क्रिकेट का सबसे लंबा प्रारूप का आकर्षण ना सिर्फ केवल 22 खिलाड़ियों के कौशल दिखाने का मौका देता है बल्कि उनके कठिन परिश्रम को भी दर्शाता है। जीत और हार के अलावा टेस्ट के ड्रॉ मैचों में भी जोश और जूनून पैदा करने की अनूठी क्वालिटी होती है और कई बार मैच का फुल और फाइनल निर्णय मैच के आखिरी दिन की अंतिम बॉल तक होता है।
हांलाकि खेल के इस सबसे लंबे फॉर्मेट में कई बार सवाल भी उठे लेकिन इस फॉर्मेट ने हर बार इस जोश को बनाये रखा। कई बार खराब रौशनी ने मैच का निर्णय किया। 2013 इंग्लैंड में फाइनल एशेज टेस्ट के दौरान और 2016 में इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच केप टाउन टेस्ट में खराब मौसम के कारण जहां खेल को और दिलचस्प बनाने में बारिश ने भी अपना काम किया और मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ।
यहां कुछ ऐसे ही बेहद रोमांचक ड्रॉ मैचों की लिस्ट है जो पिछले दशक में हुए हैं-
भारत बनाम साउथ अफ्रीका, जोहान्सबर्ग टेस्ट 2013भारत 280 & 421, साउथ अफ्रीका 244 & 450/7 पर मैच ड्रॉ
तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला 0-2 से हारने के बाद, जिसमें एक मैच धुल गया था। भारत एक ऐसे दौरे में वापसी करने के लिए उत्सुक था जिसने उन्हें निराशा के अलावा कुछ भी नहीं दिया। वाँडरर्स की पिच पर बल्लेबाजी का चुनाव करने वाले एमएस धोनी को अच्छी गति और उछाल की उम्मीद थी।
युवा खिलाड़ी विराट कोहली की 119 रन की सहासिक पारी भारत के लिए एकमात्र बड़ा स्कोर थी, जिसके दम पर भारत 280 के स्कोर पर पहुंचने में कामयाब रहा, जिसमें मेजबान टीम के वर्नन फिलैंडर ने 61 रन पर 4 विकेट झटक टीम इंडिया को बड़ा स्कोर खड़ा करने नहीं दिया। हालांकि भारतीय पेस जोड़ी इशांत शर्मा और जहीर खान ने चार- चार विकेट लेते हुए साउथ अफ्रीका को 244 पर समेट दिया। साउथ अफ्रीका की तरफ से कप्तान ग्रीम स्मिथ(68) ही भारतीय गेंदबाजों के आगे कुछ टिक सके।
पहली पारी में छोटी सी लीड लेने के बाद दूसरी पारी खेलने उतरी भारतीय टीम को दो उभरते बल्लेबाजों ने अपना कमाल दिखाया। टेस्ट के विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली ने शानदार खेल दिखाते हुए साउथ अफ्रीका में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा सर्वाधिक साझेदारी निभायी। उन्होंने तीसरे विकेट के लिए 222 रन जोड़े, जिसमें पुजारा ने 153 रनों की पारी खेली और विराट कोहली अपने शतक से सिर्फ चार रन दूर रह गये। आखिरकार 421 रन बनाकर भारत ने 136 ओवर में दक्षिण अफ्रीका को 458 रन बनाने का मौका दिया।
108/0 की अच्छी शुरुआत के बाद साउथ अफ्रीका की पारी डगमगा गई। 197 रन पर 4 विकेट गिरने के बाद मैच भारत की तरफ जाता दिखने लगा। भारत को जीत के लिए 75 ओवर में बाकी 6 विकेट चटकाने थे। लेकिन एबी डीविलियर्स के शतक और फाफ डू प्लेसी की 62 रन की बेहतरीन पारी के साथ दोनों ने पांचवे विकेट के लिए 205 रन जोड़ दिये।
