वानखेड़े स्टेडियम से सिर्फ भारतीय टीम की ही नहीं बल्कि मेहमान टीम की भी कई अच्छी यादें जुड़ी हुई हैं। हांलाकि मेहमान टीम सीरीज में 2-0 से पीछे है, लेकिन वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड टीम का मैच में वापसी का अच्छा इतिहास रहा हैं। 1980 में इंग्लैंड की टीम ने एक गोल्डन जुबली मैच जीता जिसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड के 100 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।दुनिया के जाने माने ऑल राउंडर इयान बॉथम उस मैच के हीरो रहे। बॉथम ने 13 विकेट चटकाए और साथ ही 114 रनों की शानदार पारी भी खेली। इस मैदान पर तीनों टेस्ट मैच जीते और यहीं नहीं इंग्लैंड ही एक ऐसी टीम हैं जिसने इस मैदान पर घूमती गेंदों का डटकर सामना किया। 2012 में भी भारत दौरे पर आई इंग्लिश टीम विजयी रही थी जो इंग्लैंड के लिए अपने घर से बाहर मिली यादगार जीतों में से एक हैं। इस मैदान पर सीरीज के दूसरे टेस्ट में इस टीम ने मेजबान टीम को 10 विकेट से हराया था जो कि अहमदाबाद में खेले गए मैच में मिली हार के बाद सीरीज का टर्निंग प्वाइंट रहा।इस तेज घूमती पिच पर पहले खेलते हुए भारतीय टीम ने चेतेश्वर पुजारा के शानदार 135 रनों और अश्विन के 68 रनों की बदौलत पहली पारी में 327 रन का स्कोर खड़ा किया। और वानखेड़े का ये मैदान इस बात का गवाह हैं कि ब्रिटिश टीम ने जवाब देते हुए शानदार खेल का प्रदर्शन किया। शुरूआती झटकों के बाद एलस्टर कुक और केविन पीटरसन ने धैर्य के साथ खेलते हुए तीसरे विकेट के लिए 206 रन की साझेदारी की। कुक शांति और दृढ़ता के साथ क्रीज पर टिके रहे तो पीटरसन कई आकर्षक शॉट लगाए। कुक के 122 रन और पीटरसन के 186 रन के साथ दोनों ने अपना 22वां टेस्ट शतक भी लगाया और इसी के साथ इंग्लैंड के सबसे ज्यादा टेस्ट शतक बनाने वाली टीम बन गई। पहली पारी में 86 रनों की बढत लेने के बाद इंग्लैंड की स्पिनर जोड़ी मोंटी पनेसर और ग्रेम सॉन ने दूसरी पारी में भारत को 142 रनों पर ही समेट दिया। भारत की ओर से गंभीर ने 65 रन बनाए और इसके बाद अश्विन के अलावा कोई भी दहाई का आंकाड़ा नहीं पार कर पाया।