भारत और इंग्लैंड के बीच 5 टेस्ट मैचों की सीरीज का चौथा मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला जा रहा हैं। चौथे दिन का खेल जारी है औऱ अब तक टीम इंडिया का प्रदर्शन भी अच्छा चल रहा हैं। खास बात ये है वानखेड़े स्टेडियम पर टीम इंडिया के इंग्लैण्ड के खिलाफ रिकार्ड पर नज़र डाले तो आंकडे टीम इंड़िया का कोई खास साथ देते नजर नहीं आते हैं। इंग्लैंड भले ही भारत के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 0-2 से पिछड़ रहा हैं, लेकिन वानखेड़े स्टेडियम में उसका रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा हैं। इंग्लैंड टीम ने इस मैदान पर पिछले दोनों टेस्ट मैचों में भारत पर शानदार जीत दर्ज की थी इसीलिए ये मुकाबला औऱ भी रोमांचक हैं। खैर आंकड़े चाहे साथ न दे रहे हो पर मुम्बई का वानखेड़े स्टेडियम वही स्टेडियम हैं जो भारतीय क्रिकेट के कई यादगार और ऐतिहासिक लम्हों का गवाह बना हैं। फिर चाहे वो 2011 का विश्वकप हो या क्रिकेट के भगवान सचिन की क्रिकेट से विदाई का पल।धोनी के मैच विनिंग सिक्सर का गवाह भी मुम्बर्ई का वानखेड़े स्टेडियम ही बना है।इसीलिए ऐसे में उम्मीद यही हैं कि इस बार भी विराट की सेना के लिए भी ये मैदान कुछ ऐसा ही करिश्माई साबित होगा। वैसे तो क्रिकेट की दुनिया में हर मैच अपने आप में रोमांचक होता हैं और हर पिच अपने आप में खास मगर बात जब वानखेड़े की हो तो कुछ यादगार औऱ अपने आप में कई मायनों में ऐतिहासिक मैच अपने आप याद आ जाते हैं उन्ही में से 5 ऐसे ही यादगार मैचों के बारे में आपको बताते हैं। #1 जनवरी 1975 भारत बनाम वेस्टइंडीज 1975 ये वही साल था जब पहला विश्पकप हुआ औऱ इसका विजेता भी वेस्टइंडीज ही बना। आज से 40 साल पहले वानखेड़े की पिच पर पहली बार 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने वाली टीम भी वेस्टइंडीज ही थी। सीरीज में रोमांच अपने चरम पर था क्योंकि सीरीज 2-2 से बराबरी पर थी और सीरीज का आखिरी मैच हो रहा था वानखेड़े की पिच पर। साथ ही इस मैच से कई और यादगार पहलू भी जुड़े है। सर विवियन रिचर्ड ने इसी सीरीज के बैंगलोर में खेले गए पहले मैच से टेस्ट क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था। साथ ही सबसे महान कप्तानों में से एक माने जाने वाले नवाब पटौदी का ये आखिरी मैच था। वानखेड़े की पिच से ही उनकी विदाई भी हुई थी। 6 दिन चलने वाले इस मैच में वेस्टइंडीज के कप्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया वेस्टइंडीज ने 2 दिन से ज्यादा बल्लेबाजी कर 604 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर तीसरे दिन की सुबह पारी डिक्लेयर की। ओपनर रॉय फ्रेडरिक्स ने 104,एल्विन कालिचरन एल्विन कालीचरण ने 98 और डेरेक मरे ने 91 रन का शानदार स्कोर बनाया तो वही जवाब में भारतीय टीम की तरफ. से बल्लेबाजी करते हुए फॉलोऑन बचाते हुए एकनाथ सोलकर ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक बनाया।इन सबके अलावा ये मैच कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर भी चर्चा में रहा। इस मैच के दूसरे दिन ही एक प्रशंसक लॉयड को उनके दूसरे शतक की बधाई देने के लिए मैदान पर जा पहुंचा जिसे काबू में करने के लिए पुलिस की कार्रवाई के बाद भीड़ के बेकाबू होने की वजह से दंगे जैसी स्थिती हो गई हालाकिं जल्द ही उस पर काबू भी पा लिया गया। # 2 भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया ,नवंबर 2004 वानखेड़े की पिच सबसे कम रन वाले मैच की गवाह भी बनी है। एक ऐसा ही लो स्कोरिंग मैच हुआ साल 2004 में वो भी भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीमों के बीच।भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया । मैच की शुरूआत ही टीम इंडिया के लिए मुश्किल भरी रही। शुरुआती 6 विकेट 46 रनों पर ही गंवा दिए। इस दौरान राहुल द्रविड़ ही एकमात्र भारतीय बल्लेबाज थे जो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का थम कर सामना कर सके और अंत तक नाबाद रहे।