मेजबान टीम को इस समय जीत के लिए 16 रन ही दरकार थी। डेल स्टेन ने मैच की अंतिम गेंद में शमी पर छक्का जड़ा, लेकिन इसके बावजूद उनकी टीम जीत से आठ रन दूर रह गई।
न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड, ऑकलैंड 2013 न्यूजीलैंड 443 & 241/6 घोषित, इंग्लैंड 204 & 315/9 पर मैच ड्रॉएलिस्टर कुक ने ईडेन पार्क में बल्लेबाजी करने के लिए पहले न्यूजीलैंड को बुलाया। सीरीज के तीन मैचों में दो मैचों के ड्रॉ होने के बाद यह फाइनल मैच ही दोनों टीमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। पीटर फुल्टन ने 136 रन बनाए तो वही केन विलियम्सन अपने शतक से चूक गये। हालांकि इस दोनों की बेहतरीन पारियों की बदौलत मेजबान टीम ने पहली पारी में 443 रन बनाए और स्टीवन फिन ने 125 पर 6 विकेट अपने नाम किए। वहीं इंग्लैंड की बैटिंग ट्रेंट बोल्ट के आगे टिक नहीं पायी और मेहमान टीम फॉलोऑन बचाने में भी नाकामयाब रही। इंग्लैंड की पूरी टीम 204 रन पर ढ़ेर हो गई जिसमें बोल्ट ने 68 पर 6 विकेट लेकर मेहमान टीम की कमर तोड़ दी, इंग्लैंड के बल्लेबाज मैट प्रायर (73) ही कुछ देर तक संघर्ष कर पाये। लेकिन ब्रैडेन मैक्कलम ने फॉलोऑन ना देकर एक बार फिर से बल्लेबाज करने के लिए टीम को उतारा। फुल्टन ने 110 रन का योगदान दिया तो वहीं खुद कप्तान मैक्कलम ने 67 रन की तूफानी पारी खेली जिसमें 3 छक्के और 5 चौके शामिल थे। न्यूजीलैंड ने 241/6 के साथ पारी डिक्लेयर की घोषणा कर दी और जिसमें 143 ओवर शेष इंग्लैंड की टीम के लिए दे दिये। 481 रन के टारगेट के साथ इंग्लैंड की टीम बल्लेबाजी करने उतरी। कुक को रोकने के साथ शुरु हुआ कीवियों का सफर इयान बेल का जारी रहा, बेल ने 271 बॉल पर 71 रन बनाए। न्यूजीलैंड के लिए जीत लगभग तय थी। सिर्फ प्रायर ही एक ऐसा बल्लेबाज था जिसे न्यूजीलैंड के गेंदबाजों को जल्द आउट करना था। इंग्लैंड के 237 रन पर 7 विकेट गिर गये थे और 33 ओवर बचे थे। जिसके बाद इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड का धमाल देखने को मिला। गेंद को ब्रॉउड्री के बाहर भेजने का रिकॉर्ड कायम कर दिया। लेकिन आखिरकार 63वीं बॉल पर वह शिकार हो गये। ब्रॉड के जाते ही उसी ओवर में जेम्स एंडरसन भी पवेलियन लौट गये। जिन्हें पार्ट टाइम बॉलर विलियम्सन ने आउट किया, विलियम्सन ने 44 पर 4 विकेट अपने खाते में डाले। जिसके बाद प्रायर ने मोंटी पनेसर के साथ मिलकर 19 गेंदों का सामना किया और अंत में, दोनों ने टीम को हार से बचाया व यह सीरीज 0-0 पर खत्म हुई। भारत बनाम वेस्टइंडीज, मुंबई 2011 वेस्टइंडीज 590 & 134, भारत 482 & 242/9 पर मैच ड्रॉ
