क्रिकेट के खेल में ऑलराउंडर्स कितने अहम होते हैं ये उनकी टीम को ही पता होता है। आज के दौर में किसी की भी खिलाड़ी के लिए ये मुश्किल होता है कि उनका हाथ बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों में साफ़ हो। एक हरफ़नमौला खिलाड़ी को टीम के लिए कई रोल अदा करने होते हैं। ऑलराउंडर्स की वजह से एक संतुलित टीम तैयार करने में मदद मिलती है। कपिल देव, गैरी सॉबर्स, इयान बॉथम, जैक्स कैलिस, रिचर्ड हेडली, इमरान ख़ान जैसे ऑलराउंडर्स जब अपनी-अपनी टीम में थे तो उस टीम का प्रदर्शन काफ़ी अच्छा रहता था। टी-20 फ़ॉर्मेट के आगमन के बाद किसी भी टीम ऑलराउंडर्स की ज़रूरत काफ़ी बढ़ गई है। बेन स्टोक्स, हार्दिक पांड्या, मोईन अली, आंद्रे रसेल और साक़िब-अल-हसन मौजूदा दौर के बेहतरीन ऑलराउंडर्स में से एक हैं। इसके अलावा फ़िलहाल दुनिया में और भी ऑलराउंडर्स हैं जिन्हें ज़रूरत से ज़्यादा अहमियत दी जा रही, लेकिन वो इसके लायक नहीं है। यहां हम ऐसे ही 5 ऑलराउंडर्स को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
#5 मार्कस स्टोइनिस
ऑस्ट्रेलिया ने विश्व क्रिकेट को कई बेहतरीन ऑलराउंडर्स दिए हैं, जैसे कीथ मिल, शेन वॉट्सन और एलन डेविसन ने अपनी टीम के लिए काफ़ी योगदान दिए हैं। आजकल कंगारू टीम में जो ऑलराउंडर चर्चा में हैं उनका नाम मार्कस स्टोइनिस है। स्टोइनिस ने साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था। हांलाकि उन्होंने कंगारू टीम के लिए कुछ बेहतरीन पारियां खेली हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन औसत दर्जे का ही रहा है। मार्कस स्टोइनिस को ऑस्ट्रेलियाई टीम में मिचेल मार्श की जगह शामिल किया गया है, लेकिन वो अपने ऑलराउंडर के ख़िताब के साथ इंसाफ़ नहीं कर पा रहे हैं। हांलाकि वो बल्लेबाज़ी में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन गेंदबाज़ी में उनका खेल काफ़ी बुरा है। वनडे में उनकी गेंदबाज़ी का औसत 77.87 और इकॉनमी रेट 6.28 है। इस साल की आईपीएल नीलामी में किंग्स XI पंजाब टीम ने उन्हें 6.2 करोड़ रुपये में ख़रीदा था, लेकिन पंजाब टीम का ये फ़ैसला कामयाब साबित नहीं हो पाया।
#4 कार्लोस ब्रैथवेट
क्रिकेट के खेल में कई दफ़ा ऐसा भी होता है कि कोई खिलाड़ी रातों रात स्टार बन जाता है। कार्लोस ब्रैथवेट के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। 2016 की आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के फ़ाइनल में उन्होंने लगातार 4 गेंदों में 4 छक्के लगाकर वेस्टइंडीज़ टीम को ख़िताबी जीत दिलाई थी। इसके बाद उन्हें सीमित ओवर का नया सितारा घोषित कर दिया गया था। कई टी-20 लीग में उनकी क़ीमत आसमान छूने लगी। हांलाकि क़रीब 2 साल बाद कार्लोस ब्रैथवेट अपने हुनर के हिसाब से प्रदर्शन करने में नाकाम रहे हैं। हांलाकि कुछ मौके पर वो उपयोगी साबित हुए हैं लेकिन वो लगातार बेहतर प्रदर्शन करने में असफल रहे हैं। इसके अलावा पिछले एक साल में उनकी गेंदबाज़ी भी कुछ ख़ास नहीं रही है। 2016 के उस प्रदर्शन के बाद वो वेस्टइंडीज़ टीम के लिए ज़्यादा कुछ नहीं कर पाए हैं। वो एक मैच के सितारे बनकर रह गए हैं।
#3 कॉलिन डी ग्रैंडहोम
न्यूज़ीलैंड की टीम में अकसर कई बेहतरीन ऑलराउंडर्स देखने को मिलते हैं, जैसे रिचर्ड हेडली, क्रिस केर्न्स, क्रिस हैरिस, जेम्स फ़्रैंकलिन, स्कॉट स्टाइरिस और जैकब ओरम, जेम्स नीशाम के ख़राब प्रदर्शन के बाद कीवी टीम में कॉलिन डी ग्रैंडहोम को जगह मिली है। 31 साल के ग्रैंडहोम को इस टीम में काफ़ी उम्मीदों के साथ शामिल किया गया था क्योंकि वो गेंद को दूर तक हिट कर सकते हैं और गेंदबाज़ी के दौरान स्विंग करने में माहिर हैं। हांलाकि अब तक उनका प्रदर्शन औसत दर्जे का ही रहा है। भले ही उन्होंने न्यूज़ीलैंड के लिए कुछ ज़रूरी पारियां खेली हैं, लेकिन वो लगातार अच्छा खेल नहीं दिखा पा रहे। अगर यही हाल रहा तो अगले वर्ल्ड कप में उनका खेलना मुश्किल हो सकता है।
#2 थिसारा पेरेरा
श्रीलंकाई टीम में निचले क्रम की बल्लेबाज़ी हमेशा परेशानी का सबब रही है क्योंकि टीम में अच्छे ऑलराउंडर्स की कमी है। इस टीम में तिलकरत्ने दिलशान, अरविंद डीसिल्वा, एंजेलो मैथ्युज़ और सनथ जयसूर्या जैसे महान ऑलराउंडर्स रहे हैं। श्रींलका के लिए थिसारा पेरेरा ने 133 वनडे और 73 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है। वनडे में उनकी बल्लेबाज़ी का औसत 18 है। ये बात हैरान करने वाली है कि वो इस टीम के लिए इतने मैच कैसे खेल पाए। उन्हें इस टीम में ज़रूरत से ज़्यादा तरजीह दी गई है।
#1 जेसन होल्डर
वेस्टइंडीज़ की टीम में हमेशा अच्छे ऑलराउंडर्स की भरमार रही है। इसी टीम के लिए जेसन होल्डर ने साल 2013 में डेब्यू किया था। जब ड्वेन ब्रावो और काइरोन पोलार्ड ने कैरिबियाई टीम की तरफ़ से खेलने से इंकार किया तब होल्डर को इस टीम में स्थाई जगह मिल गई। हांलाकि उनका प्रदर्शन बतौर ऑलराउंडर औसत ही रहा है फ़िर भी उन्हें टीम में बार-बार मौका दिया गया। होल्डर ने 77 वनडे और 31 टेस्ट मैच खेले हैं। इन 31 टेस्ट मैच में उन्होंने 1327 रन बनाए हैं और 56 विकेट हासिल किए हैं। हांलाकि वनडे में उनका रिकॉर्ड इतना बुरा नहीं है, लेकिन उन्होंने वेस्टइंडीज़ टीम के लिए कुछ ख़ास भी नहीं किया है। लेखक- सुजिथ मोहन अनुवादक- शारिक़ुल होदा