ODI इतिहास के पाँच सबसे स्वार्थी काम

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हालाँकि खेल में एेसा बहुत कम होता है पर कभी-कभी खिलाडी बहुत स्वार्थ भरा काम करते हैं। जब वे एेसा करते हैं तो सबको बहुत बुरा लगता है।

अपने हित के लिए काम करना स्वभाविक है और क्रिकेट में तो और भी जोरशोर से खिलाडी अपने मतलब पूरे करने में लगे रहते हैं।

एेसा करना एक हद तक ठीक है पर कई बार खिलाडी अपने स्वार्थ के लिए अपनी टीम के जीतने के आड़े आ जाते हैं।

एक नज़र खिलाड़ियों की ओडीआई के पाँच सबसे स्वार्थी हरकतों पर:

5- डेविड वार्नर

बढिया शतक जमाकर, तीन अंकों की स्ट्राइक रेट से थोड़े पीछे वार्नर ने भी एेसा किया। वो भी फ़ाइनल में। श्रीलंका के खिलाफ 2012 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ के फाईनल में केवल चार चौक्के और एक छक्के से 163 रन बनाकर खेल रहे थे।

बेकार खेलने के बाद भी उन्होंने अपना खेल जारी रखा और 91 गेंदों पर 117 रन बनाकर टीम का स्कोर 271-6 किया। तिल्तकरने दिलशान के शतक और महेला जयवर्धने व कुमार संगकारा के अर्धशतकों के कारण श्रीलंका 5 ओपनर शेष रहते हुए 8 विकेट से जीत गया।

46वें ओवर में वार्नर ने तीन विकेट लेकर खेल ख़त्म किया।

4-सचिन तेंदुलकर

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उनके सौवें शतक को कोई नहीं भूल सकता, क्योंकि वह पल पूरे एक साल के इंतज़ार के बाद आया था। पर कहीं ना कहीं इस शतक ने बांग्लादेश से भारत की हार में साझेदारी दी।

2012 के एशिया कप में सचिन अपना शतक बनाने पर अडिग थे। बेकार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने 147 गेंदों में केवल 114 रन बनाए। और स्कोर बनाने का ज़िम्मा दूसरे खिलाड़ियों पर छोड़ दिया।

इस कारण भारत 289 रन बनाकर, 5 विकेट से हार गया। सचिन की 100वे शतक की बातें हर कोई कर रहा था इसलिए इतने क़रीब पहुँचकर सफल ना होने बहुत बेकार होता ।

इसलिए उन्होंने टीम की जीत की बलि चढ़ा दी।

यों तो सचिन के शतक मारने पर भारत पहले भी हारा था, पर इस बार सचिन ही इस हार के ज़िम्मेदार थे।

3- माइकल वेनडॉर्ट

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उन्होंने आज तक केवल एक ओडीआई जीता है। 2006 की वीबी सीरीज़ में इस श्रीलंकाई खिलाडी को खेलने का मौक़ा मिला।

ऑस्ट्रेलिया ने 318-5 का स्कोर बनाकर श्रीलंका को हर गेंद पर एक से ज़्यादा रन बनाने का लक्ष्य दिया। पर वेनडॉर्ट ने इतिहास की सबसे अजीब और स्वार्थी पारी खेलने का मन बना लिया था। 3 चौक्कों से 48 रन बनाकर जब वे रन आउट हुए तब वे 117 बॉल खा चुके थे।

वैसे भी लंका को हारना ही था पर, वेनडॉर्ट की बदौलत वे 116 रनों से हार गए।

वे दक्षिण अफ़्रीका को हराकर फ़ाइनल तक पहुँचे पर फिर ऑस्ट्रेलिया से हार गए।

2- जैक्स कालिस

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2007 विश्व कप में बहुत कम ही टीमें ऑस्ट्रेलिया के बराबर पहुँच पाई थी। रही सही कसर कालिस के ख़राब प्रदर्शन ने पूरी कर दी।

मैथ्यू हेडन ने शतक मारकर टीम का 377 रन का स्कोर बनाने में साथ दिया था। पर एबी डीविलर्स और ग्रीम स्मिथ के कारण वे 20 ओवरों में 160 रन बटोर चुके थे।

उनके आउट होने के बाद कालिस ने शांत और ध्यानपूर्वक खेल खेला, जिसकी आवश्यकता नहीं थी। 7 की रन रेट होने के बाद भी, 63 गेंदों में 48 रन बनाकर मैदान पर डटे रहे।

41 गेंदें शेष रहने पर जब वे आउट हुए तो रन रेट दुगुना हो चुकी थी। और दक्षिण अफ़्रीका 84 रनों से हार गई।

1- सुनील गावस्कर

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1975 विश्व कप की गावस्कर की पारी आज तक याद करी जाती है। इंग्लैंड के खिलाफ 60 ओवर के मैच में 334-4 के लक्ष्य का पीछा कर रहे भारत का काम गावस्कर ने बहुत मुश्किल बना दिया।

उन्होंने 174 गेंदों में 36 रन बनाए, एक चौक्का मारा। भारत ने तीन ही विकेट गँवाए पर केवल 132 रन बनाकर 202 रन से हार गया।

उन्होंने बाद में अपने बचाव में कहा कि विकेट बहुत धीमा था पर यह भी माना कि वह उनके करियर की सबसे ख़राब पारी थी।

लेखक-एलियट कॉर्निश, अनुवादक-नितीश उनियाल