क्रिकेट इतिहास के 5 ऐसे मौके जब खिलाड़ियों ने अपनी ख़ुदगर्ज़ी को दरकिनार किया हो

GAMBHIR-KOHLI

किसी भी टीम की सबसे बड़ी ख़ासियत ये होती है कि एक खिलाड़ी अपने लिए न खेलकर पूरी टीम के लिए खेले। ये नियम हर तरह के टीम स्पोर्ट्स के लिए लागू होता है और क्रिकेट इससे अछूता नहीं है। क्रिकेट की एक टीम 11 खिलाड़ियों से तैयार होती है, अगर एक भी खिलाड़ी टीम से पहले ख़ुद के बारे में सोचने लगे तो उसका असर पूरी टीम पर पड़ता है। चूंकि खिलाड़ी भी एक इंसान होते हैं तो कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कई खिलाड़ी स्वार्थी होकर खेले हैं। ऐसा फुटबॉल और क्रिकेट में कई बार देखने को मिलता है क्योंकि कई खिलाड़ी टीम की जीत के लिए न खेलकर सिर्फ़ अपने रिकॉर्ड के लिए खेलते हैं। क्रिकेट इतिहास में कई बार खिलाड़ियों ने स्वार्थी कदम उठाए हैं जिसमें एक से बढ़कर एक दिग्गजों के नाम शामिल हैं। ऐसे ख़ुदगर्ज़ माहौल में कुछ खेल ऐसे भी देखने को मिले हैं जब किसी खिलाड़ी ने अपनी ख़ुदगर्ज़ी को दरकिनार करते हुए अपनी टीम या अपनी टीम के किसी खिलाड़ी का फ़ायदा देखा हो। हम यहां ऐसे ही 5 लम्हों के बारे में बता रहे हैं जब खिलाड़ियों ने अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ दिया। #5 जब गौतम गंभीर ने अपना मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड विराट कोहली को समर्पित किया कई बार मीडिया में गौतम गंभीर और विराट कोहली को दुश्मन की तरह पेश किया गया है, कई ऐसी तस्वीरें वायरल हुईं हैं जिसमें दोनों खिलाड़ी बहस करते दिखाई दे रहे हैं। एक बार आईपीएल मैच के दौरान जब रॉयल चैलेंजरर्स बैंगलोर का मुक़ाबला कोलकाता नाइटराइडर्स से हो रहा था तो दोनों के बीच कुछ कहासुनी हुई थी। लेकिन सच्चाई ये है कि मैदान के बाहर दोनों एक अच्छे दोस्त हैं। एक लम्हा ऐसा भी आया जो ये साबित करता है कि कोहली और गंभीर के बीच दोस्ती का रिश्ता कितना गहरा है। साल 2009 में जब भारत का वनडे मुकाबला कोलकाता के ईडन गार्डेन में श्रीलंका के ख़िलाफ़ था, तो गौतम गंभीर ने अपना मैन ऑफ़ द मैच विराट कोहली दे दिया था। इस मैच में भारत को जीत के लिए 315 रन का लक्ष्य मिला था, ये एक ऐसा स्कोर था जिसको इस मैदान में दूसरी पारी में कभी किसी टीम ने पार नहीं किया था। ऐसे में टीम के संकटमोचक बने थे गंभीर और कोहली, दोनों खिलाड़ियों ने तीसरे विकेट के लिए 224 रन की साझेदारी की। गंभीर ने नाबाद 150 रन बनाए जबकि कोहली 107 रन पर आउट हुए, ये कोहली का पहला वनडे शतक था। गंभीर को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया लेकिन भारतीय कप्तान ने रवि शास्त्री से कोहली को अवॉर्ड दिए जाने की गुज़ारिश की क्योंकि भारत की जीत में कोहली का योगदान अहम था।

