यह भारत और इंग्लैंड दोनों टीमों के लिए एक महत्वपूर्ण मैच था। विश्व कप के लीग मैच का यह लगभग आखिरी दौर था और दोनों टीमों को इसके बाद अपने चिर प्रतिद्वंदियों क्रमशः पकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया से भिड़ना था। इसलिए दोनों टीमें यह मैच जीतकर बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ हाई वोल्टेज मुकाबले में जाना चाहती थी। टीम इंडिया के कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया ताकि एक बड़ा स्कोर खड़ा कर के विरोधी टीम पर लक्ष्य का पीछा करने का दबाव बनाया जा सके। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के 50 रन और राहुल द्रविड़ के 62 रन की बदौलत भारत ने निर्धारित 50 ओवरों में 250 रन बनाए। दक्षिण अफ्रीका के तेज पिचों पर अगर टीम के बल्लेबाजी का भार तेंदुलकर पर था तो वहीं टीम की गेंदबाजी की जिम्मेदारी तेज गेंदबाजी तिकड़ी श्रीनाथ, जाहिर खान और आशीष नेहरा पर थी। इन तीनों गेंदबाजों में सबसे कम अनुभवी आशीष नेहरा थे लेकिन यह दिन शायद नेहरा का ही था। मोहम्मद कैफ ने इंग्लैंड के ओपनर निक नाइट को रन आउट कर भारतीय टीम को एक परफेक्ट शुरुआत दी। जबकि जहीर खान ने दूसरे ओपनर ट्रेस्कोथिक को आउट कर इंग्लैंड को मुश्किल में डाल दिया। इसके बाद आशीष नेहरा ने जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेते हुए इंग्लैंड के पूरे बल्लेबाजी क्रम को 10 ओवर के भीतर ही उखाड़ कर फेंक दिया। 13 वें ओवर में कप्तान गांगुली द्वारा गेंद सौंपे जाने पर दिल्ली के इस तेज गेंदबाज ने इंग्लैंड के बल्लेबाजी क्रम के रीढ़ को तोड़ डाला और छह विकेट झटक डाले। नेहरा की विकेट सूची में माइकल वॉन, नासिर हुसैन, एलेक स्टीवर्ट और पॉल कॉलिंगवुड जैसे बल्लेबाज शामिल थे। नेहरा ने इस मैच सीम बॉलिंग का शानदार प्रदर्शन करते हुए 10-2-23-6 के आंकड़े दर्ज किए। भारत ने इंग्लैंड को 168 रन पर आल आउट कर यह मैच आसानी से 82 रन से जीत लिया।