भारतीय गेंदबाजों द्वारा किये गये 5 यादगार प्रदर्शन

हरभजन सिंह : ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ
37.5-7-123-7 (कोलकाता, 2001)
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वह भी एक दौर था जब ऑस्ट्रेलियाई टीम को अपराजेय माना जाता था। अपने उसी दौर में ऑस्ट्रेलियाई टीम 2001 में भारत के दौरे पर आई थी और पहला टेस्ट तीन दिन के भीतर ही दस विकेट से जीतकर उसने अपने वर्चस्व का आभास भी करा दिया था। उस समय भारत की तरफ से एक युवा स्पिनर उभर रहा था जिसका नाम हरभजन सिंह था। हरभजन सिंह ने सीरीज के दूसरे मैच में बेहतरीन गेंदबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के लगातार 15 टेस्ट के विजयी अभियान को रोक दिया। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के इस विजय अभियान को रोकना इतना आसान भी नहीं था। टेस्ट मैच के पहले दिन बल्लेबाजी करने उतरी कंगारू टीम को उनके ओपनर्स माइकल स्लेटर और मैथ्यू हेडन ने 103 रन की सधी हुई शुरुआत दी। इसके बाद हेडन और लैंगर ने भी दूसरे विकेट के लिए 90 रन जोड़े। हेडन धीरे-धीरे अपने शतक की तरफ बढ़ ही रहे थे कि हरभजन ने उन्हें 97 रन पर 12वें खिलाड़ी खिलाड़ी हेमंग बदानी के हाथों कैच आउट करा दिया। इसके बाद लैंगर और मार्क वॉ के भी विकेट जल्दी-जल्दी गिर गए और ऑस्ट्रेलियाई टीम अचानक से दबाव में आ गई। टर्बनेटर हरभजन ने इस बने हुए दबाव का भरपूर फायदा उठाया और पारी के 72वें ओवर के शुरूआती तीन गेंदों पर तीन विकेट झटक डाले। इस तरह से हरभजन भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बन गए। उन्होंने पोंटिं, गिलिक्रिस्ट और वार्न को लगातार गेंदों पर आउट कर मैच को भारत के पक्ष में मोड़ दिया। हालांकि स्टीव वॉ और जेसन गिलेस्पी ने नौवें विकेट के लिए 133 रन जोड़ते हुए ऑस्ट्रेलिया को उबारने की कोशिश की लेकिन हरभजन सिंह ने पारी में 7 और मैच में कुल 13 विकेट लेते हुए ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोक दिया। यह एक ऐतिहासिक मैच था और ऑस्ट्रेलिया के 445 रन के जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में सिर्फ 171 रन पर ही आल आउट हो गई थी। इस तरह भारत को फॉलोऑन का सामना करना पड़ा था। लेकिन दूसरे पारी में ‘वेरी वेरी स्पेशल’ लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की साहसिक और विशाल पारियों की बदौलत भारत ने 657 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। इस तरह ऑस्ट्रेलियाई टीम को 384 रन का लक्ष्य मिला जिसे ऑस्ट्रेलियाई टीम नहीं पा सकी और 171 रन से मैच हार गई। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक जीत और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक शर्मनाक हार थी। इस मैच में लक्ष्मण ने 281 रन की शानदार और ऐतिहासिक पारी खेली थी और यह उस समय भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड था। लक्ष्मण ने महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर के 236 रन के रिकॉर्ड को तोड़ा था।