भारतीय क्रिकेट टीम में खेल के सबसे लंबे प्रारूप टेस्ट क्रिकेट में असाधारण बल्लेबाजों की कभी कमी नहीं रही है। भारतीय इतिहास में ऐसे कई बल्लेबाज हुए हैं जिन्हें टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ माना जा सकता है। यहां तक कि गेंदबाजी लाइनअप भी भारतीय टेस्ट टीम की हमेशा से बेहतरीन रही है। हालांकि, टेस्ट क्रिकेट टीम में जितना महत्व बल्लेबाजों और गेंदबाजों को मिला, उतना स्टंप के पीछे भारत के विकेटकीपर्स को नहीं मिल पाया। भारतीय टेस्ट क्रिकेट में स्टंप्स के पीछ कमाल दिखाने वाले खिलाड़ी भी हुए हैं। ये विकेटकीपर भी समान स्तर पर अपनी प्रशंसा के हकदार हैं। भारतीय टेस्ट क्रिकेट में कई ऐसे विकेटकीपर हुए हैं जो अपनी प्रतिभा के दम पर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब हो सके हैं। आइए यहां भारत के पांच सफल टेस्ट विकेटकीपर्स पर डालते हैं एक नजर।
#5 ऋद्धिमान साहा
महेंद्र सिंह धोनी के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में ऋद्धिमान साहा ने विकेटकीपर के तौर पर पहचान बनाई है जो कि बल्ले से भी कमाल दिखाने में माहिर है। साहा को टेस्ट क्रिकेट में एमएस धोनी के लिए उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है। टीम में साहा की उपस्थिति न सिर्फ निचले क्रम की बल्लेबाजी में मजबूती प्रदान करती है बल्कि स्टंप्स के पीछे भी अपनी छाप छोड़ती है। अपने असाधारण कौशल और फुर्ती के कारण धोनी की सेवानिवृत्ति के बाद से साहा भारत के विकेटकीपर के रूप में पहली पसंद बने हुए हैं। साहा ने अपने 8 साल के लंबे करियर में अभी तक 32 टेस्ट मैच खेले हैं। स्टंप के पीछे शानदार खेल दिखाते हुए साहा ने 75 कैच पकड़े हैं और 10 स्टम्पिंग्स भी की है। जिसका मतलब है कि साहा ने एक विकेटकीपर के रूप में अभी तक कुल 85 शिकार किए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में उनके जरिए किए गए 10 शिकार एक भारतीय विकेटकीपर के तौर पर सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है। प्रत्येक मैच के साथ साहा का प्रदर्शन लगातार निखरता ही जा रहा है। अब आने वाले वक्त में साहा भारतीय टीम के लिए एक संपत्ति के तौर पर होंगे।
#4 नयन मोंगिया
नयन मोंगिया भारत के बेहतरीन विकेटकीपर्स में से एक माने जाते हैं। नयन मोंगिया को रिप्लेस करना काफी मुश्किल था। इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नयन मोंगिया के संन्यास लेने के बाद भारत को 4 साल तक टीम में स्थायी विकेटकीपर की तलाश करनी पड़ी। 1994 में किरण मोरे के बाद अगले 6 सालों तक मोंगिया भारत के विकेटकीपर के रूप में पहली पसंद थे। निचले क्रम की उनकी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग में उनके शानदार रख रखाव की तकनीक उन्हें अजहरुद्दीन की अगुवाई वाली टीम का एक अहम सदस्य बनाती थी। अपने करियर के दौरान खेले गए 44 टेस्ट मैचों की 77 पारियों में मोंगिया ने 8 स्टम्पिंग किए और 99 कैच पकड़े। इसके साथ ही उनका कुल आंकड़ा 107 शिकार पर पहुंचता है। विकेट के पीछे से माइक्रो फ़ोन में क़ैद हुई आवाज़ों में से उन्हें ''अई... गा'' सबसे अलग बनाती है।
#3 किरण मोरे