सीरीज़ हाथों से चले जाने के बाद, डैरेन सैमी ने कुछ सम्मान को बचाने की कामना की और उनके बल्लेबाजों ने पूरी तरह साथ देते हुए टीम इंडिया को जवाब दिया। वानखेड़े स्टेडियम में डैरेन ब्रावो के 166 और शीर्ष छह बल्लेबाजों में से पांच अर्धशतकों के बदौलत वेस्ट इंडीज ने 590 के विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत के स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने 5/156 विकेट चटकाए।
मेहमान को परेशान करने की इस बार अश्विन की बारी थी। अश्विन ने 103 रन के साथ अपनी पहली सेंचुरी जड़ दी। मिडिल ऑर्डर द्वारा चार अर्धशतकों के बदौलत मेजबान टीम 482 रन तक ही पहुंच सकी। जिसमें वेस्टइंडीज के मार्लन सेमुएल्स और रवि रामपॉल ने तीन तीन विकेट झटके।
ट्रैक ने टर्न लेने की शुरुआत कर दी थी, जिस वजह से कप्तान धोनी ने नयी बॉल प्रज्ञान ओझा को सौंपी।इस कदम ने अद्भुत काम किया। बाएं हाथ के स्पिनर ने पिच से स्पिन और बाउंस को निकालते हुए 6/47 के साथ अपना काम खत्म किया और उनके साथ अश्विन ने शेष विकेटों को निकालकर मैच को मेजबान की तरफ मोड़ दिया। वेस्टइंडीज दूसरी पारी में मात्र 134 रन बनाये और अंतिम दिन भारत को 64 ओवर में 243 रन बनाने थे।
वीरेंदर सहवाग ने अपने ही स्टाइल में पारी की शुरुआत करते हुए 65 बॉल में 60 रन बना दिये लेकिन जल्द ही भारतीय बल्लेबाज अपना रास्ता भटक गये और सिर् विराच कोहल ही कुछ देर टिक पाये। विराट के 63 रन पर आउट होने के बाद भारत को 4.5 ओवर में 19 रन चाहिए थे और अश्विन क्रीज पर थे। अश्विन 1 रन पर एक रन बनाकर 1 रन पर आउट हो गया, लेकिन वह जीत के लिए एक रन तक नहीं पहुंचा सके और रन आउट हो गये और इतिहास में दूसरी बार टेस्ट लेवल पर कब्ज़ा करने से चूक गये।
दक्षिण अफ्रीका बनाम इंग्लैंड, केपटाइन 2010 दक्षिण अफ्रीका 291 & 447/7 घोषित, इंग्लैंड 273 & 296/9 पर मैच ड्रॉसीरीज में पहले ही पहले टेस्ट के दौरान एक रोमांचक ड्रॉ देखा जा चुका था। जब इंग्लैंड ने आखिरी दिन के अंतिम पलों में बेहद मुश्किल से मैच को बचा लिया था और वहीं कहानी एक बार फिर से तीसरे टेस्ट में दोहराई गई। जेम्स एंडरसन के 5/63 की शानदार बॉलिंग के सामने दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों की एक ना चली। दोनों ही सलामी बल्लेबाज पहली पारी में टीम को मजबूत शुरुआत देने में नाकामयाब रहे लेकिन अनुभवी बल्लेबाज जैक कैलिस की 109 रन की पारी की बदौलत मेजबान टीम 291 रना का स्कोर खड़ा कर पाई।
लेकिन फील्ड में मॉर्नी मोर्केल और डेल स्टेन की जोड़ी ने दक्षिण अफ्रीका को पहली पारी में ही बढ़त दिया दी। दोनों ने मिलकर इंग्लैंड की पहली पारी को 273 रन पर आउट कर दिया। जहां मॉर्कल ने 5/75 और स्टेन 4/74 विकेट लिये तो इंग्लैंड की तरफ से सर्वाधिक स्कोर 76 रन मैट प्रायर का रहा।
18 रन की लीड के साथ दूसरी पारी में खेलने उतरी दक्षिण अफ्रीका की टीम में कप्तान ग्रीम स्मिथ ने अपने बैटिंग का कमाल दिखाते हुए बेहतरीन 183 रन बना डाले और हाशिम अमला के साथ 230 रन की साझेदारी कर दी। अमला 95 रन बना कर आउट हुए। जिसके बाद इसके बाद जेपी डुमनी और मार्क बाउचर ने दूसरी पारी में टीम के स्कोर को 447 रन तक पहुंचा दिया और इंग्लैंड को जीत के लिए 466 रन का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
