दादा के नाम से मशहूर सौरव गांगुली का भारतीय टीम पर कप्तान के रूप में काफी असर था। उनके कप्तानी लेने के पहले भारतीय टीम का विदेशों में अच्छा प्रदर्शन नहीं था, लेकिन दादा की अगुवाई में टीम ने इस नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। टीम में युवाओं को सीखना और उन्हें काबिल बनाने का काम गांगुली का ही था। युवराज सिंह और एमएस धोनी गांगुली की निगरानी में ही सीखे हैं। विश्व कप 2003 में वे टीम इंडिया को फाइनल तक ले गए थे और अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। बाएं हाथ के गांगुली ऑफ साइड में अपने शॉट्स के लिए जाने जाते थे, वे आज बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। कुछ महीनों पहले उन्हें BCCI ने सचिन तेंदुलकर और VVS लक्ष्मण के साथ भारतीय टीम के कोच नियुक्त करने के पैनल में शामिल किया था। खेल को लेकर उनकी राय महत्वपूर्ण होती है और सभी उनका काफी सम्मान करते हैं। ऐसा औदा रखनेवाले व्यक्ति का टीम में और टीम के निर्णयों में भूमिका भी अहम होती है।