‘दुर्भाग्यशाली’ शब्द ‘भगवान’ के लिए ठीक नहीं लगता, लेकिन उनके साथ कई ऐसे लम्हें आएं कि हमें ये कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हम बात करने जा रहे हैं क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर की। दो दशकों से भी लंबे करियर में सचिन कई बार अंपायर द्वारा गलत फैसलों का शिकार हुए। आइए जानते हैं उन 5 सबसे विवादास्पद वाकयों के बारे में, जब सचिन को आउट न होते हुए भी पवेलियन लौटना पड़ाः #1 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 134 रन (शारजाह, 1998)
शारजाह में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक त्रिकोणीय श्रृंखला खेली गई थी कोका कोला कप। ऑस्ट्रेलिया ने सभी ग्रुप मैच जीत लिए और फाइनल में पहुंच गया। दूसरे स्थान के लिए लड़ाई थी, भारत और न्यूजीलैंड के बीच। सचिन की 143 रनों की पारी की बदौलत भारत ने बेहतर रनरेट के हिसाब से फ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई कर लिया। ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल मुकाबले में पहले बल्लेबाजी करते हुए 284 रनों का स्कोर बनाया। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने जल्द ही सौरव गांगुली के रूप में अपना पहला विकेट गंवा दिया। इसके बाद सचिन और मोंगिया ने साझेदारी के दम पर भारत को मैच में बनाए रखा। सचिन उस दौर में अपने बेहतरीन फॉर्म में थे। मैदान के अंदर सामने वाली टीम के खिलाड़ियों में सचिन का खौफ हुआ करता था। सचिन ने इस मैच में अजहरूद्दीन और वीवीएस लक्ष्मण के साथ भी उपयोगी साझेदारियां कीं। इसके बाद सचिन के साथ वह हुआ, जिसने भारतीय फैन्स को बेहद नाराज कर दिया। माइकल कास्प्रोविच ने LBW की अपील की और अंपायर ने उन्हें गलत आउट दे दिया। सचिन आउट जरूर हो गए, लेकिन उन्होंने भारत की जीत के लिए भूमिका तैयार कर दी थी। इत्तेफाक से इस दिन सचिन का 25वां जन्मदिन था। उनकी शानदार पारी का रिवॉर्ड और जन्मदिन का तोहफा, भारत की जीत से बेहतर क्या हो सकता था। #2 इंग्लैंड के ख़िलाफ़ 99 रन (ब्रिस्टल, 2007)
2007 में इंग्लैंड और भारत के बीच हुई द्विपक्षीय वनडे श्रृंखला कई कारणों से महत्वपूर्ण थी। टेस्ट सीरीज़ में ऐतिहासिक जीत के बाद भारत से वनडे सीरीज़ में भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन भारत को सीरीज़ के पहले ही मैच में हार का सामना करना पड़ा। दूसरे वनडे में भारत पहले बल्लेबाजी कर रहा था। 113 के टीम स्कोर पर सौरव गांगुली का विकेट गिरा। सचिन अब भी क्रीज पर थे और भारत की उम्मीदें चरम पर। इस बार भी अंपायर के गलत फैसले की वजह से सचिन को 32वें ओवर में पवेलियन लौटना पड़ा। ऐंड्रयू फ्लिनटॉफ की वाइड बॉल पर सचिन को कैच आउट दे दिया गया। गेंद सचिन के शरीर की तरफ आ रही थी, जो उनकी कोहनी को छूकर निकली। इसके बाद कमान संभाली भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे जिम्मेदार खिलाड़ी, राहुल द्रविड़ ने। द्रविड़ तब टीम के कप्तान थे। उनकी पारी की बदौलत भारत ने 50 ओवरों 7 विकेट खोकर 329 रन बनाए। जवाब में इंग्लैंड ने कड़ी टक्कर दी, लेकिन उनकी पारी 320/8 के स्कोर पर ही सिमट कर रह गई। ‘भगवान’ ने टीम के हिस्से का दुर्भाग्य अपने हिस्से ले लिया और भारत इस मैच को जीतने में कामयाब रहा। #3 ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ शून्य पर आउट (ऐडिलेड, 1999)
