# 1 मोहम्मद अशरफुल
2000 में टेस्ट पटल पर आने के बाद से, बांग्लादेश को हमेशा एक खेल को बदलने में सक्षम बल्लेबाज़ की तलाश रही। उन्हें यह तलाश पूरी होती दिखी जब 2001 के एशियाई टेस्ट चैम्पियनशिप के दौरान एक 17 वर्षीय दाएं हाथ के बल्लेबाज ने शानदार प्रदर्शन किया। मुरलीधरन की अगुवाई वाले श्रीलंका के गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ पहले मैच में ही एक शानदार शतक के साथ मोहम्मद अशरफुल ने बड़े स्तर पर खुद के आगाज़ की घोषणा की। अशरफुल को अपना दूसरा टेस्ट शतक बनाने के लिये तीन साल से ज्यादा का इंतजार करना पड़ा। जबकि वह विकेट के चारों ओर खेल सकते थे, लेकिन ऑफ-स्टंप के आसपास खेलने में उनकी कमजोरी ने उनकी समस्याएँ बढ़ा दी। 2006/07 सीजन में एक छोटी अवधि के दौरान, ऐसा लग रहा था कि उन्होंने आखिरकार इस समस्या से निजात पा ली। लेकिन उनकी सफलता कम ही समय तक की रही क्योंकि उनके प्रदर्शन में अनिरंतरता के चलते वह असफलताओं के शिकार हो गये। अशरफुल ने कुल 61 टेस्ट मैचों में भाग लिया था। 24 की एक औसत से 2737 रनों को बनाना उतना ही बुरा है जितना कि यह दिखता है। वास्तव में, उनकी एशिया के बाहर आयोजित 22 टेस्ट मैचों में 15.53 औसत सभी बल्लेबाजों में (कम से कम 20 मैचों में) सबसे खराब है। हालात और खराब हो गये जब उन्हें 2013 की बांग्लादेश प्रीमीयर लीग (बीपीएल) के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में लिप्त पाया गया और राष्ट्रिय क्रिकेट से बहिष्कृत रहे है। 33 साल की बढ़ती हुई उम्र में अब अशरफुल का अंतरराष्ट्रीय करियर लगभग समाप्त ही दिखता है। लेखक: राम कुमार अनुवादक: राहुल पांडे