सौवां टेस्ट वेन्यू बनने वाले कार्डिफ और प्रशंसकों के लिए इससे ज्यादा नाटकीय टेस्ट मैच हो ही नहीं सकता था। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए बल्लेबाजों के सभ्य योगदान की बदौलत स्कोर को 435 तक पहुंचाया। मिशेल जॉनसन और नाथन हॉरिट्ज ने छह विकेट लिए जबकि केविन पीटरसन ने सर्वाधिक 69 रन बनाये।
जिसके बाद ड्रामे की शुरुआत हुई लगातार बारिश ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी को कई बार रोका लेकिन पहले साइमन कैटिच और कप्तान रिकी पोंटिंग ने दूसरे विकेट के लिए 239 रन जोड़े और फिर मार्कस नॉर्थ और ब्रैड हैडिन, जिन्होंने छठे विकेट के लिए 200 रन बना दिये और शतक लगाकर स्कोर को 674/6 तक पहुंचा और पोटिंग ने पारी घोषित करने की घोषणा कर दी।
इंग्लैंड के सामने रनों का पहाड़ खड़ा हो चुका था और मेहमान टीम 239 रन से पीछे थी। चौथे दिन मैच के समाप्त होने के बाद इंग्लैंड के स्कोरबोर्ड में सिर्फ 20 रन जुड़े थे और 2 विकेट गिर चुके थे। पांचवें दिन की सुबह आकर पीटरसन ने बेन हिल्फेनहॉस की सीधी आती गेंद पर अपने स्टंप गिरा दिये। हिल्फेनहॉस, जॉन्सन और हॉरिट्ज़ के द्वारा नियमित हमलों ने इंग्लैंड को हार की तरफ धकेल दिया।
इंग्लैड प्रशंसकों की एक नजर स्कोरबोर्ड पर, तो दूसरी नजर घड़ी पर टिकी हुई थी। जिसके बाद इंग्लैंड को सबसे पड़ा झटका पीटर सिडल ने दिया। इंग्लैंड की आखिरी उम्मीद रहे पॉल कॉलिंगवुड को सिडल ने 74 रन पर आउट कर दिया। अभी भी इंग्लैंड पहली पारी में 6 रन पीछे था।
जेम्स एंडरसन और मोंटी पनेसर ने तभी अपने फिजियो को चेकअप के लिए बुलाया और समय को खत्म करने के लिए बाहरवें खिलाड़ी को ग्लव्स बदलने के लिए आवाज दी जो कि पोटिंग बिल्कुल भी नहीं चाहते थे और फिर आखिरकार मैच खत्म हो गया। इंग्लैंड ने ना सिर्फ लीड को समाप्त कर दिया बल्कि मैच को ड्रॉ करवा दिया।
लेखक- हिमांशु अग्रवाल अनुवादक- सौम्या तिवारी