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई यह सीरीज, 90 के दशक की सबसे एकतरफा सीरीज साबित हुई। ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी पहली बार ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर खेल रहे थे। यहां तक कि फैन्स को भी तत्कालीन भारतीय टीम से कुछ खास उम्मीदें नहीं थीं। ऐडिलेड में हुए पहले टेस्ट में कंगारुओं ने पहली पारी में 441 रन बनाए। जवाब में भारत ने पहली पारी में 285 रन बनाए और कंगारुओं ने 156 रनों की बढ़त ले ली। ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में बड़े स्कोर की उम्मीद थी, लेकिन जवागल श्रीनाथ और अजीत अगारकर की बेहतरीन गेंदबाजी की बदौलत कंगारू 239/8 पर सिमट गए। हालांकि, इसके बाद भी भारत के हालात सुधरे नहीं। भारत 27/3 के स्कोर पर था और ग्लेन मैकग्राथ की बाउंसर सचिन के कंधे से टकराई। अपील हुई और अंपायर ने सचिन को आउट दे दिया। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने भारतीय पारी को 110 रनों पर ही समेट दिया। भारत को सीरीज के दूसरे और तीसरे टेस्ट में बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। भारत 3-0 से सीरीज भी हार गया। यह सीरीज भारतीय फैन्स के लिए बुरे सपने की तरह है। इस श्रृंखला में ही अजीत अगारकर लगातार 5 बार शून्य पर आउट हुए। #4 पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 17 रन (पर्थ, 2000)
1999-00 में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज में मिली करारी हार के बाद भारत को फिर से अपने फैन्स का भरोसा जीतना था। हालात बेहद मुश्किल थे। सीरीज के शुरूआती 6 मैचों में भारत सिर्फ एक मैच में किसी तरह जीत हासिल कर सका था। यह भारत, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच त्रिकोणीय श्रृंखला थी। फाइनल की उम्मीदें बरकरार रखने के लिए भारत को पर्थ में हुए इस मैच में जीतना अनिवार्य था। पाकिस्तान ने पहले खेलते हुए भारत के सामने 262 रनों का लक्ष्य रखा। पाकिस्तान के गेंदबाजों को देखते हुए भारत के लिए राह बेहद मुश्किल थी। भारत बल्लेबाजी करने उतरा। दूसरे ही ओवर में टीम का पहला विकेट गिरा और गागुंली पवेलियन लौट गए। सचिन अच्छे फॉर्म में दिख रहे थे। उनके बल्ले से चार बाउंड्रीज निकलीं, लेकिन चौथे ओवर में जो हुआ वह भारतीय फैन्स के लिए किसी शॉक से कम नहीं था। वकार यूनिस की इन- स्विंगर सचिन के बैट और पैड के बीच से होती हुई, विकेटकीपर मोइन खान के हाथों में चली गई। इसके बाद भारतीय पारी तिनकों की तरह बिखर गई। सिर्फ रॉबिन सिंह किसी तरह अर्धशतक पूरा करने में कामयाब रहे। इस हार के बाद भारत सीरीज से बाहर हो गया। सीरीज में भारत ने कुल 8 मैच खेले, जिसमें से 7 में उसे हार का मुंह देखना पड़ा। #5 ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 0 रन (ब्रिस्बेन, 2003) 2003-04 में स्टीव वॉ की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम विजय रथ पर सवार थी। टेस्ट क्रिकेट में कोई भी टीम कंगारुओं के इस रथ को रोक नहीं पा रहा था। गांगुली की कप्तानी में खेल रही टीम का दौर अच्छा नहीं था और टीम से कुछ खास उम्मीद नहीं की जा रही थी। ब्रिस्बेन में सीरीज के पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 2 विकेट खोकर 268 रन बना चुका था। इसके बाद जहीर खान ने कमान संभाली। जहीर के ऑफ-कटर्स और बाउंसर्स की बदौलत कंगारुओं की पारी पर लगाम लगी और वे पहली पारी में 323 रन ही बना सके। जवाब में भारत ने जल्द ही सहवाग और द्रविड़ के विकेट गंवा दिए। भारत का स्कोर 62/2 था, जब सचिन क्रीज पर आए। तीसरी ही गेंद उनके पैड्स पर जाकर लगी। गेंदबाज जेसन गिलेस्पी ने अपील की और सचिन को आउट दे दिया गया। रीप्लेज में साफ दिख रहा था कि गेंद स्टम्प्स को हिट नहीं कर रही है, लेकिन फील्ड अंपायर के निर्णय ने सचिन की पारी को आगे नहीं बढ़ने दिया। इसके बाद भारतीय पारी को गांगुली ने सहारा दिया और शानदार 144 रनों की पारी खेली। लक्ष्मण ने भी 75 रनों का योगदान दिया। पहली पारी में भारत ने 409 रन बनाए। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने पलटवार करते हुए महज 62 ओवरों में सिर्फ 3 विकेट खोकर 284 रन बना डाले और भारत के सामने 199 रनों का लक्ष्य रखा। हालांकि, यह मैच ड्रॉ हो गया। इसके बाद ऐडिलेड में हुए दूसरे टेस्ट में भारत और मेलबर्न में हुए तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली। लेखकः मिधुन मधु अनुवादकः देवान्श अवस्थी