विकेटकीपिंग शायद क्रिकेट का सबसे मुश्किल पहलू होता है, हांलाकि बल्लेबाज़ी और फ़ील्डिंग में तेज़ आती गेंद का सामना करना पड़ता है, लेकिन विकेटकीपिंग में पारी पहली गेंद से लेकर आख़िरी गेंद पर ध्यान देना पड़ता है। विकेटकीपिंग करना हर किसी के बस की बात नहीं है। एडम गिलक्रिस्ट, मार्क बाउचर, एलेक स्टीवर्ट ने सीमित ओवर के खेल में अपनी अगल पहचान बनाई थी और आज महानतम विकेटकीपर्स में उनकी गिनती की जाती है। जब से वनडे की शुरुआत हुई है, तब से कई खिलाड़ियों को टीम इंडिया के लिए विकेटकीपिंग करने का सम्मान हासिल हुआ है। साल 1975 में फ़ारूख़ इंजीनियर से लेकर एमएस धोनी तक टीम इंडिया में कई महान विकेटकीपर को मौक़ा मिला है। यहां हम वनडे में टीम इंडिया के 5 सबसे बेहतरीन विकेटकीपर को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
#5 पार्थिव पटेल
दिनेश कार्तिक की तरह पार्थिव पटेल को टीम इंडिया का सबसे बदकिस्मत विकेटकीपर कहा जा सकता है। जब वो टीम इंडिया में शामिल हुए तो टीम को एक ऐसे विकेटकीपर की ज़रूरत थी जो बल्लेबाज़ी की ज़िम्मेदारी भी अच्छी तरह निभाए। पटेल ने नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे कम उम्र में विकेटकीपिंग का रिकॉर्ड है। उन्होंने 9 साल लंबे करियर में 38 वनडे मैच खेले हैं। उन्होंने स्टंप के पीछे 39 शिकार किए हैं जिसमें 30 कैच और 9 स्टंपिंग थी। प्रति मैच में उनके शिकार करने का औसत 1.56 था जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज़्यादा है।
#4 राहुल द्रविड़
कहा जाता है कि टीम इंडिया के लिए राहुल द्रविड़ से ज़्यादा क़ुर्बानियां किसी खिलाड़ी ने नहीं दीं हैं। नयन मोंगिया के टीम से बाहर होने के बाद कई विकेटकीपर टीम में ख़ुद को स्थापित करने में नाकाम साबित हुए, ऐसे में राहुल द्रविड़ ने स्टंप के पीछे ज़िम्मेदारी संभाली। द्रविड़ अकसर स्लिप में फ़ील्डिंग करते थे, लेकिन विकेट के पीछ उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था। द्रविड़ ने 344 वनडे मैच की 72 पारियों में विकेटकीपिंग की है और 86 शिकार किए हैं। इनमें 72 कैच और 14 स्टंपिंग शामिल हैं। द्रविड़ के विकेटकींपिग के फ़ैसले से टीम इंडिया को एक और बल्लेबाज़ को टीम में शामिल करने में मदद मिली। इसके बदौलत भारतीय टीम ने काफ़ी कामयाबी हासिल की थी।
#3 किरण मोरे
ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि किरन मोरे को उनकी शानदार विकेटकींपिग से ज़्यादा जावेद मिंयादाद से हुए झगड़े के लिए याद किया जाता है जो 1992 के वर्ल्ड कप के दौरान हुआ था। हांलाकि मोरे अपने दौर के विकेटकीपर एलेक स्टीवर्ट और इयान हिली की तरह कामयाब नहीं हो पाए, लेकिन टीम इंडिया के लिए उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मोरे ने भारतीय टीम के 10 साल तक विकेटकीपिंग की है। साल 1984 से लेकर 1993 तक उन्होंने 94 वनडे मैच खेले हैं और 93 बार विकेटकींपिंग की ज़िम्मेदारी निभाई है। उन्होंने 90 शिकार किए हैं जिसमें 63 कैच और 27 स्टंपिंग शामिल है।
#2 नयन मोंगिया
ये कहना ग़लत नहीं है कि नयन मोंगिया 20वीं सदी के वनडे के सबसे बेहतरीन भारतीय विकेटकीपर हैं। मोहम्मद अज़हरुद्दीन की कप्तानी में क़रीब 6 साल तक टीम इंडिया के लिए उन्होंने विकेटकीपिंग की थी। वो स्टंप के पीछे कमाल का प्रदर्शन करते थे और बल्लेबाज़ी के दौरान भी गेंद को हिट करते थे। वो टीम के स्कोर में कम से कम 20 रन ज़रूर जोड़ते थे। सबा करीम को टीम भी तभी मौक़ा मिलता था जब नयन मोंगिया टीम से बाहर रहते थे। मोंगिया ने टीम इंडिया के लिए 140 मैच खेल रहे हैं जिसमें 139 पारियों में विकेटकीपिंग का मौक़ा मिला है। इस दौरान उन्होंने 154 शिकार किए हैं, जिसमें 110 कैच और 44 स्टंपिंग शामिल है। मोंगिया का प्रदर्शन वेंकटेश प्रसाद की गेंदबाज़ी के दौरान सबसे बेहतर रहा है, दोनों ने मिलकर 28 शिकार किए हैं।
#1 महेंद्र सिंह धोनी
जैसे ऑस्ट्रेलिया एडम गिलक्रिस्ट, साउथ अफ़्रीका मार्क बाउचर और श्रीलंका कुमार संगाकारा पर नाज़ करता था, वैसी ही शान टीम इंडिया के लिए तब बढ़ जाती है जब एमएस धोनी मैदान में आते हैं। धोनी ने पिछले कई सालों से टीम इंडिया के लिए विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी संभाली है। साल 2004 से लेकर अब तक वो शायद ही कभी चोट का शिकार हुए हों। वो लगातार टीम इंडिया को जीत दिला रहे हैं। धोनी ने 318 वनडे मैच खेले हैं जिसमें 313 पारियों में उन्होंने विकेटकीपिंग की है। इस दौरान उन्होंने 404 शिकार किए हैं, जिसमें 297 कैच और 107 स्टंपिंग शामिल है। 36 साल की उम्र में भी उनकी फुर्ती में कोई कमी नज़र नहीं आती, वो उनते ही तेज़ तर्रार हैं जैसा कि 10 साल पहले थे। अगर उनका ये शानदार प्रदर्शन जारी रहा तो वो एक दिन दुनिया के सबसे कामयाब विकेटकीपर बन जाएंगे। लेखक – कार्तिक सेठ अनुवादक- शारिक़ुल होदा