जीत और हार खेल का एक हिस्सा है। खेलों में यह दिन और रात की तरह एक अनिवार्य प्रक्रिया है। हालांकि हर कोई जीतने के लिए खेलता है, फिर भी हमेशा ऐसा संभव नहीं होत। कई बार ऐसा भी होता है कि मैच में पूरे समय सर्वश्रेष्ठ रहने वाली टीम अपनी एक या दो गलतियों या खराब किस्मत की वजह से हार जाती हैं। यह हार सिर्फ मैदान पर नहीं होती, बल्कि कई बार यह मैदान के बाहर तक भी आ जाती है। यानी हारने वाली टीम मनोवैज्ञानिक रूप से हार जाती है और आने वाले मैचों के लिए अपना हौसला खो देती है। तो आज हम 5 ऐसे ही उदाहरणों पर एक नजर डालेंगे जब क्रिकेट के मैदान पर इस तरह की घटनाएं हुईं, जो आज भी हमें भावुक कर देती हैं: #5 दक्षिण अफ्रीका बनाम ऑस्ट्रेलिया, विश्व कप सेमीफाइनल 1999 दक्षिण अफ्रीका को लॉर्ड्स में खेले जाने वाले फाइनल में जगह बनाने के लिए 50 ओवर में 214 रन की जरूरत थी और अंतिम ओवर में जीत के लिए उसे सिर्फ 9 रन बनाने थे। जबकि अफ्रीका के इन-फॉर्म बल्लेबाज लांस क्लूजनर क्रीज पर थे। क्लूजनर ने ओवर के पहले दो गेंदों को सीमा पार भेज के अफ्रीका की जीत को लगभग सुनिश्चित ही कर दिया था, और मुक़ाबला टाई कर दिया था। यानी अब अगली 4 गेंदो पर जीत के लिए सिर्फ़ 1 रन की दरकार थी, जो उन्हें फ़ाइनल का टिकट दिलाती। लेकिन अगली दो गेंदें ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में गई, तीसरी गेंद पर लांस क्लूजनर रन नहीं बना सकें, वहीं चौथी गेंद पर वह दबाव में रन आउट आउट हो गए। क्लूजनर द्वारा मिड ऑफ पर खेली गई गेंद को दूसरे छोर पर खड़े एलन डोनाल्ड देखते रह गए जबकि क्लूजनर रन लेने के लिए निकल पड़े। इस तरह एक अराजक स्थिति उत्पन्न हुई और डोनाल्ड के रन ऑउट होने के बाद मैच नाटकीय रूप से टाई समाप्त हुआ। हालांकि सुपर-6 चरण में बेहतर प्रदर्शन होने के कारण ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में जगह मिली जबकि दक्षिण अफ्रीका को बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
यह कहना गलत नहीं होगा कि दक्षिण अफ्रीका विश्व क्रिकेट की सबसे दुर्भाग्यशाली टीम है। खासकर विश्व कप जैसे टूर्नामेंट्स में उनके साथ अक्सर ऐसा होता है। एक और साल, एक और विश्व कप और क्रीज पर फिर से लांस क्लूजनर। दक्षिण अफ्रीका को श्रीलंका ने 269 रन का लक्ष्य दिया था। दक्षिण अफ्रीका का भी स्कोर एक समय पर 45 ओवर में 6 विकेट पर 229 रन था। इस तरह वह जीत के कगार पर नजर आ रही थी। लेकिन बारिश ने मैच में खलल डाला और डकवर्थ-लुईस नियम के अनुसार मैच को टाई घोषित कर दिया गया। मार्क बाउचर और क्लूजनर ने मैच जीतने के लिए आवश्यक रनों की गिनती में गड़बड़ी की, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। एक रन कम होने से यह मैच टाई समाप्त हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि न्यूजीलैंड सुपर 6 चरण में आगे बढ़ गया, जबकि दक्षिण अफ्रीका टूर्नामेंट से फिर से बाहर हो गया। सबसे ज्यादा निराशाजनक यह था कि यह विश्व कप दक्षिण अफ्रीका के घर में हो रहा था और एक मेजबान के रूप में दक्षिण अफ्रीका को ऐसे विदाई की उम्मीद नहीं थी।
