आमतौर पर टेस्ट मैच को बोरिंग या ड्रॉ के लिए जाना जाता हैं लेकिन टेस्ट मैच में कभी कभी ऐसे मोड़ आते हैं जो रोमांचित कर देते हैं। ऐसा ही एक मैच 2011 में वेस्टइंडीज के भारत दौरे के दौरान तीसरे और आखिरी मैच में हुआ। इस मैच में जब फिडेल एडवर्ड मैच के आखिरी दिन आखिरी ओवर करने आए तो वास्तव में मैच टाई होने के साथ सभी चार परिणाम संभावित लग रहे थे । जीत के लिए भारत को आखिरी बॉल पर दो रन चाहिए थे। लेकिन क्रीज पर मौजूद अश्विन और आरोन के तालमेल की कमी से अश्विन रन ऑउट हो गए। अश्विन की झिझक की वजह से बिगड़े तालमेल ने उन्हे रन आउट करा दिया जिससे आखिरी और निर्णायक टेस्ट टाई हो गया। इस तरह के टेस्ट मैच शायद ही हुए हो ।ये मैच पिछले 2018 मैचों में एकलौता था जहां चौथी पारी खत्म होने पर दोनों टीमों का स्कोर बराबर रहा हो। पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज की टीम ने 590 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। जहां डेरन ब्रॉवो ने शानदार 166 रनों की शानदार पारी खेली और यहीं नहीं इस पारी की खास बात ये रही कि शुरूआत के सभी छह बल्लेबाजों ने 50 से ज्यादा रन बनाए। जवाब में अश्विन की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत भारत ने 482 रन बनाए। अश्विन के अलावा गंभीर, द्रविड़, तेंदुलकर और कोहली ने भी अर्धशतक बनाया। मैच के पहले हॉफ में पिच एक दम फ्लैट थी लेकिन दूसरे हॉफ में पिच घूमने लगी और दूसरी पारी में वेस्टइंडीज 134 रन पर ही सिमट गई। भले ही अश्विन की झिझक से भारत मैच जीतने में नाकाम रहा, लेकिन पहली पारी में अश्विन के शानदार शतक और नौ विकेट ने उन्हें मैच का हीरो बना दिया। अपनी पहली टेस्ट सीरीज खेल रहे अश्विन ने इस मैच के लिए मैन ऑफ द मैच के साथ साथ प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब भी अपने नाम किया। हांलाकि भारत ने ये सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली लेकिन 1993-94 में बने 3-0 के क्लीन स्वीप का इतिहास दोहराने में नाकाम रहा।