दो साल पहले रोमांचक ड्रॉ टेस्ट मैच खेलने के बाद इंडिया और वेस्टइंडीज एक बार फिर दो टेस्ट मैच सीरीज के लिए वानखेड़े के मैदान में एक दूसरे के आमने सामने थे। जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक पल बना। मौका था क्रिकेट के किवदंती सचिन तेंदुलकर के 200वें टेस्ट का, मौका क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन के आखिरी मैच का। जिसके बाद सचिन क्रिकेट की दुनिया से संन्यास लेने वाले थे। और इस महान खिलाड़ी के विदाई समारोह और सम्मान में BCCI ने कोई कोर कसर नहीं रखी थी। तेंदुलकर के होम ग्राउंड मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम को सजा दिया गया था। तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट मैच में बांए हाथ के गेंदबाज प्रज्ञान ओझा ने दोनों पारियों में 5-5 विकेट लेकर शानदार खेल का प्रदर्शन किया। जबकि पहली और इकलौती पारी में पुजारा और रोहित शर्मा ने शानदार शतक जमाए। इंडिया ने ये मैच एक पारी और 126 रन से जीत कर अपने नाम कर लिया।सचिन ने अच्छे खेल का प्रदर्शन किया जैसा की वह हमेशा करते हैं लेकिए अपने जीवन की आखिरी पारी में शतक बनाने से चूक गए। कैरिबियाई स्पिनर नरसिंह डेनरेन की बॉल को कट मारने के चक्कर में सचिन स्लिप में खड़े डेरेन सामी को कैच थमा बैठे। इससे पहले सामी ने सचिन का एक कैच छोड़ दिया था जब वह केवल 6 रन पर थे। अपनी जिन्दगी की आखिरी पारी में 74 रन बनाकर जैसे ही सचिन पवेलियन की ओर वापस जा रहे थे, पूरा स्टेडियम भावुक हो गया । सभी दर्शक अपने सबसे शानदार खिलाड़ी को आखिरी बार क्रिकेट किट में देख रहे थे, सभी उनके सम्मान में खड़े हो गए। सभी भारतीय खिलाड़ियों ने सचिन को सम्मान के साथ स्टेडियम के अंत तक विदा किया। जिसके बाद सचिन ने अपनी जिन्दगी के हर हिस्से जुड़े लोगों और उनके करोड़ों फैन्स जो टीवी से चिपके हुए थे उन्हे संबोधित भी किया जो की बहुत ही भावुक और यादगार पल था। अपने संबोधन में सचिन ने वानखेड़े के मैदान को भी अपने क्रिकेट करियर का अहम हिस्सा बताया।