इस मैच ने भारतीय क्रिकेट के वर्तमान और भविष्य को आकार दिया। इस जीत से धोनी युग की शुरूआत हुई और भारत क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में नंबर वन बना। इस मैच के बाद दुनिया भर में टी-20 लीग की शुरुआत हुई और आधुनिक क्रिकेट के खेल को बदल कर रख दिया। इस तरह यह मैच और भारत की जीत आधुनिक क्रिकेट में क्रांति की तरह थी। गौतम गंभीर के 75 रनों की शानदार पारी की बदौलत भारत ने पाकिस्तान को जीत के लिए 158 रन का लक्ष्य दिया। पाकिस्तान इस मैच में जीत की तरफ बढ़ रहा था जब तक इरफान पठान ने मैच जीताऊ जादूई स्पेल नहीं डाला। इसके बाद पाकिस्तान लगभग मैच हार चुकी थी। लेकिन फिर कप्तान मिस्बाह-उल-हक ने अपना हाथ दिखाना शुरू किया। वह लगभग अकेले ही पाकिस्तान को जीत की तरफ ले गए। लेकिन महेंद्र सिंह धोनी की चतुराई कप्तानी और फील्ड प्लेसमेंट ने मैच को पाकिस्तान से छीन लिया। दिल स्कूप शॉट पर श्रीसंत द्वारा लपके जाने के बाद मिस्बाह का बल्ला लेकर क्रीज पर बैठना क्रिकेट के सबसे भावुक पलों में से एक था। #2 पाकिस्तान में श्रीलंकाई टीम पर आक्रमण, 3 मार्च 2009 3 मार्च, 2009 की सुबह पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन के खेल के लिए श्रीलंकाई टीम होटल से लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम की तरफ बढ़ रही थी, कि अचानक से टीम बस पर हमला हो गया। आतंकवादियों ने गोलियों और हैंड ग्रेनेड से श्रीलंकाई खिलाड़ियों को निशाना बनाया। हालांकि बस चालक के प्रजेंस ऑफ माइंड ने बहुत कुछ नुकसान होने से बचा लिया। लेकिन तब तक पाकिस्तान और विश्व क्रिकेट का बहुत कुछ नुकसान हो चुका था। मैच के दोहरे शतकवीर थिलन समरवीरा सहित श्रीलंका के कई खिलाड़ी घायल हो चुके थे और पाकिस्तान से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट दूर-बहुत दूर जा चुका था। #1 फिलीप ह्यूज की मौत, 27 नवंबर 2014 फिलिप ह्यूज एक युवा और प्रतिभाशाली बल्लेबाज थे और उन्हें ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का भविष्य माना जाता था। जूनियर स्तर पर करियर की शानदार शुरुआत के बाद ह्यूज ने सीनियर क्रिकेट में भी अपना वहीं फॉर्म दिखाया। उन्होंने अपने पहले वन डे में शतक जड़ने के साथ-साथ अपनी पहली तीन टेस्ट पारियों में 50+ के स्कोर बनाए। हालांकि इसके बाद उनका फॉर्म थोड़ा खराब हो गया, लेकिन फिर भी वह ऑस्ट्रेलिया के भविष्य की योजनाओं का एक हिस्सा थे। लेकिन शेफील्ड शील्ड के एक मैच में न्यू साउथ वेल्स की तरफ से खेलते हुए सिर्फ उनके भविष्य पर ही नहीं बल्कि जीवन पर भी रोक लग गया। वह जब 63 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे, तभी सीन एबॉट का एक बाउंसर उनके सिर पर लगा और वह पिच पर ही गिर पड़े। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दो दिन कोमा में रहने के बाद उनकी मृत्यु हो गई। इस तरह एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर का दु:खद अंत हो गया। नि:संदेह यह क्रिकेट की दुनिया का सबसे मार्मिक और भावुक पल था। लेखक: राहुल खत्री अनुवादक: सागर