पूरी भारतीय टीम पहली पारी में 41.3 ओवरों में 104 रनों पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया सीरीज में बढ़त पहले से ही बना चुकी थी इसीलिए टीम इंड़िया पर प्रेशर काफी था। जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया टीम भी भारतीय गेंदबाजों के सामने कुछ खास नहीं कर सकी और 203 रनों पर ऑलआउट हो गई और इस तरह पहली पारी के आधार पर उन्हें 99 रनों की बढ़त मिल गई। भारत की ओर से अनिल कुंबले ने 5 और मुरली कार्तिक ने 4 विकेट लिए। जवाब में तीसरी पारी में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया की शुरुआत फिर से खराब रही और 14 रनों पर 2 विकेट गंवा दिए। ऐसे में बल्लेबाजी करने आए सचिन तेंदुलकर ने तीसरे विकेट के लिए वीवीएस लक्ष्मण के साथ 81 रन जोड़े और 55 रन बनाकर आउट हो गए। वीवीएस लक्ष्मण ने 69 रन बनाए और टीम इंडिया की ओर से सर्वोच्च स्कोर बनाने वाले बल्लेबाज रहे। अंततः पूरी टीम 205 रनों पर ऑलआउट हो गई । इस तरह चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया को107 रनों का लक्ष्य मिला। चौथी पारी में बल्लेबाजी करने जब ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाजी करने उतरी तो सबको लग रहा था कि टीम इंडिया यह मैच आसानी से हार जाएगी, लेकिन हुआ कुछ उलट। पहले ओवर की दूसरी ही गेंद पर जहीर खान ने जस्टिन लैंगर को आउट करके भारत को पहली सफलता दिलवाई। इसके बाद 24 रनों पर ऑस्ट्रेलिया के 3 विकेट गिर गए। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया संभलती 33 रनों के स्कोर पर चौथा विकेट भी गिर गया। इसके बाद बल्लेबाज लगातार भारतीय गेंदबाजों के आगे पनाह मांगते नजर आए और पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम 30.5 ओवरों में 93 रनों पर ऑलआउट हो गई। इस तरह टीम इंडिया ने मैच 13 रनों से जीत लिया। मैच में 9 विकेट लेने वाले मुरली कार्तिक को मैन ऑफ द मैच दिया गया। टीम इंडिया ने इस तरह सीरीज में अपनी पहली जीत दर्ज कर ली। यह मैच आज भी याद किया जाता है। #3 इंडिया Vs इंग्लैंड, नवंबर 2012 वानखेड़े स्टेडियम से सिर्फ भारतीय टीम की ही नहीं बल्कि मेहमान टीम की भी कई अच्छी यादें जुड़ी हुई हैं। हांलाकि मेहमान टीम सीरीज में 2-0 से पीछे है, लेकिन वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड टीम का मैच में वापसी का अच्छा इतिहास रहा हैं। 1980 में इंग्लैंड की टीम ने एक गोल्डन जुबली मैच जीता जिसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड के 100 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।दुनिया के जाने माने ऑल राउंडर इयान बॉथम उस मैच के हीरो रहे। बॉथम ने 13 विकेट चटकाए और साथ ही 114 रनों की शानदार पारी भी खेली। इस मैदान पर तीनों टेस्ट मैच जीते और यहीं नहीं इंग्लैंड ही एक ऐसी टीम हैं जिसने इस मैदान पर घूमती गेंदों का डटकर सामना किया। 2012 में भी भारत दौरे पर आई इंग्लिश टीम विजयी रही थी जो इंग्लैंड के लिए अपने घर से बाहर मिली यादगार जीतों में से एक हैं। इस मैदान पर सीरीज के दूसरे टेस्ट में इस टीम ने मेजबान टीम को 10 विकेट से हराया था जो कि अहमदाबाद में खेले गए मैच में मिली हार के बाद सीरीज का टर्निंग प्वाइंट रहा।इस तेज घूमती पिच पर पहले खेलते हुए भारतीय टीम ने चेतेश्वर पुजारा के शानदार 135 रनों और अश्विन के 68 रनों की बदौलत पहली पारी में 327 रन का स्कोर खड़ा किया। और वानखेड़े का ये मैदान इस बात का गवाह हैं कि ब्रिटिश टीम ने जवाब देते हुए शानदार खेल का प्रदर्शन किया। शुरूआती झटकों के बाद एलस्टर कुक और केविन पीटरसन ने धैर्य के साथ खेलते हुए तीसरे विकेट के लिए 206 रन की साझेदारी की। कुक शांति और दृढ़ता के साथ क्रीज पर टिके रहे तो पीटरसन कई आकर्षक शॉट लगाए। कुक के 122 रन और पीटरसन के 186 रन के साथ दोनों ने अपना 22वां टेस्ट शतक भी लगाया और इसी के साथ इंग्लैंड के सबसे ज्यादा टेस्ट शतक बनाने वाली टीम बन गई। पहली पारी में 86 रनों की बढत लेने के बाद इंग्लैंड की स्पिनर जोड़ी मोंटी पनेसर और ग्रेम सॉन ने दूसरी पारी में भारत को 142 रनों पर ही समेट दिया। भारत की ओर से गंभीर ने 65 रन बनाए और इसके बाद अश्विन के अलावा कोई भी दहाई का आंकाड़ा नहीं पार कर पाया। #4 इंडिया Vs वेस्टइंडीज, नवंबर 2011 आमतौर पर टेस्ट मैच को बोरिंग या ड्रॉ के लिए जाना जाता हैं लेकिन टेस्ट मैच में कभी कभी ऐसे मोड़ आते हैं जो रोमांचित कर देते हैं। ऐसा ही एक मैच 2011 में वेस्टइंडीज के भारत दौरे के दौरान तीसरे और आखिरी मैच में हुआ। इस मैच में जब फिडेल एडवर्ड मैच के आखिरी दिन आखिरी ओवर करने आए तो वास्तव में मैच टाई होने के साथ सभी चार परिणाम संभावित लग रहे थे । जीत के लिए भारत को आखिरी बॉल पर दो रन चाहिए थे। लेकिन क्रीज पर मौजूद अश्विन और आरोन के तालमेल की कमी से अश्विन रन ऑउट हो गए। अश्विन की झिझक की वजह से बिगड़े तालमेल ने उन्हे रन आउट करा दिया जिससे आखिरी और निर्णायक टेस्ट टाई हो गया। इस तरह के टेस्ट मैच शायद ही हुए हो ।ये मैच पिछले 2018 मैचों में एकलौता था जहां चौथी पारी खत्म होने पर दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहा हो। पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज की टीम ने 590 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। जहां डेरन ब्रॉवो ने शानदार 166 रनों की शानदार पारी खेली और यहीं नहीं इस पारी की खास बात ये रही कि शुरूआत के सभी छह बल्लेबाजों ने 50 से ज्यादा रन बनाए। जवाब में अश्विन की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत भारत ने 482 रन बनाए। अश्विन के अलावा गंभीर, द्रविड़, तेंदुलकर और कोहली ने भी अर्धशतक बनाया। मैच के पहले हॉफ में पिच एक दम फ्लैट थी लेकिन दूसरे हॉफ में पिच घूमने लगी और दूसरी पारी में वेस्टइंडीज 134 रन पर ही सिमट गई। भले ही अश्विन की झिझक से भारत मैच जीतने में नाकाम रहा, लेकिन पहली पारी में अश्विन के शानदार शतक और नौ विकेट ने उन्हें मैच का हीरो बना दिया। अपनी पहली टेस्ट सीरीज खेल रहे अश्विन ने इस मैच के लिए मैन ऑफ द मैच के साथ साथ प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब भी अपने नाम किया। हांलाकि भारत ने ये सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली लेकिन 1993-94 में बने 3-0 के क्लीन स्वीप का इतिहास दोहराने में नाकाम रहा। #5 इंडिया Vs वेस्टइंडीज, नवंबर 2013 दो साल पहले रोमांचक ड्रॉ टेस्ट मैच खेलने के बाद इंडिया और वेस्टइंडीज एक बार फिर दो टेस्ट मैच सीरीज के लिए वानखेड़े के मैदान में एक दूसरे के आमने सामने थे। जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक पल बना। मौका था क्रिकेट के किवदंती सचिन तेंदुलकर के 200वें टेस्ट का, मौका क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के आखिरी मैच का। जिसके बाद सचिन क्रिकेट की दुनिया से संन्यास लेने वाले थे। और इस महान खिलाड़ी के विदाई समारोह और सम्मान में BCCI ने कोई कोर कसर नहीं रखी थी। तेंदुलकर के होम ग्राउंड मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम को सजा दिया गया था। तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट मैच में बांए हाथ के गेंदबाज प्रज्ञान ओझा ने दोनों पारियों में 5-5 विकेट लेकर शानदार खेल का प्रदर्शन किया। जबकि पहली और इकलौती पारी में पुजारा और रोहित शर्मा ने शानदार शतक जमाए। इंडिया ने ये मैच एक पारी और 126 रन से जीत कर अपने नाम कर लिया।सचिन ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया जैसा की वह हमेशा करते हैं लेकिए अपने जीवन की आखिरी पारी में शतक बनाने से चूक गए। कैरिबियाई स्पिनर नरसिंह डेनरेन की बॉल को कट मारने के चक्कर में सचिन स्लिप में खड़े डेरेन सामी को कैच थमा बैठे। इससे पहले सामी ने सचिन का एक कैच छोड़ दिया था जब वह केवल 6 रन पर थे। अपनी जिन्दगी की आखिरी पारी में 74 रन बनाकर जैसे ही सचिन पवेलियन की ओर वापस जा रहे थे, पूरा स्टेडियम भावुक हो गया । सभी दर्शक अपने सबसे शानदार खिलाड़ी को आखिरी बार क्रिकेट किट में देख रहे थे, सभी उनके सम्मान में खड़े हो गए। सभी भारतीय खिलाड़ियों ने सचिन को सम्मान के साथ स्टेडियम के अंत तक विदा किया। जिसके बाद सचिन ने अपनी जिन्दगी के हर हिस्से जुड़े लोगों और उनके करोड़ों फैन्स जो टीवी से चिपके हुए थे उन्हे संबोधित भी किया जो की बहुत ही भावुक और यादगार पल था। अपने संबोधन में सचिन ने वानखेड़े के मैदान को भी अपने क्रिकेट करियर का अहम हिस्सा बताया।