ओपनिंग जोड़ी ने 101 रन की साझेदारी करते हुए टीम को सधी शुरुआत दी लेकिन इससे पहले मेहमान टीम के लिए जीत की उम्मीद जगती तभी पॉल हैरिस और डेल स्टेन ने दो-दो विकेट लेकर इंग्लैंड का स्कोर 160/5 रन कर दिया। इसके बाद पॉल कॉलिंगवुड और इयान बेल संभलकर खेलते हुए और अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए 112 रन साथ में जोड़ लिये।
लेकिन फिर पार्ट टाइम बॉलर जेपी डुमनी ने बेल का विकेट लेते हुए नौवां विकेट गिरा। आखिरी दो खिलाड़ियों को 3.1 ओवर को खेलना था,जिसे ग्रीम स्वान और ग्राहम ओनियंस ने बखूबी निभाते हुए साउथ अफ्रीका को जीत का मौका नहीं दिया।
इंग्लैड बनाम ऑस्ट्रेलिया, कार्डिफ 2009 इंग्लैंड 435 व 252/9 , ऑस्ट्रेलिया 674/6 घोषित पर मैच ड्रॉसौवां टेस्ट वेन्यू बनने वाले कार्डिफ और प्रशंसकों के लिए इससे ज्यादा नाटकीय टेस्ट मैच हो ही नहीं सकता था। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए बल्लेबाजों के सभ्य योगदान की बदौलत स्कोर को 435 तक पहुंचाया। मिशेल जॉनसन और नाथन हॉरिट्ज ने छह विकेट लिए जबकि केविन पीटरसन ने सर्वाधिक 69 रन बनाये।
जिसके बाद ड्रामे की शुरुआत हुई लगातार बारिश ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी को कई बार रोका लेकिन पहले साइमन कैटिच और कप्तान रिकी पोंटिंग ने दूसरे विकेट के लिए 239 रन जोड़े और फिर मार्कस नॉर्थ और ब्रैड हैडिन, जिन्होंने छठे विकेट के लिए 200 रन बना दिये और शतक लगाकर स्कोर को 674/6 तक पहुंचा और पोटिंग ने पारी घोषित करने की घोषणा कर दी।
इंग्लैंड के सामने रनों का पहाड़ खड़ा हो चुका था और मेहमान टीम 239 रन से पीछे थी। चौथे दिन मैच के समाप्त होने के बाद इंग्लैंड के स्कोरबोर्ड में सिर्फ 20 रन जुड़े थे और 2 विकेट गिर चुके थे। पांचवें दिन की सुबह आकर पीटरसन ने बेन हिल्फेनहॉस की सीधी आती गेंद पर अपने स्टंप गिरा दिये। हिल्फेनहॉस, जॉन्सन और हॉरिट्ज़ के द्वारा नियमित हमलों ने इंग्लैंड को हार की तरफ धकेल दिया।
इंग्लैड प्रशंसकों की एक नजर स्कोरबोर्ड पर, तो दूसरी नजर घड़ी पर टिकी हुई थी। जिसके बाद इंग्लैंड को सबसे पड़ा झटका पीटर सिडल ने दिया। इंग्लैंड की आखिरी उम्मीद रहे पॉल कॉलिंगवुड को सिडल ने 74 रन पर आउट कर दिया। अभी भी इंग्लैंड पहली पारी में 6 रन पीछे था।
जेम्स एंडरसन और मोंटी पनेसर ने तभी अपने फिजियो को चेकअप के लिए बुलाया और समय को खत्म करने के लिए बाहरवें खिलाड़ी को ग्लव्स बदलने के लिए आवाज दी जो कि पोटिंग बिल्कुल भी नहीं चाहते थे और फिर आखिरकार मैच खत्म हो गया। इंग्लैंड ने ना सिर्फ लीड को समाप्त कर दिया बल्कि मैच को ड्रॉ करवा दिया।
लेखक- हिमांशु अग्रवाल अनुवादक- सौम्या तिवारी