एक महान खिलाड़ी वो होता है जो मैदान में आने के बाद बेहतरीन प्रदर्शन करता है, ऐसा खिलाड़ी जो मुश्किल हालात और बेहद दबाव में भी अपनी टीम को जीत दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। मौजूदा दौर में अगर कोई ऐसा खिलाड़ी है तो वो है विराट कोहली। कोहली ने भारतीय क्रिकेट के लिए काफ़ी योगदान दिया है। उन्होंने कई मैच अकेले ख़ुद के दम पर जिताए हैं।
अभी उनकी उम्र महज़ 29 साल है, ऐसे में कई रिकॉर्ड्स उनका इंतज़ार कर रहे हैं। इस बात में कोई शक नहीं है कि जब कोहली संन्यास लेंगे तब उनके नाम बल्लेबाज़ी के कई कीर्तिमान होंगे। वो सचिन तेंदुलकर के भी कई रिकॉर्ड्स को तोड़ सकते हैं, जो एक वक़्त नामुमकिन सा लगता था।
आइए हम यहां विराट कोहली की 5 यादगार पारियों को लेकर चर्चा करते हैं।
149 बनाम इंग्लैंड, एजबेस्टन, 2018
जब भी कोहली के करियर का विश्लेषण किया जाएगा उस में साल 2014 के इंग्लैंड दौरे का ज़िक्र ज़रूर होगा, क्योंकि ये एकलौता ऐसा विदेशी दौरा था जब कोहली बुरी तरह नाकाम साबित हुए थे। साल 2018 की गर्मियों में कोहली अपनी टीम के साथ इंग्लैंड के दौरे पर गए, उनकी कोशिश थी कि वो पिछले दौरे के बुरे प्रदर्शन को भुलाकर एक नई शुरुआत करें। एजबेस्टन के मैदान पर कोहली ने वो कर दिखाया जिसके लिए वो जाने जाते हैं।
सीरीज़ के पहले टेस्ट मैच में भारत ने इंग्लैंड को पहली पारी में 287 रन पर समेट दिया। इस जवाब में भारत के 100 रन पर 5 विकेट गिर चुके थे। फिर कोहली ने वो कर दिखायी जो लंबे वक़्त तक याद रखा जाएगा। आख़िरी दो बल्लेबाज़ों ने मिलकर 92 रन बनाए और कोहली ने शानदार 149 रन की पारी खेली। कोहली ने दूसरी पारी में अर्धशतक लगाया लेकिन उन्हें टीम141 बनाम ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड, 2014
किसी टेस्ट मैच की चौथी पारी और 5वें दिन बल्लेबाज़ी करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। साल 2014 में जब टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी तब एडिलेड में नाथन ल्यॉन घातक गेंदबाज़ी कर रहे थे। 5वें दिन कोहली पर ज़िम्मेदारी थी कि वो 364 रन के लक्ष्य का पीछा करें। कोहली की साख दांव पर थी, क्योंकि उसी साल कोहली ने इंग्लैंड दौरे पर नाकामी हासिल की थी।
इसके बाद कोहली की बेहतरीन पारी देखने को मिली। कोहली ने 141 रन की पारी खेली थी और मुरली विजय के साथ मिलकर एक अच्छी साझेदारी की थी, ऐसा लगने लगा था कि टीम इंडिया ये मैच जीत जाएगी। लेकिन भारत का मिडिल ऑर्डर बुरी तरह नाकाम हुआ। कोहली भी नाथन ल्यॉन का शिकार हुए। कोहली की कोशिश बेकार साबित हुई और भारत ये मैच 48 रन से हार गया।133* बनाम श्रीलंका, होबार्ट, 2012
वनडे में 300 रन का स्कोर बनाना अब बच्चों का खेल बन गया है, लेकिन ये 6 साल पहले ये इतना आसान नहीं था। अगर कोई कहे कि 300 ज़्यादा के लक्ष्य को टीम इंडिया ने 37वें ओवर में हासिल कर लिया था तो किसी के लिए भी यकीन करना मुश्किल होगा। ये मैच कॉमनवेल्थ ट्राई सीरीज़ का हिस्सा था, इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया तीसरी टीम थी। भारत को फ़ाइनल में पहुंचने के लिए ये मैच बोनस प्वाइंट के साथ जीतना ज़रूरी था।
श्रीलंका ने भारत को जीत के लिए 40 ओवर में 321 रन का लक्ष्य दिया, ये लक्ष्य नामुमकिन सा लग रहा था, सभी ये मान बैठे थे कि अब श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया के बीच फ़ाइनल मैच खेला जाएगा। लेकिन किसी को ये नहीं पता था कि कोहली मैच का रुख़ पलट देंगे। टीम इंडिया की तरफ़ से कोहली ने नाबाद 133 रन की पारी खेली और भारत ने ये लक्ष्य महज़ 36.4 ओवर में हासिल कर लिया।100* बनाम ऑस्ट्रेलिया, जयपुर, 2013
ऐसा लगता है कि कोहली को ऑस्ट्रेलियाई टीम से पुरानी मोहब्बत है, वो हमेशा कंगारू टीम के ख़िलाफ़ लंबी पारी खेलना पसंद करते हैं। ऐसा ही वाक्या हुआ साल 2013 में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में। ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए 359 रन का स्कोर खड़ा किया। भारत के लिए ये काफ़ी मुश्किल लक्ष्य था। ओपनिंग बल्लेबाज़ शिखर धवन और रोहित शर्मा ने भारत को एक मज़बूत शुरुआत दी, भारत को अब भी 23.5 ओवर में 186 रन की ज़रूरत थी। कोहली ने महज़ 52 गेंदों में शतक बना डाला और भारत ने ये मैच 39 गेंद शेष रहते जीत लिया था।
119 बनाम दक्षिण अफ़्रीका, जोहांसबर्ग, 2013
जिस खिलाड़ी ने दक्षिण अफ़्रीका और न्यूज़ीलैंड में टेस्ट मैच न खेला हो उससे उम्मीद की जाती है कि उसे स्विंग और बाउंस का आदी बनने में थोड़ा वक़्त लगेगा। साल 2013 में जब टीम इंडिया साउथ अफ़्रीकी दौरे पर गई थी, तब भारतीय बल्लेबाज़ों का सामना डेल स्टेन, वेरनॉन फ़िलेंडर, मॉर्ने मॉर्कल और जैक्स कालिस जैसे गेंदबाज़ों से होगा था। लेकिन कोहली इन बातों से बेख़ौफ़ थे। भारत ने जोहांसबर्ग के वांडरर्स के मैदान में 280 रन का स्कोर खड़ा किया था। कोहली और रहाणे के अलावा कोई की खिलाड़ी 25 रन भी नहीं बना सका था। कोहली ने इस मैच में शानदार 119 रन की पारी खेली और टीम इंडिया को जल्द ऑल आउट होने से बचा लिया।
लेखक- saubhagyasvnit2001
अनुवादक- शारिक़ुल होदा
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