मैदान के अंदर और मैदान के बाहर दोनों जगह किरण मोरे एक अभूतपूर्व व्यक्तित्व के लिए पहचाने जाते हैं। भारत के मुख्य चयनकर्ता बनने से पहले और अपनी क्रिकेट अकादमी की शुरुआत करने से पहले किरण मोरे खुद स्टंप के पीछे एक असाधारण खिलाड़ी थे। हालांकि बल्ले से उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन स्टंप के पीछे उनका शानदार खेल आज भी याद किया जाता है। भारतीय टेस्ट क्रिकेट में किरण मोरे 7 सालों से भी ज्यादा तक भारत के विकेटकीपर के तौर पर पहली पसंद थे। किरण मोरे 49 टेस्ट मैचों की 90 पारियों में टीम का विकेटों के पीछे हिस्सा थे। इन 90 पारियों में उन्होंने 130 शिकार किए, जिनमें 110 कैच और 20 स्टम्पिंग शामिल हैं। वह अभी भी एक मैच (6) और एक पारी (5) में सबसे ज्यादा स्टंपिंग करने का रिकॉर्ड अपने नाम रखते हैं। इस रिकॉर्ड को उन्होंने 1989 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच के दौरान बनाया था।
#2 सैयद किरमानी
1980 की शुरुआत शायद एक विकेटकीपर बनने का सबसे खराब समय था क्योंकि विश्व क्रिकेट में असाधारण स्टंपर्स भरे हुए थे। रॉड मार्श, इयान स्मिथ, जेफ डुजॉन या सैयद किरमानी, हर एक क्रिकेट टीम की लाइन अप में बेहतरीन विकेटकीपर अपनी जगह बनाए हुए थे। सैयद किरमानी लगभग 10 वर्षों के लिए भारत के स्थायी विकेटकीपर बने हुए थे और स्टंप के पीछे की उनकी यही सफलता भविष्य के युवाओं को प्रोत्साहित करती है। साथ ही किरमानी ने भारतीय बल्लेबाजी में भी अहम योगदान दिया है। किरमानी ने 88 टेस्ट मैचों की 151 पारियों में 198 शिकार को अंजाम दिया। इनमें 160 स्टंप्स के पीछे कैच के रूप में और 38 स्टम्पिंग के रूप में आए थे, जो कि भारतीय विकेटकीपरर्स में सबसे ज्यादा संयुक्त रूप से शामिल है। किरमानी पहले भारतीय थे जिन्होंने एक पारी में 6 शिरकार को अंजाम दिया था। 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए मुकाबले में 5 कैच के रूप में 1 स्टंप्स के रूप में ये 6 शिकार आए थे।
#1 महेंद्र सिंह धोनी
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी का आगमन बेहद खास रहा। धोनी के आने से स्थायी विकेटकीपर के रूप में भारत की तीन साल की खोज का अंत हो गया और साथ ही भारतीय टीम को एक नया मैच फिनिशर खिलाड़ी भी मिल गया। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने विकेटकीपिंग करते हुए क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट टेस्ट, वनडे और टी20 में शानदार प्रदर्शन किया। विकेटों के पीछे धोनी की फुर्ती बिजली से भी तेज थी। बल्लेबाजी में भी महेंद्र सिंह धोनी किसी से कम नहीं थे। विकेटकीपिंग के अलावा बल्ले से भी धोनी ने काफी धूम मचाई। महेंद्र सिंह धोनी खुद अपने दम पर टीम को जीत के पायदान तक ले जाने का माद्दा रखते हैं। काफी मौकों पर महेंद्र सिंह धोनी ने टीम के लिए एक बेहतरीन मैच फिनिशर की भूमिका भी निभाई है। क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट में भी धोनी का प्रदर्शन लाजवाब रहा है। उन्होंने भारतीय टीम के लिए 90 टेस्ट मैच खेले और 166 पारियों में विकेट हासिल किए। एक भारतीय विकेटकीपर ने रूप में उन्होंने सबसे ज्यादा 294 शिकार किए। धोनी के नाम व्यक्तिगत रूप से सर्वाधिक कैच और स्टंपिंग के रिकॉर्ड भी दर्ज है। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 256 कैच और 38 स्टपिंग की। लेखक: कार्तिक सेठ अनुवादक: हिमांशु कोठरी