टीम इंडिया के इतिहास में एक वक़्त ऐसा भी आया था जब राहुल द्रविड़ को विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई थी, और वो इस काम को बख़ूबी अंजाम दे रहे थे। फिर एक आम राय बनी कि अब दस्तानों को किसी अन्य खिलाड़ी को सौंप देना चाहिए। ऐसे में 23 साल के महेंद्र सिंह धोनी को वनडे में विकेटकीपिंग का ज़िम्मा सौंपा गया। शुरुआत में ऐसा नहीं लग रहा था कि धोनी इस काम के लिए उपयुक्त खिलाड़ी हैं। लेकिन माही के करियर में उस वक़्त नया मोड़ आया जब साल 2005 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उन्हें नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया। धोनी ने इस मौके का जमकर फ़ायदा उठाया और 148 रन की पारी खेली। गांगुली को ये फ़ैसला धोनी के करियर को पूरी तरह बदल दिया।
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