एक कप्तान को 10 अलग-अलग तरह के कैरेक्टर वाले खिलाड़ियों को एकसाथ एक दिशा में लेकर चलना पड़ता है। हर खिलाड़ी का अपना एक अलग नजरिया होता है लेकिन कप्तान को उन सबको एक जैसा ट्रीट करके जीत के लिए प्रेरित करना होता है लेकिन अलग-अलग ढंग से-स्टीव वॉ
स्टीव वॉ की ये टिप्पणी बताती है कि क्रिकेट में एक कप्तान की अहमियत क्या होती है। टॉस से लेकर गेंदबाजी में बदलाव और सही फील्डिंग की सजवाट, हर एक फैसले को कप्तान को बहुत सोच-समझकर लेना होता है। भले ही मैच की रणनीति ड्रेसिंग रुम में बनती है लेकिन मैदान पर कप्तान को ही सारे फैसले मैच के हालात के हिसाब से लेने होते हैं। मैच के दौरान कप्तान का एक-एक फैसला मैच का रुख तय करता है।
एक कप्तान को आगे बढ़कर टीम का नेतृत्व करना पड़ता है। अपने प्रदर्शन से उसे टीम के बाकी खिलाड़ियों के लिए मिसाल पेश करना होता है ताकि बाकी खिलाड़ी उससे प्रेरणा ले सकें।
ऐसा नहीं है कि केवल टेस्ट मैच और टी-20 में ही कप्तानी का महत्व ज्यादा होता है। टी-20 क्रिकेट में भी एक कप्तान की उतनी ही अहमियत होती है जितनी की टेस्ट और एकदिवसीय मैचों में। खासकर आईपीएल में तो किसी भी कप्तान का महत्व काफी ज्यादा होता है क्योंकि उसे कई देशों के खिलाड़ियों को एक साथ मैनेज करके चलना होता है।
आईपीएल के अब तक के सीजन में कुछ दिग्गज खिलाड़ी तो कप्तान के तौर नहीं सफल हो पाए लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे जिनकी कप्तानी में टीम ने नई उचाइंयों को छुआ।
आइए जानते हैं ऐसे ही 5 कप्तानों के बारे में जो आईपीएल में सबसे ज्यादा सफल रहे।
नोट- इस लिस्ट में उन कप्तानों को शामिल किया गया है जिन्होंने कम से कम 30 मैचों में कप्तानी की और उनका विनिंग प्रसेंटेज अच्छा रहा।
5. शेन वॉर्न- (मैच - 55, जीते - 30, हारे - 24, टाई - 1, जीत का प्रतिश - 55.45)
पूर्व दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न आईपीएल के सबसे सफल कप्तानों की लिस्ट में 5वें नंबर पर हैं। उनकी कप्तानी में ही राजस्थान रॉयल्स की टीम ने आईपीएल का पहला खिताब जीता था।
वॉर्न के बारे में उनकी ऑस्ट्रेलियाई टीम के कुछ साथी खिलाड़ी और पूर्व दिग्गज क्रिकेटरों का कहना है कि उनके जैसा बेहतरीन कप्तान ऑस्ट्रेलिया में कभी नहीं हुआ। आंकड़ों पर नजर डालें तो ये बात सही भी है। शेनवॉर्न ने 11 वनडे मैचों में कंगारू टीम की कप्तानी की जिसमें से टीम को 10 मैचों में जीत मिली। हालांकि टेस्ट मैचों में उन्हें कप्तानी का मौका नहीं मिला।
2008 के पहले आईपीएल सीजन में जब उन्हें राजस्थान रॉयल्स का कप्तान बनाया गया तब उन्होंने अपनी लीडरशिप क्वालिटी का दम दिखाया। वॉर्न ने राजस्थान रॉयल्स की युवा टीम को काफी बेहतरीन ढंग से लीड किया और उसे चैंपियन बनाया। जबकि उस सीजन में ज्यादातर लोग राजस्थान रॉयल्स को काफी कमजोर टीम मान रहे थे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि राजस्थान रॉयल्स अंत में चैंपियन बनेगी।
लेकिन वॉर्न ने अपनी युवा टीम का नेतृत्व बेहतरीन तरीके से किया और युवाओं ने उनकी अगुवाई में काफी शानदार खेल दिखाया। भारतीय टीम के इस वक्त के मुख्य स्पिन गेंदबाज रविंद्र जडेजा वॉर्न की ही खोज हैं।
कप्तानी के अलावा शेनवॉर्न ने पहले सीजन में अपनी गेंदबाजी का भी जलवा दिखाया। उन्होंने टूर्नामेंट में 19 विकेट चटकाए और एस श्रीसंथ के साथ वो टूर्नामेंट के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे।
Published 03 Apr 2017, 18:50 IST