का मारने की कोशिश की लेकिन इस बार वो श्रीशांत के हाथों कैच थमा बैठे। भारत ने ये मैच और टूर्नामेंट चमत्कारिक ढंग से जीत लिया। #5 साल 2011 के आईसीसी वर्ल्ड कप फ़ाइनल में धोनी का 5वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला 2 अप्रैल 2011 का वो दिन भारतीय क्रिकेट फ़ैंस कभी नहीं भूल सकते क्योंकि इस दिन भारत ने करीब 28 साल बाद वर्ल्ड पर कब्ज़ा जमाया था। भारत को ख़िताबी मुक़ाबला श्रीलंका के ख़िलाफ़ मुंबई में खेलना था। इस मैच से पहले टूर्नामेंट में धोनी का सर्वाधिक निजी स्कोर महज़ 34 रन था। किसी ने ये उम्मीद नहीं की थी कि धोनी इस मैच को अपने दम पर जिता पाएंगे। लेकिन धोनी दुनिया को चौंकाने में माहिर हैं। वो टीम का विकेट गिरता देख 5वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने मैदान में आ गए। माही को युवराज सिंह का साथ मिला। धोनी ने इस मैच में नाबाद 91 रन बनाए और भारत को दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनाया। धोनी को वो विनिंग छक्का इतिहास में दर्ज हो गया। लेखक- शंकर नारायण अनुवादक- शारिक़ुल होदा