#4 जब सर रिचर्ड हेडली ने 10 विकेट लेने का मौका क़ुर्बान किया

HADLEE

साल 1965 में इंग्लैंड के स्पिनर जिम लेकर ने मैनचेस्टर में टेस्ट की एक पारी में 10 विकेट हासिल किए थे जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सभी बल्लेबाज़ों को पवेलियन का रास्ता दिखाया था। 34 साल बाद भारत के लेग स्पिनर अनिल कुंबले ऐसे कारनामा करने वाले दूसरे गेंदबाज़ बने थे। कुंबले ने साल 1999 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ दिल्ली टेस्ट की एक पारी में सभी पाक बल्लेबाज़ों को आउट किया था। कुंबले के इस रिकॉर्ड से 14 साल पहले ऐसे ही एक रिकॉर्ड बनते-बनते रह गया था। साल 1985 में ब्रिस्बेन के गाबा मैदान में न्यूज़ीलैंड के सर रिचर्ड हेडली 10 विकेट के रिकॉर्ड के बेहद क़रीब आ गए थे। इस मैच में एक वक़्त उन्होंने पहले सभी 8 विकेट हासिल किए। उसके बाद वॉन ब्राउन गेंदबाज़ी करने आए, रिचर्ड हेडली ने उनको विकेट लेने में मदद की। दरअसल ब्राउन की गेंद पर जब ऑस्ट्रेलिया के जेफ लॉसन ने उछालकर शॉट मारा तो गेंद हेडली के पीछे की तरफ़ जाने लगी, हेडली के पास इतना मौक़ा था कि वो अपने रिकॉर्ड के बारे में सोच सकें लेकिन उन्होंने टीम के फ़ायदे को ध्यान में रखते हुए कैच लपक लिया और कंगारू टीम का 9वां विकेट गिराने में मदद की। इसके बाद रिचर्ड हेडली ने गेंदबाज़ी की और ऑस्ट्रेलिया का आख़िरी विकेट लिया। उन्होंने इस पारी में 52 रन देकर 9 विकेट लिए थे।

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#3 जब जवागल श्रीनाथ ने अनिल कुंबले को 10 विकेट लेने में मदद की

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पिछली मिसाल हमने सर रिचर्ड हेडली की दी थी जब उन्होंने अपना निजी रिकॉर्ड न देखकर टीम का फ़ायदा देखा, जबकि हेडली काफ़ी आसानी से एक पारी में 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड बना सकते थे। साल 1999 में दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में भारत और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच चल रहा था। इस मैच में कुंबले ने एक पारी में सभी पाकिस्तानी बल्लेबाज़ को आउट किया था। अनिल कुंबले का ये रिकॉर्ड कभी मुमकिन नहीं होता अगर साथी खिलाड़ी जवागल श्रीनाथ ने क़ुर्बानी न दी होती। जब अनिल कुंबले पाक की आखिरी पारी के 9 विकेट ले चुके थे, तब श्रीनाथ ने 60वां ओवर फेंकना शुरू किया। इस ओवर में उन्होंने विकेट लेने की ज़रा भी कोशिश नहीं की। श्रीनाथ ने सभी 6 गेंदें ऑफ़ स्टंप के बाहर फेंकी ताकि पाक बल्लेबाज़ को विकेट गंवाने का मौका न मिल सके। हांलाकि पाकिस्तान के वक़ार यूनिस ने आउट हो जाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वो ऐसा कर पाने में नाकाम रहे। इसके बाद कुंबले ने 61वां ओवर फेंका, इस ओवर की तीसरी गेंद पर बल्लेबाज़ वसीम अकरम वीवीएस लक्ष्मण को अपना कैच थमा बैठे। अगर श्रीनाथ ने विकेट लेने की कोशिश की होती तो शायद कुंबले का ये रिकॉर्ड मुमकिन नहीं होता, और इतिहास बनते-बनते रह जाता।

#2 जब मार्क टेलर ने 334 रन के निजी स्कोर पर पारी घोषित कर दी थी MARK TAYLOR

किसी भी क्रिकेटर के लिए देश का सर्वश्रेष्ठ निजी स्कोर बनाना किसी कामयाबी से कम नहीं होता है। ऑस्ट्रेलिय़ा के पूर्व कप्तान मार्क टेलर के पास 1998 में ऐसा मौका आया था जब वो पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच खेल रहे थे। टेस्ट मैच के दूसरे दिन वो 334 के निजी स्कोर पर नाबाद थे, उन्होंने सर डॉन ब्रैडमैन के 334 रन के रिकॉर्ड की बराबरी की थी जो उन्होंने साल 1930 में लीड्स के हेडिंग्ले मैदान में बनाया था। ये रिकॉर्ड उस समय किसी भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी के द्वारा टेस्ट में बनाया गया सबसे बेहतर निजी स्कोर था। जब दूसरे दिन का खेल खत्म हो गया तो टीम में ये चर्चा हुई कि टेलर को अभी और खेलना चाहिए, फ़िलहाल पारी घोषित करने की ज़रूरत नहीं थी। लेकिन कप्तान मार्क टेलर ने रातो रात फ़ैसला लिया कि वो सर डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ेंगे और पारी घोषित करेंगे। टेलर के पास मौका था कि वो वेस्टइंडीज़ के ब्रायन लारा के 375 रन के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकें। लारा के 375 रन का रिकॉर्ड उस वक़्त टेस्ट का सबसे बेहतर रिकॉर्ड था। मार्क टेलर ने मैच के बाद कहा कि “चूंकि मैंने सर डॉन ब्रैडमैन के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी जो मेरे लिए काफ़ी था, ब्रायन लारा का रिकॉर्ड मेरे लिए मायने नहीं रखता। मेरे लिए टीम की जीत ज़्यादा ज़रूरी है जिसके लिए यहां हूं।”

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#1 जब रॉबिन उथप्पा ने रोहित शर्मा को 264 रन का विश्व रिकॉर्ड बनाने में मदद की ROHIT-UTHAPPA

13 नवंबर 2014 का वो दिन जब भारत के सलामी बल्लेबाज़ रोहित शर्मा ने 250 रन के आंकड़े को पार किया था और वनडे में 264 रन का निजी स्कोर बनाया था। ये अब तक वनडे में बनाया गया सबसे बेहतर निजी स्कोर है। रोहित को इस प्रदर्शन के लिए ख़ूब वाहवाही मिली लेकिन ये भी मानना पड़ेगा कि 264 रन का रिकॉर्ड रॉबिन उथप्पा की मदद के बिना नामुमकिन था। जब रोहित ये रिकॉर्ड बना रहे थे तो रॉबिन उथप्पा उनका साथ निभा रहे थे। उथप्पा को टीम इंडिया में खेलने का मौका बहुत दिनों बाद मिला था। वो सीरीज़ के आख़िरी 2 मैचों में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज़ के तौर पर आए थे ( सीरीज़ के पहले 3 मैच में ऋद्धिमान साहा को मौका मिला था)। उस वक़्त नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज़ और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले आराम दिया गया था। इस मैच के दौरान उथप्पा को टीम में अपनी जगह बनाने का भी दबाव था। वो 41वें ओवर में पिच पर आए जब भारत का स्कोर 276/4 था और रोहित 155 के निजी स्कोर पर खेल रहे थे। उथप्पा के पिच पर आने के बाद रोहित ने 43 गेंदों पर बाकी 91 रन बनाए रॉबिन उथप्पा ने बाकी बची 58 गेंदों में सिर्फ़ 16 गेंदों का सामना किया और 16 रन बनाकार नाबाद रहे। रॉबिन ने ये सुनिश्चित किया कि रोहित को ज़्यादा से ज़्यादा स्ट्राइक मिले जिससे रोहित एक विश्व रिकॉर्ड बना सकें। जब किसी भी खिलाड़ी को टीम में अपनी जगह बनानी हो तो शायद ही कोई इतनी कुर्बानी देता है जैसा कि रॉबिन उथप्पा ने किया।

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